न्यायालय में हाजिर हो नीरव : अमेरिकी कोर्ट | वीणा मणि / नई दिल्ली July 27, 2018 | | | | |
अमेरिका के दिवाला न्यायालय ने नीरव मोदी और उसके दो अन्य सहयोगियों मिहिर भंसाली और राखी भंसाली को न्यायालय के समक्ष पेश होने को कहा है। इसके लिए पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (एमसीए) ने याचिका दायर की है। मिहिर भंसाली फायरस्टार डायमंड इंक की अमेरिका इकाई का प्रमुख था। पीएनबी और एमसीए ने उपस्थिति पत्र (सपीन) या गवाही समन जारी करने के लिए न्यायालय में याचिका दायर की थी। आरोपी को गवाही के लिए मजबूर करने के लिए यह रिट जारी की गई है।
पीएनबी और एमसीए के लिए इसका मतलब यह भी है कि उसकी पहुंच कंपनी के 1.3 करोड़ दस्तावेजोंं तक हो जाएगी, जो अमेरिका में दिवालिया प्रक्रिया के तहत है। इस समय न्यायालय की ओर से नियुक्त ट्रस्टी कंपनियों का संचालन कर रहा है। इसके साथ ही पीएनबी और एमसीए ने नीरव मोदी की कंपनियों के खिलाफ अपने बकाये का मामला स्थापित कर दिया है। अमेरिकी न्यायालय ने इसके पहले पीएनबी को तीन कंपनियों को कर्ज देने वाले के रूप में स्वीकार नहीं किया था। फायरस्टार डायमंड इंक (एफडीआई), फैंटेसी इंक (एफआई) और ए जैफे इंक (एजेआई) कंपनियों ने अमेरिका दिवाला न्यायालय में दिवाला संरक्षण के लिए दक्षिण न्यूयॉर्क में याचिका दायर की थी।
मिहिर भंसाली फायरस्टार डायमंड इंक की अमेरिकी इकाई का प्रमुख और राखी भंसाली कंपनी की निदेशक थी। पीएनबी की याचिका में कहा गया है कि ऐसी जानकारी मिली है कि कर्ज लेने वाली कंपनी के सीएफओ अजय गांधी, वित्त नियंत्रक कुणाल पटेल और अन्य लोगों भी इस्तीफा दे दिया है या इस्तीफे का नोटिस दिया है। पीएनबी और एमसीए की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि यह साफ नहींं है कि सूचनाओं, सिस्टम और संपत्ति की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाए गए हैं या मोदी की धोखाधड़ी के शिकार होने वाले कर्जदाता व अन्य पक्षों को सूचनाएं किस तरह से उपलब्ध कराई जाएंगी। समय बीतने के साथ सूचनाएं पाना और कठिन होने के जोखिम को देखते हुए पीएनबी ने अब आरोपी को तलब किए जाने के साथ उसे भारत भेजने और दस्तावेजों के संरक्षण की मांग की है जिससे पीएनबी के दावों की कर्जदार से वसूली से संबंधित जरूरी सूचनाएं हासिल की जा सकें। यह डर था कि आरोपी अमेरिकी कानून के पांचवें संशोधन का फायदा उठाने की कवायद करेगा, जिसके मुताबिक उसे खुद के खिलाफ गवाह नहीं बनाया जा सकता है। बहरहाल राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीली पंचाट (एनसीएलटी) ने पाया कि नीरव मोदी की कंपनियों ने निदेशक धोखाधड़ी में शामिल रहे हैं, इसलिए कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय को इसमें शामिल सभी निदेशकों की संपत्तियां जब्त करनी चाहिए। इनमें से एक निदेशक ने अपनी संपत्ति 6.05 करोड़ रुपये में बेचने की कोशिश की थी, जिसे आदेश के बाद रोक दिया गया।
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