सिंथेटिक कपड़े बनाने वाले उद्यमी अपने उत्पादों की कीमतें अगस्त से कम से कम 5 फीसदी घटाने की योजना बना रहे हैं। इसकी वजह यह है कि सरकार ने इस कपड़े को बनाने में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की प्रभावी दर 27 जुलाई से 7 फीसदी घटाने की घोषणा की है। जीएसटी परिषद ने शनिवार को अपनी बैठक में मानव-निर्मित यानी सिंथेटिक फैब्रिक पर 7 फीसदी इनपुट क्रेडिट देने का फैसला किया है। पूरी कपड़ा मूल्य शृंखला पर कर की दर एकसमान होने से सिंथेटिक कपड़ा विनिर्माताओं को एकसमान मौके मिलेंगे। सरकार के इस कदम से सिंथेटिक फैब्रिक पर जीएसटी की प्रभावी दर 5 फीसदी रह जाएगी, जो पहले 12 फीसदी थी। जीएसटी की संशोधित दर 27 जुलाई से लागू होगी। इस समय सूती धागा और एवं उसके फैब्रिक और सिंथेटिक धागे सहित कपड़ा बनाने में इस्तेमाल होने वाले सभी कच्चे मालों पर 5 फीसदी जीएसटी है। लेकिन सिंथेटिक फैब्रिक विनिर्माताओं को 12 फीसदी शुल्क चुकाना पड़ रहा था। उन्हें शुल्क में अंतर के लिए रिफंड का दावा करने की मंजूरी नहीं थी। इसका मतलब है कि पूरी कपड़ा मूल्य शृंखला में सिथेंटिक फैब्रिक ही एक ऐसा उत्पाद था, जिस पर 12 फीसदी जीएसटी लगता था। देश में सिथेंटिक कपड़ा उद्योग की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक फिलाटेक्स इंडिया के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक मधुसूदन बगाडिय़ा ने कहा, ‘जीएसटी की दर में कटौती से सिंथेटिक फैब्रिक विनिर्माताओं को समान अवसर मिलेंगे। अगर यह मानते हैं कि कर में 1 से 2 फीसदी की कटौती मूल्य संवर्धन में चली जाएगी तो भी सिथेंटिक कपड़े का कच्चा माल कम से कम 5 फीसदी सस्ता होगा। लागत में बचत का यह लाभ निश्चित रूप से ग्राहकों को दिया जाएगा, जिससे अगस्त से सिंथेटिक कपड़े 5 फीसदी सस्ते हो जाएंगे।’ भारत में हर साल करीब 40 लाख टन सिंथेटिक धागे का उत्पादन होता है। सिंथेटिक कपड़ों की ज्यादातर खपत निम्न वर्ग में होती है, इसलिए कीमतों में 5 फीसदी कटौती से ग्राहकों को बड़ी राहत मिलेगी। इससे (जीएसटी में कमी) करीब 10 अरब रुपये के शुल्क अंतर के बकाये को निपटाने में मदद मिलेगी, जिसकी सिंथेटिक कपड़ा उद्योग सरकार से मांग कर रहा था। इस समय सिंथेटिक फैब्रिक की कीमतें 140 से 150 रुपये प्रति किलोग्राम है। कच्चे तेल की कीमतें एक सीमित दायरे में रहने से सिंथेटिक धागे की कीमतें पिछले एक साल के दौरान अस्थिर रही हैं। एक अग्रणी सिंथेटिक धागा और फैब्रिक विनिर्माता कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘जीएसटी में कटौती से आने वाले वर्षों में सिंथेटिक कपड़ों की अतिरिक्त मांग आएगी।’
