विज्ञापन वापस, आहत लोगों के लिए राहत | टी ई नरसिम्हन / August 03, 2018 | | | | |
बैंकरों के विरोध को देखते हुए कल्याण ज्वैलर्स ने आखिरकार अपने विज्ञापन को हटा लिया। विज्ञापन के कारण कई लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं और नकारात्मक प्रचार के कारण ब्रांड की छवि को नुकसान की आशंका के चलते कंपनी ने यह फैसला किया। क्या कंपनी ने ऐसा करने में जल्दबाजी की या फिर लोगों की नाराजगी को देखते हुए उसके पास दूसरा कोई विकल्प नहीं था? कल्याण ज्वैलर्स के कार्यकारी निदेशक रमेश कल्याणरामन ने कहा, 'एक ब्रांड के तौर पर हम चाहते थे कि हम कुछ भी गलत नहीं करेंगे। भले ही उपभोक्ता इस बारे में नहीं जानता हो।' विज्ञापन में दिखाया गया कि अमिताभ बच्चन और बेटी को कुछ बैंक कर्मचारी परेशान कर रहे हैं। वे एक बुजुर्ग व्यक्ति की ईमानदारी और भरोसे के प्रति प्रतिबद्घता को कोई भाव नहीं दे रहे हैं। कल्याणरामन ने कहा कि उनकी कंपनी ने इस विज्ञापन को हटाना ही मुनासिब समझा क्योंकि वह किसी समुदाय या समूह की भावनाओं को आहत नहीं करना चाहती है। उन्होंने कहा कि विज्ञापन में बैंक का दृश्य जरूर था लेकिन इसमें किसी बैंकर को निशाना नहीं बनाया गया था। फिर भी अगर किसी की भावनाएं आहत हुई हैं तो कंपनी इसकी जिम्मेदारी लेती है और इसी के मद्देनजर विज्ञापन हटा लिया गया है। कल्याणरामन ने कहा, 'हम किसी विवाद में नहीं पडऩा चाहते हैं।'
यह पहला मौका नहीं है जब विज्ञापन के कारण कंपनी विवादों में फंसी है। साल 2015 में भी कंपनी को एक विज्ञापन वापस लेना पड़ा था। उसमें दिखाया गया था कि सांवले रंग का एक बच्चा अभिनेत्री ऐश्वर्या राय के लिए छाता लेकर खड़ा है। आलोचकों का कहना था कि यह वर्ग भेद और बाल श्रम को दर्शाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह इस तरह का विज्ञापन है जहां विज्ञापनदाता जनभावनाओं को सही ढंग से समझने में नाकाम रहे हैं। हो सकता है कि कंपनी ने जानबूझकर ऐसा नहीं किया हो लेकिन इससे कुछ लोग नाराज हो गए। अलबत्ता कई लोग ऐसे भी हैं जो मानते हैं कि कंपनी के विज्ञापन में कुछ भी गलत नहीं था और उसने इसे हटाने में जल्दबाजी की।
दुनियाभर में जनाक्रोश की सूरत में ब्रांड विज्ञापन को वापस लेना ही मुनासिब समझते हैं। उदाहरण के लिए एचऐंडएम ने इसी साल एक विज्ञापन जारी किया था जिसमें एक अश्वेत बच्चे को स्वेटशर्ट पहने दिखाया गया था। उस पर लिखा था, 'कूलेस्ट मंकी इन द जंगल।' इस पर काफी होहल्ला हुआ और कंपनी पर नस्लभेद के आरोप लगे। इसके बाद कंपनी ने इस विज्ञापन को वापस ले लिया। 2017 में यूनिलीवर के डव ब्रांड को भी अपना विज्ञापन वापस लेना पड़ा। इसमें एक सांवली महिला को अपने कपड़े बदलते दिखाया गया है जो फिर गोरी बन जाती है। नीविया के एक इसी तरह के विज्ञापन को भी लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ा था।
अभिनेता रणवीर सिंह को भी 2016 में एक विज्ञापन के कारण आलोचना का सामना करना पड़ा था। अंतरराष्ट्रीय परिधान कंपनी जैक ऐंड जोंस के इस विज्ञापन में रणवीर को एक महिला को अपने कंधे पर लिए एलिवेटर में घुसते दिखाया गया था और इसकी टैगलाइन थी, 'डोंट होल्ड बैक। टेक यूअर वर्क होम।' विज्ञापनों में लिंगभेद के प्रति आक्रोश को देखते हुए डियोर्डेंट बनाने वाली कंपनियों ने अपने विज्ञापनों के सुर ही बदल दिए हैं। पहले दिखाया जाता था कि आदमी महिलाओं को आकर्षित करने के लिए डियो लगाते हैं लेकिन अब वे आत्मविश्वास, सफलता और मजे के लिए डियो लगाते हैं।
विडंबना यह है कि कल्याण ज्वैलर्स का विज्ञापन बनाने वालों ने इसे हर विवाद से मुक्त रखने के लिए पूरी मेहनत की थी। इसमें भरोसे, गरीब किसान और पिता-पुत्री संबंधों पर केंद्रित किया गया था। इसके अलावा इसमें अमिताभ बच्चन थे जो ब्रांड की सफलता की गारंटी हैं। साथ ही इसमें उनकी बेटी पहली बार किसी विज्ञापन में नजर आई थी। अमिताभ ने इसके बारे में ट्वीट किया था कि जब भी खुद को अपनी बेटी के साथ स्क्रीन पर देखते हैं तो उनकी आंखें भर आती हैं। यह विज्ञापन कंपनी के ट्रस्ट कैंपेन सिरीज के पांचवें संस्करण का हिस्सा था। इसका मकसद आम लोगों का दर्द बयां करना था। कंपनी का कहना है कि दुर्भाग्य से उसने अपनी बात को रखने के लिए एक बैंक का सहारा लिया, जो जानबूझकर नहीं किया गया था। कंपनी का कहना है कि इस में बैंकरों को निशाना नहीं बनाया गया था।
हालांकि 3,20,000 बैंक अधिकारियों की संस्था द ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कनफेडरेशन यह स्वीकार करने को तैयार नहीं है कि यह अनजाने में हुई गलती है। उनका कहना था यह विज्ञापन में उनका अपमान किया गया है और इसका मकसद अपने व्यावसायिक लाभ के लिए बैंकिंग प्रणाली में अविश्वास पैदा करना है। त्रिसूर की कंपनी कल्याण ज्वैलर्स ने कहा, 'हम समझते हैं कि विज्ञापन के कारण कुछ लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं जिनमें बैंकिंग समुदाय के सदस्य भी शामिल हैं। हम कतई ऐसा नहीं करना चाहते थे।' हालांकि कुछ जानकारों का कहना है कि कंपनी के विज्ञापन में कुछ भी गलत नहीं था। मार्केटिंग और कम्युनिकेशन एजेंसी मोगे ग्रुप के चेयरमैन संदीप गोयल ने कहा, 'मुझे इसमें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं दिखता है। कल्याण ज्वैलर्स ने विज्ञापन वापस लेने में जल्दबाजी की है।' उन्होंने कहा कि जीवन के उदाहरणों को रचनात्मक ढंग से बढ़ाचढ़ाकर दिखाना विज्ञापन का हिस्सा है और इसमें कुछ भी गलत नहीं है। गोयल ने कहा कि विज्ञापन को वापस लेने से कल्याण ज्वैलर्स की छवि से ज्यादा ब्रांड अमिताभ बच्चन पर असर हुआ होगा। वह सही हो सकते हैं लेकिन कल्याण ज्वैलर्स के लिए जन भावना के दलदल से जल्दी से जल्दी निकलने का सवाल था। और बाकी कंपनियों की तरह उसने भी इस विवादास्पद विज्ञापन से पिंड छुड़ाना बेहतर समझा।
|