'अग्रणी बैंकों की हो तत्काल निर्णय में अहम भूमिका' | सोमेश झा और इंदिवजल धस्माना / July 20, 2018 | | | | |
पंजाब नैशनल बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी सुनील मेहता का कहना है कि नीरव मोदी और मेहुल चोकसी से संबंधित धोखाधड़ी के कारण पैदा हुई विपरीत परिस्थिति में भी बैंक का उधारी कारोबार अप्रभावित रहेगा। मेहता से सोमेश झा और इंदिवजल धस्माना की बातचीत के मुख्य अंश:
क्या आप मानते हैं कि ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता (आईबीसी) का एक उचित विकल्प एक परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी (एएमसी) की स्थापना हो सकता है, खासतौर पर भूषण स्टील मामले में उल्लेखनीय वसूली को देखते हुए?
इससे आईबीसी का बोझ हल्का होगा। सरकार ने यह एक बेहतरीन निर्णय लिया है। इससे कॉरपोरेट क्षेत्र में काफी गंभीरता आएगी और उन्हें लगेगा कि यदि उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा और वित्तीय प्रतिबद्धताओं को पूरा नहीं किया तो उन्हें अपनी परिसंपत्ति खोनी पड़ सकती है। यह संदेश बिल्कुल स्पष्टï है। लेकिन आप हरेक बोझ नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के कंधों पर नहीं डाल सकते। बैंकरों को एलसीएलटी का रुख करने से पहले परिसंपत्तियों के समाधान की कोशिश खुद करना होगा। यदि हम प्रत्येक मामला एनसीएलटी के पास भेजेंगे तो वहां भीड़भाड़ काफी बढ़ जाएगी। इसलिए सरकार एएमसी के विचार के साथ सामने आई है। यह एनसीएलटी से बाहर नहीं बल्कि उससे पहले का चरण होगा। जैसे ही 180 दिनों की समय-सीमा पूरी होगी आप एलसीएलटी का रुख कर सकते हैं।
क्या आपका बैंक एएमसी अथवा परिसंपत्ति प्रबंधन फंड की स्थापना कर रहा है?
हमने इस मुद्दे पर फिलहाल कोई निर्णय नहीं लिया है। लेकिन अब तक जो भी निर्णय लिए गए हैं वह उद्योग के स्तर पर हैं और हम उसका हिस्सा होंगे।
क्या पीएनबी के बोर्ड ने लेनदारों के बीच समझौते को मंजूरी दे दी है?
हम इसे मंजूरी देने के लिए जल्द ही एक बोर्ड बैठक आयोजित करेंगे।
ऐसी चर्चा है कि यह प्रबंधन का झुकाव अग्रणी बैंकर की ओर है। इस पर आप क्या कहेंगे?
यदि आप निर्णय लेने की प्रक्रिया को रफ्तार देना चाहते हैं तो कुछ लोग अपना वर्चस्व दिखाएंगे। अन्यथा निर्णय नहीं लिए जाएंगे। यदि हर कोई खुद अपना निर्णय लेने लगेगा तो एकरूपता नहीं रहेगी। बहरहाल, किसी कंसोर्टियम में निर्णय महज 66 फीसदी बहुमत से लिया जाता है। यह एक जनतांत्रिक प्रक्रिया है।
बैंक ऑफ महाराष्टï्र के प्रमुख की गिरफ्तारी के साथ ही शीर्ष बैंकरों के खिलाफ जांच एजेंसियों द्वारा दायर मामलों से उधारी संबंधी निर्णय प्रभावित हो रहे हैं। इस पर आप क्या कहेंगे?
मैं दूसरों के बारे में कुछ नहीं कह सकता। बाजार में तमाम नकारात्मक खबरों के बावजूद जून में घरेलू बाजार की उधारी में हमारी सालाना वृद्धि 11 फीसदी रही। यहां तक कि मार्च के अंत तक हमारी सालाना घरेलू बाजार की वृद्धि 9.8 फीसदी रही। बाजार में तमाम नकारात्मक खबरों के बावजूद हमारी उधारी वृद्धि प्रभावित नहीं हुई है। हम पटरी पर आगे बढ़ रहे हैं।
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