बिटकॉइन की पहेली | |
संपादकीय / 06 05, 2018 | | | | |
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बैंकों को क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज से हर तरह के लेनदेन और सेवाओं के समापन की तय मियाद खत्म होने से एक महीने पहले ही गुजरात से बिटकॉइन से जुड़े सिलसिलेवार घोटालों की खबरें सामने आ रही हैं। केंद्रीय जांच ब्यूरो एक मामले की जांच कर रहा है जिसमें उच्च पदस्थ पुलिस अधिकारी कथित तौर पर अपहरणकर्ताओं से बिटकॉइन की वसूली में शामिल थे। इन अपहरणकर्ताओं ने क्रिप्टोकरेंसी में फिरौती मांगी थी। एक अन्य मामले में रातोरात गायब होने वाले एक व्यक्ति ने कई लोगों पर यह दबाव बनाया कि वे बिटकॉइन में निवेश करें। उसने सालाना 365 फीसदी प्रतिफल की पेशकश की और करीब 1,300 बिटकॉइन लेकर फरार हो गया। यह विडंबना ही है कि नोटबंदी ने शायद क्रिप्टोकरेंसी की लोकप्रियता बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई। इनसे संबंधित एक्सचेंज तो नोटबंदी से पहले भी मौजूद थे लेकिन कई भारतीय कारोबारियों को इस मुद्रा की उपयोगिता उन दिनों समझ में आई जब वे नकदी के संकट से जूझ रहे थे। सन 2017 के मध्य तक भारत वैश्विक स्तर पर क्रिप्टोकरेंसी के कारोबार वाले शीर्ष तीन-चार देशों में शुमार हो गया। यह कारोबार अब अजब नियामकीय दुविधा में फंसा हुआ है क्योंकि भारत में यह मुद्रा न तो वैध है और न ही अवैध।
बीते कुछ सालों में यह स्पष्टï हो गया है कि इनका कारोबार रोक पाना लगभग असंभव है। क्र्रिप्टोकरेंसी लेनदेन करना निहायत आसान है। अगर कोई चाहे तो इसे एक्सचेंज से इतर भी अंजाम दिया जा सकता है और जरूरी नहीं कि इसका रिकॉर्ड मौजूद रहे। बिटकॉइन की बात करें तो अगर कोई बेनामी कारोबारी कारोबार करना चाहता है तो उसे केवल डिजिटल वॉलेट का पासवर्ड याद रखने की आवश्यकता है। वही व्यक्ति चाहे तो लाखों अन्य वॉलेट भी रख सकता है। बिटकॉइन को दुनिया के कई एक्सचेंज पर खरीदा और बेचा जा सकता है। इसका भुगतान कई तरह की वैध मुद्राओं में किया जा सकता है और इसे कहीं भी बैंक खाते में स्थानांतरित किया जा सकता है। ऐसे कारोबार को पकड़ पाना बेहद मुश्किल साबित होता है। क्रिप्टोकरेंसी की यह प्रकृति सन 2009 के ग्रीक संकट के समय उभर कर सामने आई जब कई लोगों ने बिटकॉइन को यूरो में खरीद और डॉलर में बेचकर मुद्रा की परिवर्तनीयता पर लगी रोक को धता बता दिया। चीन कई वर्ष से क्रिप्टोकरेंसी कारोबार को रोकने का प्रयास कर रहा है और आखिरकार निहायत अनिच्छुक ढंग से वह इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि नियमन और मान्यता प्रदान करना ही इससे निपटने का कहीं अधिक समझदारी भरा कदम होगा।
भारतीय केंद्रीय बैंक ने एक विचित्र स्थिति बना दी है। उसने वैध एक्सचेंजों पर पर उन लोगों द्वारा इसके कारोबार को मान्य किया है जो केवाईसी कराने को राजी हों और पूंजीगत लाभ कर चुकाने को तैयार हों। हवाला रास्तों को काफी गति मिली है क्योंकि अपराधियों को अवैध विदेशी मुद्रा परिवर्तन के लिए यह उपाय बहुत पसंद आया है। इसके अलावा यह अवैध वस्तुओं और सेवाओं के बदले भुगतान का भी अच्छा तरीका है। अधिकांश सरकारों को यह करेंसी पसंद नहीं है। बहरहाल, जापान, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया जैसे देशों की सरकारों ने समझदारी दिखाते हुए इनको स्वीकार कर लिया है और इनके कारोबार की निगरानी के लिए नियामकीय व्यवस्था कायम कर दी है। हमें भी यही रास्ता अपनाना चाहिए। यह स्पष्टï है कि प्रतिबंध लगाने से काम नहीं चलेगा और जिन भारतीयों ने मार्च में आरबीआई के निर्देश आने के पहले वैध तरीके से एक्सचेंज पर इनका कारोबार किया उनको यह अधिकार मिलना चाहिए कि वे बिना कानून तोड़े अपनी संपत्ति का इस्तेमाल कर सकें। सरकार को क्रिप्टोकरेंसी पर अपनी नीति की तत्काल समीक्षा करनी चाहिए।
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