'चयन समिति में न हों नौकरशाह' | संजीव मुखर्जी / नई दिल्ली July 09, 2018 | | | | |
भारत के शीर्ष कृषि वैज्ञानिकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर नौकरशाह को कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड (एएसआरबी) का चेयरमैन नियुक्त किए जाने के किसी भी कदम का विरोध किया है। पिछले महीने लिखे गए पत्र में राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी (एनएएएस) के वैज्ञानिकों ने कहा कि अगर एएसआरबी का प्रमुख किसी वैज्ञानिक की जगह नौकरशाह को बनाया जाता है तो यह देश के कृषि विज्ञान के लिए आपदा की तरह होगा और शोध पर इसका असर पड़ेगा। देश में कृषि वैज्ञानिकों की भर्ती के लिए एएसआरबी प्रमुख निकाय है। इसका गठन 1973 में हुआ था, जो देश के सभी बड़े कृषि संस्थानों व विश्वविद्यालयों में वैज्ञानिकों की नियुक्ति करता है। साथ ही यह कृषि वैज्ञानिकों का कैडर बनाता है।
एएसआरबी में एक चेयरमैन और दो पूर्णकालिक सदस्य होते हैं और ये वैज्ञानिक ही होते हैं। लेकिन कुछ साल से इसके पूर्णकालिक चेयरमैन और एक सदस्य नहीं हैं। एनएएएस के अध्यक्ष और आरएलबी सेंट्रल एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी झांसी के कुलपति पंजाब सिंह ने कहा, 'पिछले 45 साल में कभी एएसआरबी का प्रमुख कोई नौकरशाह नहीं बना है। हम मानते हैं कि अगर कोई व्यक्ति विज्ञान और कृषि विज्ञान की बारीकियों को नहीं समझता तो उसे वैज्ञानिकों के बारे में फैसला करने की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए।'
जाने माने पौध वैज्ञानिक दीपक पेंटल ने कहा कि पूरी अवधारणा खामियों से भरी दिख रही है, वैज्ञानिकों की नियुक्ति करने वाली समिति का प्रमुख गैर वैज्ञानिक को बनाने की कोई कैसे कल्पना कर सकता है। उन्होंने कहा कि अगर किसी नौकरशाह को विज्ञान की जानकारी भी है तो वह कृषि विज्ञान के साथ न्याय नहीं कर पाएगा क्योंकि यह विशेषीकृत क्षेत्र है, जिसकी तमाम शाखाएं, उप शाखाएं हैं। एएसआरबी के पूर्व चेयरमैन आरबी सिंह ने कहा, 'हम सरकार और भारत के लोगों से अपील करते हैं कि भारत के कृषि विज्ञान को बचाया जाए क्योंकि 2022 तक किसानों की की आमदनी दोगुनी करने की सरकार की योजना में कृषि वैज्ञानिकों की अहम भूमिका होगी।' सरकार ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी कि और न ही इस बात की पुष्टि की है कि एएसआरबी के गठन में कोई बदलाव किया जाने वाला है।
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