कोस्टल एनर्जेन का हिस्सा बेचेगा बैंकों का कंसोर्टियम | टी ई नरसिम्हन / चेन्नई June 15, 2018 | | | | |
कोस्टल एनर्जेन प्राइवेट लिमिटेड के लेनदार कंपनी को बेचने जा रहे हैं। 24 अरब रुपये वाले कोयला व तेल समूह का हिस्सा कोस्टल एनर्जेन ने तमिलनाडु में टुटुकोडी में 1200 मेगावॉट का कोयला आधारित तापीय संयंत्र विकसित किया है और 30 दिसंबर 2016 को इसका कर्ज 60 अरब रुपये से ज्यादा था। इसकी तापीय विद्युत परियोजना उनमें शामिल थी जिसके साथ राज्य सरकार ने सितंबर 2015 में वैश्विक निवेशक सम्मेलन के दौरान एमओयू पर हस्ताक्षर किए थे और 156.20 अरब रुपये के निवेश का दावा किया गया था।
भारतीय स्टेट बैंक की अगुआई वाले कंसोर्टियम ने एसबीआई कैपिटल मार्केट्स लिमिटेड को ऐसे निवेशक की पहचान करने का जिम्मा सौंपा है जो भारतीय रिजर्व बैंक के नियम के मुताबिक कंपनी का अधिग्रहण करना चाहते हों। बैंकों के कंसोर्टियम ने कंपनी के बकाया कर्ज के एक हिस्से को इक्विटी शेयर में बदला था, जो कंपनी के कुल इक्विटी शेयर का करीब 51 फीसदी बैठता है। इसमें एसबीआई की हिस्सेदारी करीब 18.54 फीसदी, पीएनबी की 5.77 फीसदी है जबकि अन्य बैंक सेंट्रल बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, इंडियन बैंक और यूको बैंक के पास कंपनी की 5-5 फीसदी से कम हिस्सेदारी है।
कंपनी अभी 600 मेगावॉट की दो तापीय संयंत्र (आयातित कोयला पर आधारित) का परिचालन कर रही है और लेनदारों से इसके लिए विभिन्न तरह के कर्ज की सुविधा ली है। इसके लिए कोयले का आयात खुले बाजार के जरिए होता है। यूनिट-1 परियोजना से उत्पादित 558 मेगावॉट बिजली के लिए तमिलनाडु डिस्कॉम के साथ गठजोड़ है और यह 15 साल के लिए 4.69 रुपये प्रति किलोवॉट आवर की दर पर है और यह 30 सितंबर 2028 तक समाप्त होगा। दूसरी इकाई के साथ लंबी अवधि का बिजली खरीद समझौता नहीं है। कंपनी ने 18.80 अरब रुपये का शुद्ध राजस्व और 7.26 अरब रुपये का एबिटा 31 मार्च 2017 को समाप्त वर्ष में दर्ज किया। 30 दिसंबर 2016 को इसका बकाया कर्ज 61.32 अरब रुपये था और 31 मार्च 2017 को कार्यशील पूंजी 8.31 अरब रुपये था।
पहली यूनिट को ग्रिड के साथ 7 सितंबर 2014 को जोड़ा गया और इसने 600 मेगावॉट का पूरा लोड 2 दिसंबर 2014 को हासिल किया। इस इकाई से उत्पादित बिजली के लिए ट्रांसजेडको के साथ 15 साल के लिए गठजोड़ है। हिस्सेदारी के अधिग्रहण में रुचि रखने वाले पक्षकारों से अभिरुचि पत्र मंगाने वाले दस्तावेज में एसबीआई कैपिटल मार्केट्स ने कहा है, अच्छी टैरिफ पर बिजली खरीद समझौता न होने के चलते कंपनी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है और यह लेनदारों से लिए कर्ज को चुकाने में सक्षम नहीं हो पा रही है।
|