मुद्रा लक्ष्य में पीछे तो रोकें वेतन वृद्धि | |
सोमेश झा और अभिषेक वाघमारे / नई दिल्ली 07 15, 2018 | | | | |
मंत्री ने लिखा जिला प्रशासन को पत्र, बैंकरों और कर्मचारी संगठनों ने किया विरोध
गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर ने मुद्रा योजना के तहत लक्ष्य पूरा नहीं करने वाले बैंक अधिकारियों की सालाना वेतन वृद्धि रोकने का निर्देश दिया है। उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र के जिलाधिकारी को इस सिलसिले में पत्र लिखा है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए 2015 में मुद्रा योजना शुरू की थी। इसके तहत छोटे कारोबारियों को 10 लाख रुपये तक का ऋण दिया जाता है। अहीर के इस निर्देश ने बैंकरों और कर्मचारी संगठनों में खलबली मचा दी है। उन्होंने केंद्र से इसे वापस लेने की मांग की है। संभवत: यह पहला मौका है जब किसी केंद्रीय मंत्री ने योजनाओं के कमजोर क्रियान्वयन के लिए शाखा स्तर के बैंक अधिकारियों को इस तरह दंडित करने को कहा है। अहीर ने अपने निर्वाचन क्षेत्र चंद्रपुर के जिलाधिकारी को 6 जून को लिखे पत्र में कहा कि मुद्रा ऋण के वितरण में सहयोग नहीं कर रहे बैंकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए और खराब प्रदर्शन करने वाले बैंक मैनेजरों को वार्षिक वेतन वृद्धि नहीं मिलनी चाहिए।
मुद्रा के तहत ऋण पर ब्याज की दर दूसरे तरह के ऋणों के मुकाबले कम है और इसमें ऋण लेने वाले को कोई जमानत नहीं देनी होती है। सरकार ने वित्त वर्ष 2018-19 में इस योजना के तहत 3 लाख करोड़ रुपये ऋण वितरण का लक्ष्य रखा है। इस बारे में पूछने पर अहीर ने कहा कि जिला विकास सहयोग एवं निगरानी समिति यानी दिशा के तहत कोई मंत्री या जन प्रतिनिधि किसी सरकार योजना के खराब क्रियान्वयन पर किसी सरकारी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है। उन्होंने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, 'सरकारी कार्यक्रम खासकर मुद्रा के तहत ऋण वितरण में कमजोर प्रदर्शन करने वाले बैंकों के खिलाफ कार्रवाई करने की जरूरत है।'
जिला सतर्कता एवं निगरानी समिति के स्थान पर बनी दिशा समिति के प्रावधानों के मुताबिक समिति सरकारी कार्यक्रमों की निगरानी करेगी, इसके क्रियान्वयन में सहयोग करेगी, अनियमितता पाए जाने पर आगे की कार्रवाई की सिफारिश करेगी, मामले को जांच के लिए भेजेगी या फिर नियमों के मुताबिक उचित कार्रवाई की सिफारिश करेगी। ये नियम सरकार की सभी गैर सांविधिक योजनाओं पर लागू होती है और इसमें योजनाओं की एक सुझाव सूची भी हैं। अलबत्ता इसमें मुद्रा शामिल नहीं है।
अहीर ने कहा कि पंजाब नैशनल बैंक उनके गृह जिले चंद्रपुर में फसल ऋण नहीं दे रहा है और मुद्रा ऋण के वितरण में भी उसका खराब प्रदर्शन है, इसलिए उन्होंने अपनी सांसद निधि को पीएनबी से बैंक ऑफ इंडिया में स्थानांतरित करने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि जन प्रतिनिधि होने के नाते वह जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश कर सकते हैं और जिला प्रशासन उनके प्रति जवाबदेह है। हालांकि चंद्रपुर जिले के बैंक मैनेजरों का वार्षिक वेतन वृद्धि रोकने का आदेश नहीं दिया गया है लेकिन जिलाधिकारी आशुतोष सलिल का कहना है कि उन्होंने इलाके में मौजूद सभी बैंकों के मुख्य कार्याधिकारियों को एक पत्र लिखकर सरकारी योजनाओं को कारगर ढंग से लागू करने और उम्मीदों के मुताबिक काम नहीं करने वाले अधिकारियों को दंडित करने को कहा है। सलिल ने कहा, 'हमने बैंकों को एक रजिस्टर बनाकर मुद्रा ऋण के तहत सभी आवेदनों तथा उनकी स्थिति के बारे में रिकॉर्ड रखने को कहा है। ऐसा करना जरूरी है क्योंकि अभी हमारे पास कोई रिकॉर्ड नहीं है। हम चाहते हैं कि बैंक उद्यमियों और गरीब किसानों की जरूरतों के प्रति सक्रिय रुख दिखाएं।'
बैंकरों का कहना है कि जन प्रतिनिधि प्रदर्शन नहीं करने वाले बैंकों को जिम्मेदार ठहरा सकते हैं लेकिन वे वेतन वृद्धि नहीं रोक सकते। एक सरकारी बैंक के अधिकारी ने कहा, 'सभी बैंकों के अधिकारियों की सेवा से संबंधित नियम हैं जिनमें कमजोर प्रदर्शन करने वाले अधिकारियों को दंडित करने के प्रावधान हैं।' बैंकों का स्वामित्व सरकारी हो सकता है लेकिन उनका रोजमर्रा का कामकाज व्यावसायिक है और राजनीतिक हस्तक्षेप से परे हैं। कर्मचारी संगठनों ने भी अहीर के निर्देश का कड़ा विरोध किया है। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस ने पिछले महीने एक समीक्षा बैठक के बाद कहा कि वह इस मुद्दे को सरकार के समक्ष उठाएगा।
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