छोटे कर्ज के क्षेत्र में बेहतर वृद्धि दर | |
नम्रता आचार्य / कोलकाता 07 30, 2018 | | | | |
► गैर बैंकिंग वित्त कंपनियों ने बढ़ाया एमएफआई को कर्ज
► सरकारी व निजी क्षेत्र के बैंक एमएफआई को कर्ज देने को अनिच्छुक
► सस्ता कर्ज मिलने से एमएफआई का बढ़ रहा है मुनाफा, प्रदर्शन में आ रहा सुधार
पिछले कुछ महीनों में छोटे कर्ज (माइक्रोक्रेडिट) में सालाना आधार पर 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। उद्योग के विशेषज्ञों के मुताबिक इसमें निजी संस्थानों के वित्तपोषण ने अहम भूमिका निभाई है। सरकारी और निजी क्षेत्र के बैंकों ने पिछले कुछ महीने से छोटे कर्जदाताओं को सीधे कर्ज देने के (एमएफआई को वित्तपोषण कर अप्रत्यक्ष रूप से कर्ज देने के अलावा) लिए संपर्क साधना शुरू किया है क्योंकि इसमें चूक की दर कम है, वहीं कुछ गैर बैंकिंग फाइनैंस कंपनियों ने एमएफआई को कर्ज बढ़ाना शुरू कर दिया है। ज्यादातर एमएफआई के ऋण खाते से ही उनके धन की जरूरत पूरी होती है।
मई 2018 के अंत के भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक छोटे कर्ज के क्षेत्र में कर्ज का बकाया 197 अरब रुपये रहा, जो मई 2017 में 142 अरब रुपये था और इस क्षेत्र में कारोबार करीब 38 प्रतिशत बढ़ा है। इसी अवधि के दौरान उद्योगों को कुल बैंक कर्ज वृद्धि करीब 11 प्रतिशत रही है।
सटिनकेयर क्रेडिटकेयर नेटवर्क के प्रबंध निदेशक और चेयरमैन एचपी सिंह के मुताबिक, 'एनबीएफसी से एमएफआई के वित्तपोषण को लेकर दिलचस्पी बहुत ज्यादा रही है। हालांकि सरकारी बैंक अभी भी कर्ज देने को लेकर अनिच्छुक हैं। इस समय हमारे वित्त की जरूरतों का करीब 30-35 प्रतिशत एनबीएफसी द्वारा पूरा किया जा रहा है। पिछले वित्त वर्ष में एमएफआई के इक्विटी निवेश में करीब 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी।
बहरहाल बैंकों द्वारा दिया जाने वाला कर्ज करीब 20 प्रतिशत बढ़ा है, जो पिछले साल कुछ प्रमुख एमएफआई तक ही सीमित बना रहा। माइक्रोफाइनैंस इंस्टीट्यूशन नेटवर्क (एमएफआईएन) के आंकड़ों के मुताबिक एमएफआई के लिए कुल इक्विटी फंडिंग 2017-18 में 96.31 अरब रुपये रहा, जो 2016-17 में 68.85 अरब रुपये था। यह 39.88 प्रतिशत की उल्लेखनीय बढ़ोतरी है। एमएफआईएन के अध्यक्ष राकेश दुबे के मुताबिक, 'इक्विटी फंडिंग में एमएफआई सेक्टर ने बेहतरीन बढ़ोतरी हासिल की है। बैंक जहां अभी भी बहुत वित्तपोषण नहीं कर रहे हैं, एनबीएफसी इसका फायदा उठा रहे हैं। साथ ही इस वजह से भी वृद्धि देखी जा रही है क्योंकि पिछले साल माइक्रोफाइनैंस सेक्टर में बहुत मामूली बढ़ोतरी हुई थी। अब ज्यादातर एमएफआई ने अपनी बैलेंस शीट दुरुस्त कर दी है और धन आ रहा है। इसके अलावा नॉन कन्वर्टिबल डिबेंचर के माध्यम से विदेशी फंड भी जुटाया जा रहा है।'
31 मार्च 2018 तक के आंकड़ों के मुताबिक एमएफआई में विदेशी निवेशकों की इक्विटी फंडिंग करीब 45 प्रतिशत थी।एमएफआईएन की पूर्व सीईओ रत्ना विश्वनाथन ने कहा, 'एमएफआई क्षेत्र में एक बार फिर निवेश आने लगा है और यह आने वाले दिनों में और बढ़ेगा। ज्यादातर वित्तपोषण निजी क्षेत्र से हो रहा है। सरकारी बैंक जहां ज्यादा रेटिंग वाले एमएफआई को धन दे रहे हैं, निजी क्षेत्र के बैंकों ने इसके लिए अपने मानक बनाए हैं जो रेटिंग के अलावा शुद्ध लाभ और प्रदर्शन भी देखते हैं।' आरोहण फाइनैंशियल सर्विसेज के एमडी मनोज नांबियार के मुताबिक एमएफआई का मुनाफा सुधरा है क्योंकि धन लेने की लागत कम हुई है।
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