► सामाजिक सुरक्षा कवर के तहत ईपीएफओ बना रहा है इसकी योजना
► एक महीना बेरोजगार रहने पर पीएफ की 60 फीसदी राशि या फिर 3 महीने के वेतन के बराबर राशि, जो भी कम हो, निकाल सकता है
► तीन महीने से अधिक समय तक बेरोजगार रहने पर पीएफ की 80 फीसदी राशि या फिर 2 महीने के वेतन के बराबर राशि, जो भी कम हो, निकाल सकता है
► मौजूदा नियम में लगातार दो महीने तक बेरोजगार रहने पर पीएफ की पूरी निकासी की जा सकती है
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को बेरोजगारी के दौरान सामाजिक सुरक्षा कवर देने पर विचार कर रहा है। अगर ऐसा हुआ तो आप नौकरी छूटने के बाद भी भविष्य निधि (पीएफ) में जमा पूरी राशि नहीं निकाल पाएंगे। पीएफ निकासी के बढ़ते मामलों से चिंतित ईपीएफओ ने एक प्रस्ताव तैयार किया है जिसके मुताबिक उसके सदस्य अपनी कुल बचत की केवल 60 फीसदी राशि ही निकाल सकेंगे।
हालांकि कानूनी जानकारों का कहना है कि इसे अदालत में चुनौती मिल सकती है। अगर प्रस्ताव को हरी झंडी मिली तो कुछ मामलों में सदस्य केवल 3 महीने के वेतन के बराबर पीएफ ही निकाल सकेंगे। कम से कम एक महीने बेरोजगार रहने के बाद ही सदस्य इस अग्रिम राशि को निकाल सकेगा। शेष राशि सेवानिवृत्ति के समय ब्याज के साथ कर्मचारी के बैंक खाते में डाल दी जाएगी। पीएफ सदस्यों की सदस्यता बरकरार रखने और बेरोजगारी के समय सामाजिक सुरक्षा की जरूरतों को पूरा करने के लिए ईपीएफओ ने यह प्रस्ताव रखा है।
अभी सदस्यों को नौकरी छोडऩे के 2 महीने बाद पीएफ की पूरी राशि निकालने की अनुमति है। इस बारे में ईपीएफओ का कहना है कि सेवानिवृत्ति की उम्र से पहले ही बड़ी संख्या में कर्मचारी पीएफ की निकासी कर रहे हैं। इससे उनकी सदस्यता जल्दी खत्म हो जाती है और उनकी तथा उनके परिवार की सामाजिक सुरक्षा प्रभावित होती है। प्रस्ताव को लागू करने के लिए श्रम एवं रोजगार मंत्रालय को एक अधिसूचना के जरिये ईपीएफ योजना 1952 में बदलाव करने होंगे। ईपीएफओ के एक अधिकारी ने बताया कि निकासी दावों में से करीब 80 फीसदी ऐसे होते हैं जो अभी परिपक्व नहीं हुए हैं।
मौजूदा नियमों में बेरोजगार होने की स्थिति में अग्रिम राशि का प्रावधान नहीं है। इस वजह से सदस्य सामाजिक सुरक्षा की पूरी राशि निकाल लेते हैं। इस तरह सदस्यता जल्दी खत्म होना सदस्य और उसके परिवार को सामाजिक सुरक्षा दिलाने के लक्ष्य के खिलाफ है। इसलिए बेरोजगारी के दौरान सदस्य को सामाजिक सुरक्षा कवर दिलाने की तत्काल जरूरत है। अलबत्ता अगर कोई व्यक्ति लगातार 3 महीने से अधिक समय तक बेरोजगार रहता है तो फिर वह 80 फीसदी तक पीएफ और उस पर अर्जित ब्याज या फिर दो महीने के वेतन के बराबर राशि, जो भी कम हो, निकाल सकता है।
सेंटर ऑफ इंडिया टे्रड यूनियंस के उपाध्यक्ष और ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड के सदस्य ए के पद्मनाभन ने कहा, 'इसके दो पहलू हैं। अगर किसी कामगार को कुछ ही दिन में नई नौकरी मिल जाती है तो वह पीएफ की राशि अपने नए खाते में डाल सकता है। लेकिन अगर वह पूरी तरह बेरोजगार हो जाता है और उसकी कमाई का कोई साधन नहीं है तो फिर उसे अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए पीएफ की पूरी राशि निकालने की अनुमति मिलनी चाहिए।'
श्रम मामलों के वकील रामप्रिय गोपालकृष्णन ने कहा, 'सरकार की मंशा सेवानिवृति के वक्त कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा मुहैया कराने की है। हालांकि यह फैसला कर्मचारियों पर ही छोड़ दिया जाना चाहिए कि वे अपनी नौकरी छोड़ते वक्त पैसा लेना चाहते हैं या फिर सेवानिवृति के वक्त।'