'उड़ान में बात के लिए करें भारतीय उपग्रहों का इस्तेमाल' | किरण राठी / नई दिल्ली July 08, 2018 | | | | |
दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने विदेशी विमान सेवा कंपनियों को उनकी शर्तों पर इन फ्लाइट कनेक्टिविटी (विमान में उड़ान के दौरान मोबाइल से बात व इंटरनेट सेवा) की सुविधा देने क ी छूट से इनकार कर दिया है। कई विदेशी एयरलाइंस, जो इस समय विदेश में इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी की सुविधा मुहैया करा रही हैं, ने दूरसंचार विभाग से संपर्क कर इस मसले में सरकार की आगामी नीति में छूट दिए जाने की मांग की थी। इन एयरलाइंस ने भारत के टेलीकॉम ऑपरेटरों और उपग्रह प्रदाताओं से सेवाएं लेने को लेकर चिंता जाहिर की थी।
दूरसंचार विभाग ने नियम तैयार करने की प्रक्रिया के दौरान एयरलाइंस के अधिकारियों, टेलीकॉम ऑपरेटरों व उपग्रह सेवा प्रदाताओं सहित अन्य हिस्सेदारों के साथ पिछले 2 महीने में कुछ बैठकें की थी। एक सूत्र ने बताया कि हाल की बैठक जून के अंतिम सप्ताह में हुई, जिसके बाद मसौदा तैयार किया गया है। मसौदा नियमों में यह अनिवार्य किया गया है कि कोई भी एयरलाइन सेवा प्रदाता, चाहे वह भारतीय हो या विदेशी, अगर इन फ्लाइट करनेक्टिविटी मुहैया कराता है तो उसे ऐसी इकाई से साझेदारी करनी होगी, जो भारत में इंटरनेट और टेलीकॉम कनेक्टिविटी देने के लिए अधिकृत है। इसके अलावा सिर्फ भारतीय उपग्रहों या जो अंतरिक्ष विभाग से जुड़े हुए हैं, उनका ही इस्तेमाल इस मकसद के लिए किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, 'सुरक्षा वजहों से गेटवे भारत का रखना होगा।' अगर इन मसौदा नियमों को अंतिम रूप दे दिया जाता है तो दूरसंचार नीति के नियम ट्राई की सिफारिशोंं के खिलाफ होंगे, जो उसने इन-फ्लाइट संचार सेवा के लिए की थी। ट्राई ने इस तरह की सेवाएं प्रदान करने के लिए विदेशी उपग्रह और गेटवे के इस्तेमाल की सिफारिश की थी। लेकिन दूरसंचार विभाग का निर्णय लेने वाले शीर्ष निकाय दूरसंचार आयोग ने प्रस्तावित इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी का प्रस्ताव स्वीकार करते हुए उसमें विदेशी उपग्रह के इस्तेमाल को खारिज कर दिया था। दूरसंचार विभाग ने ट्राई से इस मामले पर स्पष्टीकरण भी मांगा था लेकिन विदेशी उपग्रहों के इस्तेमाल की अनुमति को लेकर नियामक अपनी सिफारिशोंं पर कायम रहा। गृह मंत्रालय, अंतरिक्ष विभाग, नागरिक उड्डयन मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय के साथ खुफिया एजेंसियों के अधिकारियोंं की समिति ने फैसला किया कि इन फ्लाइट कनेक्टिविटी सेवा के लिए गेटवे भारत में होना चाहिए। सूत्र ने कहा, 'इन फ्लाइट कनेक्टिविटी नियमों को लेकर रुख में कोई भी बदलाव नहीं होगा।'
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