दुनिया भर में मुद्रा युद्ध जोर पकड़ रहा है लेकिन भारतीय मुद्रा में थोड़ी स्थिरता देखी जा रही है। यह इसलिए भी है क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था निर्यात पर उतनी निर्भर नहीं है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मुद्रा युद्ध से रुपया बेअसर रहेगा। अगर चीन की मुद्रा का अवमूल्यन होता है, तो भारतीय मुद्रा सहित क्षेत्र की अन्य मुद्राओं को भी इसके अनुकूल समायोजित करना होगा।
बिज़नेस स्टैंडर्ड के सर्वेक्षण में 10 मुद्रा विशेषज्ञों, बैंक खजांची और अर्थशास्त्रियों ने अनुमान लगाया है कि दिसंबर तक रुपया डॉलर के मुकाबले 70 के स्तर को छू सकता है। रुपये पर दबाव मार्च तक बना रह सकता है। भारतीय स्टेट बैंक के उप प्रबंध निदेशक, वैश्विक बाजार वेंकट नागेश्वर ने कहा, ‘व्यापर युद्ध के कारण रुपये में गिरावट आने की आशंका है। इससे जिंसों की कीमतों में थोड़ी नरमी आएगी जो भारत के लिए अच्छी होगी लेकिन अमेरिका के 10 वर्षीय बॉन्ड चढ़ सकते हैं। मेरा मानना है क वैश्विक स्तर पर जोखिम बढ़ने से विदेशी पोर्टफोलियो निवेश और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का प्रवाह धीमा पड़ सकता है।’ नागेश्वर के अनुसार चुनावी साल होने से विनिमय दर में उतार-चढ़ाव रह सकता है लेकिन रुपया दिसंबर तक 69.50 और मार्च तक 70 के स्तर को छू सकता है।
हालांकि विश्लेषकों को उम्मीद है कि आने वाले महीनों में अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध ठंडा पड़ सकता है और ईरान पर पाबंदी भी हट सकती है। ऐसी स्थिति में रुपया पूर्व के स्तर पर लौट सकता है। डॉलर सूचकांक भी 95 के स्तर को पार गया है, जो फरवरी में 89 पर था। लेकिन डॉलर में मजबूती लंबे समय तक नहीं बनी रह सकती क्योंकि अमेरिका के राष्ट्रपति खुद डॉलर में नरमी लाने की कवायद में हैं।
डॉलर के मुकाबले रुपये में 6.5 फीसदी की गिरावट आ चुकी है और जून के अंत में यह 69.10 के निचले स्तर पर आ गया था। मुद्रा डीलरों का कहना है कि इसमें 3 से 4 फीसदी की और गिरावट आ सकती है। ऐक्सिस बैंक में खजांची शशिकांत राठी ने कहा, ‘मुद्रा युद्ध का भारत पर अन्य देशों की तुलना में ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।’ हालांकि उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में रुपया 68 से 70 के दायरे में रह सकता है। इसी तरह फर्स्टरैंड बैंक के खजांची हरिहर कृष्णमूर्ति ने कहा कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के स्थानीय बाजार में वापसी के संकेत दिख रहे हैं, जो रुपये के लिए अच्छा है। कम से कम भारतीय रुपया आने वाले महीनों में डॉलर के मुकाबला ज्यादा तेजी से नहीं लुढक़ेगा। जुलाई में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 14 अरब रुपये का निवेश किया है और अगस्त के पहले कुछ दिनों में शेयर बाजार में 16 अरब रुपये की लिवाली की।
फॉरेक्ससर्व के प्रबंध निदेशक सत्यजीत कांजीलाल ने कहा, ‘क्षेत्र में भारत अन्य देशों की तुलना में बेहतर स्थिति में है। हमारा चालू खाता और राजकोषीय घाटा कमोबेश नियंत्रण में है।’ उन्होंने उम्मीद जताई कि डॉलर के मुकाबले रुपया दिसंबर तक 67.50 से 68 के दायरे में रह सकता है और मार्च अंत तक 66 से 67 के आसपास रह सकता है। क्वांटआर्ट मार्केट सॉल्यूशंस के प्रबंध निदेशक समीर लोढा ने कहा कि अमेरिका में ब्याज दर बढऩे से रुपये पर भी दबाव बढ़ेगा और चीन की मुद्रा में अवमूल्यन से रुपये में भी नरमी आ सकती है। दिसंबर तक रुपया 71 के स्तर पर पहुंच सकता है।
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