म्युचुअल फंडों की योजनाओं को वर्गीकृत करने और इसे व्यवस्थित किए जाने के बाजार नियामक सेबी के कदम के बाद फंडों की योजनाओं की संख्या में करीब तीन फीसदी की कमी आई है। सितंबर और मई के बीच 28 योजनाओं का विलय हुआ है। इनमें से ज्यादातर डेट योजनाएं हैं। वैल्यू रिसर्च के आंकड़ों से यह जानकारी मिली। इक्विटी श्रेणी में फंडों की संख्या एक फीसदी घटी है और डेट श्रेणी की फंडों की संख्या 26 घटी है। आज ओपन एंडेड योजनाओं की संख्या 977 है, जो सेबी की तरफ से अक्टूबर में जारी परिपत्र से पहले के आंकड़ों के मुकाबले तीन फीसदी कम है।
विशेषज्ञों का मानना है कि नए निर्देश के तहत फंडों की श्रेणी म्युचुअल फंड हाउस को अलग श्रेणी में मौजूदा योजनाएं जारी रखने का पर्याप्त विकल्प उपलब्ध कराती है, जो प्रभावी रूप से बड़े पैमाने पर एकीकरण की गुंजाइश घटाता है। सेबी ने मोटे तौर पर इक्विटी फंडों की सभी योजनाओं को 10 श्रेणी में, डेट फंडों को 16 श्रेणी में और हाइब्रिड फंडों को छह श्रेणियों में वर्गीकृत किया है। दिशानिर्देश के मुताबिक, एक श्रेणी में सिर्फ एक योजना हो सकती है। अतिरिक्त योजनाओं को या तो बंद किया गया है, या इसका विलय कर दिया गया है या इसके फंडामेंटल में बदलाव किए गए हैं। विशेषज्ञों ने कहा, कुछ फंड हाउस ने विलय से परहेज किया है और इसके बजाय अपने फंडों की स्थिति में बदलाव किया है।
एक अधिकारी ने कहा, अगर किसी फंड हाउस के पास मल्टी-कैप फंड है तो वह इनमें से दो को आसानी से सेक्टोरल या थीमेटिक फंडों में परिवर्तित कर सकता है। इस तरह से उसे परिसंपत्तियां नहीं गंवानी होगी, जब तक कि निवेशक योजनाओं से बाहर निकलने का फैसला न ले ले। वैल्यू रिसर्च के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले आठ महीने में 315 योजनाओं ने अपने नाम बदले हैं। अक्टूबर में फंड हाउस को दो महीने के भीतर सेबी के पास वर्गीकरण का प्रस्ताव जमा कराने को कहा गया था।