भारत में निवेश बढ़ाएं कोरियाई कंपनियां: मून | शुभायन चक्रवर्ती / नई दिल्ली July 09, 2018 | | | | |
दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे ने कहा है कि कोरियाई कंपनियां बुनियादी ढांचा सहित भारत में कई क्षेत्रों में निवेश को इच्छुक हैं। हालांकि उन्होंने इस बात पर जोर किया कि द्विपक्षीय संबंध बढ़ाने में ज्यादा उदारीकरण अहम है। संभवत: मून मौजूदा समग्र आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) के विस्तार को लेकर दक्षिण कोरिया के भारत के साथ खींचतान का हवाला दे रहे थे। भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) की ओर से आयोजित भारत कोरिया कारोबारी मंच में बोलते हुए मून ने यह भी कहा कि दक्षिण कोरिया की कंपनियों को मौजूदा 2.7 अरब डॉलर से ज्यादा निवेश करने की जरूरत है। उम्मीद की जा रही है कि दक्षिण कोरिया भारत के बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश कर सकता है क्योंकि मून सरकार और विभिन्न निकायों द्वारा सड़क, पुल व बंदरगाहों के निर्माण पर खर्च बढ़ाने का हवाला दे रहे थे।
उन्होंने कहा कि दक्षिण कोरिया पहले से ही तमाम परियोजनाओं पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि नागपुर-मुंबई सुपर कम्युनिकेशन एक्सप्रेसवे, कल्याण डोंबीवली स्मार्ट सिटी और बांद्रा गवर्नमेंट कॉलोनी का पुनर्विकास इसके उदारहण हैं, जहां दक्षिण कोरिया की विशेषज्ञता से भारत में शानदार बुनियादी ढांचा तैयार किया जा रहा है। वरिष्ठ राजनयिक सूत्रों ने कहा कि राष्ट्रपति अगले 2 दिन महाराष्ट्र की यात्रा कर सकते हैं और उन परियोजनाओं का निरीक्षण कर सकते हैं, जिनके लिए कोरिया 10 अरब डॉलर देने को सहमत हुआ है।
इस कार्यक्रम में कोरिया के बड़े कारोबारी घरानों की कंपनियां- सैमसंग, हुंडई और एलजी शामिल हुईं, जिनका कोरिया के निर्यात और घरेलू कारोबार के बड़े हिस्से पर कब्जा है। 5 महीने से भी कम समय में यह इस तरह की दूसरी बैठक है। बहरहाल भारत में काम कर रही 600 कोरियाई कंपनियों की ओर से निवेश को लेकर कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि पूंजी की उपलब्धता और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की जटिलता को लेकर उनकी शिकायतें हैं। सोमवार को फर्मों ने कहा कि उनके स्थानीय साझेदारों को बैंकों से कर्ज लेने में दिक्कत हो रही है और नए जीएसटी का ढांचा बहुत जटिल है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि भारत में कोरियाई कंपनियों के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र बनाने की योजना पर विचार हो रहा है। उन्होंने कहा कि कोरियाई फर्में देश में समुद्री खाद्य प्रसंस्करण की भारी मांग का फायदा उठा सकती हैं।
मंगलवार को संशोधित सीईपीए पर हस्ताक्षर
मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून संशोधित समग्र आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। दोनों देशों के बीच शुल्क की नई दरों को लेकर खींचतान हुई थी। भारत ने मांग की थी कि उसे अंग्रेजी भाषी देश का दर्जा दिया जाए। वाणिज्य विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि भारत की मांग वीजा नियमों को सरल करने व भारत के पेशेवरों को रोजगार देने को लेकर है। बहरहाल इस विषय पर दोनोंं देशों के वाणिज्य मंत्रियों के बीच सोमवार को लंबी चर्चा के बाद तीन व्यापक विषयों पर सहमति बनी है। इसमें अर्ली हार्वेस्ट एग्रीमेंट, जिस पर सोमवार को हस्ताक्षर हुए, और समझौते को बाद में विस्तार देने को लेकर व्यापक क्षेत्रों की पहचान शामिल है। साथ ही चौथी पीढ़ी की औद्योगिक तकनीक की संभावनाओं के लिए भविष्य की रणनीति के साथ कारोबारी उपचारों के लिए अलग समझौते पर काम किए जाने की उम्मीद है।
भारत चाहता है कि सीईपीए में निर्यातकोंं को ज्यादा प्रोत्साहन मिले, जिससे वे अपने सामान पूर्वी एशियाई देश भेज सकें। इसमें मौजूदा शर्तों से इतर समझौते का विस्तार न दिया जाना, बाजार तक पहुंच बढ़ाने और ओरिजिन क्लॉज के नियमों को मजबूत करना शामिल है। इसका दक्षिण कोरिया विरोध कर रहा है, जो भारत से ज्यादा उदार नियम चाहता है। 2017-18 में भारत का दक्षिण कोरिया को निर्यात 4.4 अरब डॉलर था, जबकि आयात इसका करीब चार गुना 16.4 अरब डॉलर रहा।
'भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा फोन निर्माता'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली से सटे नोएडा में दक्षिण कोरिया की बहुराष्ट्रीय कंपनी सैमसंग के मोबाइल विनिर्माण कारखाने के उद्घाटन समारोह में कहा कि सरकार के मेक इन इंडिया कार्यक्रम से प्रोत्साहन पाकर भारत दुनिया में दूसरा बड़ा मोबाइल फोन निर्माता बन गया है। पिछले चार साल में मोबाइल फोन बनाने वाले कारखानों की संख्या दो से बढ़कर 120 पर पहुंच गई है। मोदी ने कहा कि मोबाइल फोन बनाने वाले कारखानों की संख्या बढऩे के साथ ही इस क्षेत्र में 4 लाख रोजगार पैदा हुए हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के बड़े कारखानों में निवेश दक्षिण कोरिया जैसे देशों के साथ भारत के आर्थिक और वाणिज्यक रिश्तों की बुनियाद के पत्थर हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, 'भारत को विनिर्माण क्षेत्र में दुनिया का बड़ा केंद्र बनाने की दिशा में आज एक महत्त्वपूर्ण दिन है। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था आज दुनिया में सबसे तेजी से बढऩे वाली अर्थव्यवसथाओं में से एक है।
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