महाराष्ट्र सरकार ने आज बंबई उच्च न्यायालय से कहा कि उसे यह तय करने में नौ हफ्ते का वक्त लगेगा कि मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे पर टोल वसूला जाए या नहीं। राज्य सरकार ने कहा कि उसे इस मामले में महाराष्ट्र राज्य पथ विकास निगम (एमएसआरडीसी) की रिपोर्ट का इंतजार है। न्यायमूर्ति ए एस ओका और न्यायमूर्ति रियाज चागला का खंडपीठ चार कार्यकर्ताओं की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था। याचिकाओं में मांग की गई है कि ठेकेदार कंपनी म्हैषकर इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को एक्सप्रेसवे पर टोल वसूलने के लिए दिए गए अधिकार को रद्द किया जाए। याचिकाओं के मुताबिक प्रदेश प्राधिकार के साथ हुए करार के मुताबिक ठेकेदार पहले ही परियोजना की लागत वसूल चुका है और इसके बावजूद टोल वसूली जारी है। इससे ठेकेदार को गलत तरीके से लाभ हो रहा है। पिछले साल जुलाई में सरकार ने उच्च न्यायालय को बताया था कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने आरोपों की जांच शुरू की है। अदालत ने इस महीने के शुरू में एसीबी को निर्देश दिया था कि वह मामले की जांच से जुड़ी फाइल उसके समक्ष पेश करे और सरकार तथा एमएसआरडीसी से भी यह जानना चाहा कि उसने एक्सप्रेसवे पर टोल जारी रखने को लेकर कोई फैसला किया है या नहीं। सरकारी वकील अभिनंदन वागयानी ने आज सीलबंद जांच रिपोर्ट सौंपी। अदालत ने इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 2 जुलाई की तारीख तय की है।
