लाभांश देने की व्यावहारिकता जांच रहा रिजर्व बैंक | अरूप रायचौधरी / नई दिल्ली July 29, 2018 | | | | |
भारतीय रिजर्व बैंक अपने लिए लाभांश नीति की व्यावहारिकता का अध्ययन कर रहा है, जिसके तहत अपनी कमाई के बचे हुए हिस्से में से पहले से तय कुछ राशि सरकार को हस्तांतरित कर सकेगा। सरकार को भरोसा है कि रिजर्व बैंंक अधिनियम में संशोधन हो सकेगा, जिससे इस तरह की नीति को कानूनी आधार मिल सके। इस अधिनियम को शीतकालीन सत्र में संसद में विचार के लिए रखा जाएगा। एक अधिकारी ने कहा, 'रिजर्व बैंक अन्य देशों के केंद्रीय बैंकों का अध्ययन कर रहा है, जो अपनी सरकारों को लाभांश देते हैं। इसके पहले अतिरिक्त राशि के भुगतान और मालेगम समिति की सिफारिशोंं का भी अध्ययन किया जाएगा। अभी यह देखन बाकी है कि रिजर्व बैंक केंद्र सरकार की इस मांग को स्वीकार करता है या नहीं।' उन्होंने कहा कि सरकार रिजर्व बैंक की सहमति के बगैर इस मामले में आगे नहीं बढ़ सकती।
पहले खबर दी गई थी कि केंद्र सरकार ने रिजर्व बैंक से एक नीति तैयार करने को कहा है, जिसके तहत वह सरकार को सालाना लाभांश का भुगतान करे। यह केंद्र सरकार को 2017-18 में मिले लाभांश को लेकर मतभेद के बाद कहा गया था। कहा जा रहा है कि रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल में शामिल सरकार के दो नामित सदस्योंं आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष गर्ग और वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने यह मसला केंद्रीय बैंक के सामने रखा। रिजर्व बैंक अधिनियम प्रस्तावित संशोधन पारित होने से केंद्रीय बैंंक को खराब कर, अवमूल्यन और अन्य के लिए प्रावधान करने के बाद अपने सालाना मुनाफे की एक निश्चित राशि केंद्र सरकार को हस्तांतरित करना अनिवार्य होगा। कें द्र सरकार के अप्रैल मार्च कैलेंडर के विपरीत रिजर्व बैंक जुलाई-जून वित्त वर्ष मानता है।
अपने वित्त वर्ष 2016-17 में रिजर्व बैंक ने 306 अरब रुपये का अपना अतिरिक्त मुनाफा केंद्र को हस्तांतरित किया था, जो एक साल पहले दिए गए 659 अरब रुपये के आधे से भी कम था। केंद्रीय बजट 2017-18 में सरकार ने रिजर्व बैंक व अन्य सरकारी बैंकों से लाभांश के मद मेंं 749 अरब रुपये दिखाया था इसमें से रिजर्व बैंक के हिस्से के रूप में 580 अरब रुपये आने की उम्मीद थी।
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