ऋण वृद्घि और घटते दबाव से प्रदर्शन मजबूत होगा | अभिजित लेले और श्रीपद ऑटे / July 20, 2018 | | | | |
फेडरल बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी श्याम श्रीनिवासन का मानना है कि ऋणों में वृद्घि और घटते दबाव से शुद्घ ब्याज मार्जिन (एनआईएम) बढ़ाकर 3.2 प्रतिशत करने में मदद मिलेगी। अभिजित लेले और श्रीपद ऑटे के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि पहली तिमाही में बैंक ने 25 अरब रुपये की थोक जमाएं घटाईं और इससे प्रदर्शन को मजबूती मिलेगी। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:
क्या बैंकिंग सेक्टर के लिए खराब समय बीत चुका है?
हमें खराब समय को अच्छे के साथ जोडऩे की जरूरत होगी। यह सभी यह मान रहे हैं बुरा समय बीत गया है। हम बुरे समय का दौर फिर से देखना नहीं चाहते। हमारे लिए परिचालन प्रदर्शन लगातार मजबूत है। लेकिन बाजार दुर्भाग्यवश अलग अलग संकेतों को अलग नजरिये से देखता है। हम गति और वृद्घि को लेकर आश्वस्त हैं।
आपके बैंक ने सालाना आधार पर 23.6 प्रतिशत की वृद्घि दर्ज की है। बड़ी कंपनियों के लिए 31 फीसदी पर भी यह अधिक है। आगामी तिमाहियों के लिए आपका क्या अनुमान है?
पिछली 9-10 तिमाहियों से हम यह कह रहे हैं कि हम 20-25 प्रतिशत की ऋण वृद्घि दर्ज करेंगे। इस दायरे में हमने कई तिमाहियों में वृद्घि दर्ज की है। हम इसे लेकर आश्वस्त बने हुए हैं कि यह आगे भी संभव है। ऋण बुक में वृद्घि काफी हद तक व्यापक है। हमारा मानना है कि रिटेल, कॉरपोरेट और एसएमई सेगमेंटों में विकास के पर्याप्त अवसर हैं।
ऋण कारोबार से राजस्व 22 फीसदी और मार्जिन 3.12 प्रतिशत बढ़ा। क्या आगामी तिमाहियों में भी इसी तरह की रफ्तार दिखेगी या कुछ सुधार आएगा? प्रदर्शन बेहतर बनाने में कैसे मदद मिलेगी?
एनआईएम के लिए हमारा वित्त वर्ष 2019 का अनुमान 3.2 प्रतिशत है। एनआईएम वृद्घि कई चीजों पर आधारित है। वृद्घि और ब्याज आय में सुधार भी इसके लिए जरूरी है। यदि स्लिपेज में नरमी आनी शुरू होती है तो ब्याज आय में कमी आती है। मेरा मानना है कि हम गुणवत्ता में लगातार सुधार लाएंगे और इससे मार्जिन मजबूत होगा।
जमाएं 16.07 प्रतिशत बढ़ी हैं और सीएएसए की भागीदारी कुल जमाओं में 33.47 प्रतिशत पर है। ऐसे में क्या सीएएसए की भागीदारी और बढ़ेगी?
हम इसमें कम से कम 100 आधार अंक की वृद्घि और करना चाहते हैं। आप देख रहे हैं कि इस तिमाही के अंत में जामाओं में सिर्फ 16 प्रतिशत की वृद्घि हुई, क्योंकि हमने कुछ बड़ी जमाएं घटाई थीं। बैंक ने पहली तिमाही में 25 अरब रुपये की बड़ी जमाएं घटाईं।
फंसे कर्ज के पुनर्गठन के लिए फरवरी 2018 में घोषित आरबीआई के नए नियमों का बैंकों पर बड़ा असर दिखा है। बैंक की मानक पुनर्गठित आस्तियों के लिए इसके क्या मायने हैं? मार्च 2019 के अंत में सकल एनपीए कितना रहेगा?
दिसंबर 2017 के अंत में हमारे पुनर्गठित मानक ऋण 14.25 अरब रुपये पर थे। अब यह आंकड़ा घटकर 5.85 अरब रुपये पर रह गया है। इसमें कोई मोटे लेनदेन शामिल नहीं हैं। सिर्फ एक बड़ा खाता- एयर इंडिया है। कर्ज से संबंधित अन्य सभी छोटे खाते हैं।
आपका बैंक और आईडीबीआई बैंक जीवन बीमा संयुक्त उपक्रम से निकलने की योजना बना रहे थे। लेकिन अब आईडीबीआई में एलआईसी 51 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीद रही है। आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
फिलहाल कुछ नहीं बदला है। हमें आईडीबीआई से उसके निर्णय के बारे में जानने की जरूरत होगी। वह कुछ प्रक्रियाओं से जुड़ा हुआ है। अगले दो-तीन सप्ताह में स्थिति स्पष्टï हो जाएगी।
बैंक ने संकेत दिया है कि वह एक माइक्रो फाइनैंस संस्थान में हिस्सेदारी ले सकता है या उसका अधिग्रहण कर सकता है और हाल में ये खबरें भी आई थीं कि बैंक मदुरा माइक्रो फाइनैंस में हिस्सेदारी खरीदने की योजना बना रहा है। इस निवेश का क्या फायदा होगा?
मैं तभी टिप्पणी कर सकता हूं जब कुछ निश्चित तौर पर होने वाला हो। हम कुछ इच्छुक पक्षों के साथ बातचीत कर रहे हैं। हम विचार करेंगे कि इस निवेश को कैसे सफल बनाया जाएगा। हमारी दिलचस्पी यह सुनिश्चित करने में होगी कि हमें उन क्षेत्रों में अच्छा पोर्टफोलियो मिले जहां हमारी उपस्थिति फिलहाल ज्यादा अच्छी नहीं है।
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