कर सलाहकार ने ई-वे बिल की चिंताएं दूर करने को कहा | इंदिवजल धस्माना / नई दिल्ली August 07, 2018 | | | | |
जहां जीएसटी परिषद ई-वे बिल को लेकर ट्रांसपोर्टरों की चिंताएं दूर करने की कोशिश कर रही है, वहीं एक कर सलाहकार ने अधिकारियों को इस बिल में बदलाव की अनुमति देने की सिफारिश की है। पीडब्ल्यूसी द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है, ‘जब ई-वे बिल तैयार होता है, उसमें शामिल विवरण (वाहन से संबंधित मामलों को छोडक़र) में बदलाव या संशोधन नहीं किया जा सकता। इस स्थिति में एकमात्र विकल्प उसे रद्द करना और नया ई-वे बिल तैयार करना है।’
रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि व्यवसायी चाहते हैं कि ई-वे बिलों के विवरण में कुछ समयावधि के अंदर संपादन या संशोधन की अनुमति दी जानी चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया है कि ई-वे बिल के क्रियान्वयन के पहले महीने के अंदर प्रक्रियागत खामियों की वजह से सामान या वाहनों की जब्ती के कई मामले आए। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘यह बिल के सफल और प्रभावी क्रियान्वयन की राह में बाधक है।’
हालांकि सरकार ने संबंधित प्रक्रियाओं को स्पष्ट कर दिया है और व्यवसायियों और अधिकारियों को इन पर अमल करने की जरूरत होगी, लेकिन यह देखने की जरूरत होगी कि क्या फील्ड ऑफिसर इनके प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित कराने में सक्षम होंगे। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने ई-वे बिल का एक हिस्सा दाखिल नहीं करने के लिए गति किंटेटेसू लिमिटेड पर 1.32 करोड़ रुपये का जुर्माना बरकरार रखा है।
न्यायालय ने जीएसटी अपीलेट अथॉरिटी के साथ विचार-विमर्श कर कंपनी पर जुर्माना लगाया क्योंकि उसने बिल के पार्ट-बी को फाइल नहीं किया था। पार्ट-बी में ट्रांसपोर्ट के वाहन नंबर जैसी जानकारी होती है जबकि पार्ट-ए में आपूर्ति किए गए सामान की मात्रा और मूल्य जैसी जानकारी होती है। अपनी याचिका में कंपनी ने तर्क दिया कि तकनीकी खामियों की वजह से वह पार्ट-बी को अपडेट नहीं कर सकी। हालांकि न्यायालय ने कहा कि कंपनी ने ई-वे बिल पोर्टल पर इस तरह की किसी शिकायत की जानकारी नहीं दी थी।
पीडब्ल्यूसी की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जहां ई-वे बिल सरकारी पोर्टल पर तैयार या रद्द किए जा सकेंगे, वहीं सामान की सफल डिलिवरी पर उनके निपटान के लिए कोई विंडो उपलब्ध नहीं है। इस वजह से तैयार हुए बिल पोर्टल पर हमेशा मौजूद बने रहते हैं।
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