► कर्मचारियों को दे रही घर और काम के बीच संतुलन बनाने की सीख
► दुनिया भर में कर्मचारियों के साथ सख्त व्यवहार के लिए कंपनी को लड़नी पड़ रही है अदालती लड़ाई
कर्मचारियों के अनुकूल नीतियां न होने के कारण एमेजॉन को भले ही दुनियाभर में आलोचना का सामना करना पड़ रहा है लेकिन दुनिया की सबसे बड़ी ऑनलाइन रिटेलर कंपनी भारत में अपनी अलग छवि बनाने में लगी है। लगता है कि वॉलमार्ट की चुनौती का सामना करने के लिए वह अपने कर्मचारियों को प्रोत्साहित कर रही है। एमेजॉन इंडिया के प्रमुख अमित अग्रवाल ने इस सप्ताह अपनेवरिष्ठ साथियों को भेजे ईमेल में कहा है कि कर्मचारियों को काम के इतर अपने लिए पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए। साथ ही कंपनी में स्वस्थ कार्य माहौल बनाया जाना चाहिए। बिज़नेस स्टैंडर्ड ने इस ईमेल को देखा है। इसमें कहा गया है कि कार्यावधि के बाद कर्मचारियों से फोन या ईमेल का जवाब देने की उम्मीद नहीं की जाती है और शाम 6 बजे से सुबह 8 बजे तक कोई कारोबारी फैसला नहीं लिया जाना चाहिए। अगर किसी मामले में तत्काल कार्रवाई की जरूरत है तो इसका फैसला व्यक्ति विशेष पर छोड़ दिया जाना चाहिए।
उन्होंने कर्मचारियों से अपने साथियों के प्रति संवेदनशील बनने की नसीहत दी है। उन्होंने कहा कि अगर कोई जल्दी छुट्टी लेता है तो उसके बारे में आधा दिन की छुट्टी या पहली पाली जैसी टिप्पणी से बचा जाना चाहिए। अगर कोई अपने हिसाब से काम पर आता है या घर से काम करता है तो उसके बारे में नकारात्मक धारणा नहीं बनाई जानी चाहिए। अगर कोई छुट्टी पर है तो फिर उसे इसका पूरी तरह मजा लेना चाहिए क्योंकि छुट्टी पर रहते हुए ईमेल का जवाब देने से उसका मजा किरकिरा हो जाएगा।
भारत में एमेजॉन की नई उदार कर्मचारी नीति कंपनी की वैश्विक चलन के उलट है क्योंकि उसे कर्मचारियों से अधिकतम काम लेने वाला माना जाता है। सिएटल मुख्यालय वाली कंपनी को अमेरिका और यूरोप में खास तौर पर उसके बड़े वेयरहाउसों में काम करने वाले कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार करने के कई मामलों में अदालती लड़ाई लड़नी पड़ रही है।
इस साल की शुरुआत में ब्रिटेन के द सन के खुफिया रिपोर्टर ने खबर प्रकाशित की थी कि वेयरहाउस में काम करने वाले कर्मचारी डांट-फटकार के डर से बाहर पेशाब तक करने नहीं जाते हैं और मजबूरी में बोतल में पेशाब करते हैं। कर्मचारियों के सर्वेक्षण में खुलासा हुआ कि कंपनी के विशाल वेयरहाउस में शौचालय तक जाने-आने में समय लगने से उन्हें दिया गया काम का लक्ष्य पूरा नहीं होने का डर रहता है।
इसी माह एमेजॉन के एक महिला कर्मचारी ने टैक्सस में दावा किया कि किराया नहीं चुका पाने की वजह से उन्हें अपना घर छोडक़र कार में रहना पड़ा। वीडियो में उन्होंने दावा किया कि काम के दौरान चोटिल होने पर उन्हें उपचार के लिए समुचित मुआवजा नहीं दिया गया, वहीं लक्ष्य पूरा नहीं होने पर कंपनी द्वारा जुर्माना भी लगाया गया। वैश्विक रिपोर्ट में कहा गया है कि भी कंपनी के कई अधिकारियों को भी दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा है। हालांकि भारत में स्थिति इससे उलट है। लिंक्डइन सर्वेक्षण में 2018 में भारत में काम के लिहाज से श्रेष्ठ कंपनियों एमेजॉन को चौथे स्थान पर रखा गया है। हालांकि प्रतिस्पर्धी कंपनी फ्लिपकार्ट और पेटीएम इस मामले में उससे ऊपर हैं।