इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के 50 दिनों तक चले धूम धड़ाके को 20 करोड़ से ज्यादा दर्शकों ने वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म 'हॉटस्टार' पर देखा। रविवार को खत्म हुए आईपीएल को स्टार इंडिया के 70 करोड़ से ज्यादा दर्शकों में से 28 फीसदी दर्शकों ने इस साल इस क्रिकेट इवेंट का ऑनलाइन लुत्फ उठाया। शुरुआती आंकड़ों के मुताबिक आईपीएल के पिछले साल के 50 करोड़ दर्शकों के मुकाबले इस साल कुल दर्शकों की तादाद में 40 फीसदी तक की वृद्धि हुई और इस साल ऑनलाइन दर्शकों की तादाद दोगुने से ज्यादा थी। इस साल मैच को लाइव दिखाया गया जिसका फायदा मिला जबकि पिछले साल प्रसारण में पांच मिनट का अंतराल हुआ करता था। दिलचस्प बात यह है कि पिछले साल के 40 करोड़ दर्शकों के मुकाबले टीवी दर्शकों की तादाद में 25 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है क्योंकि स्टार ने दक्षिण के साथ-साथ अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में भी आक्रामक विस्तार किया। स्टार इंडिया के प्रबंध निदेशक संजय गुप्ता कहते हैं, 'अगले पांच सालों में ऑनलाइन और टीवी दर्शकों की संख्या में बढ़ोतरी होगी और ये दोनों एक-दूसरे के पूरक होंगे। इसकी वजह यह है कि देश में अब तक बाजार की संभावनाओं को पूरी तरह से खंगाला नहीं गया है और टीवी देखने की रफ्तार अब भी कम है। स्टार ने ऑनलाइन और टीवी प्रसारण, सभी माध्यमों को एक साथ पेश करने पर बड़ा दांव लगाया है।' स्पष्ट तौर पर दांव लगाना रंग दिखा रहा है। पहली बार स्टार इंडिया ने डिजिटल और टीवी विज्ञापन स्पॉट की बिक्री बड़ी कंपनियों को प्रीमियम दर पर की है और आईपीएल के प्रमुख प्रायोजकों में कोक और वीवो जैसी कंपनियां रही हैं। गुप्ता का कहना है कि डिजिटल और टीवी दोनों ही क्षेत्रों के लिए 125 विज्ञापनदाताओं ने विज्ञापन स्पॉट खरीदे। नतीजतन स्टार इंडिया ने विज्ञापन के जरिये 20 अरब रुपये से ज्यादा की कमाई की जो पिछले साल सोनी की कमाई के मुकाबले करीब 50 फीसदी ज्यादा है। केवल स्टार इंडिया ही इस बदलाव की अहमियत को नहीं समझ रहा। करीब 30 ओवर दि टॉप (ओटीटी) चैनलों (वैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म जिन्हें मोबाइल के जरिये देखा जा सकता है) ने ओटीटी ऐप पर खेल, फिल्में, वीडियो और विशेष सामग्री देखने की मांग करने वाले दर्शकों के लिए विशेष रणनीति तैयार करने की कोशिश की है जिनमें प्रसारणकर्ता, दूरसंचार कंपनियां और एमेजॉन तथा नेटफ्लिक्स जैसी अंतरराष्ट्रीय कंपनियां शामिल हैं। ईऐंडवाई के मुताबिक देश के ऑनलाइन वीडियो दर्शकों की तादाद 2020 तक बढ़कर दोगुनी यानी 50 करोड़ तक हो जाएगी और मोबाइल डेटा में वीडियो की हिस्सेदारी 79 फीसदी तक होगी जो 2015 में 40 फीसदी तक थी। कुल विज्ञापन खर्च में डिजिटल विज्ञापन की हिस्सेदारी 17 फीसदी तक है जो 2020 तक 22 फीसदी होने की उम्मीद है। ऐसे में निश्चित तौर पर इसमें कमाई की आकर्षक संभावनाएं हैं। दूरसंचार कंपनियां भी सभी माध्यमों को एक साथ लाने में अहम भूमिका निभा रही हैं। कम कीमतों पर डेटा की पेशकश करने के अलावा रिलायंस जियो और भारती एयरटेल घरों को फाइबर टू दि होम (एफटीटीएच) के जरिये जोडऩे के लिए बड़ा निवेश कर रही है जो बेहद कम कीमत पर 100 जीबीपीएस ब्रॉडबैंड स्पीड देता है। कंपनी के एक सूत्र ने बताया, 'जियो पहले चरण में देश के 10 करोड़ घरों तक अपनी पहुंच बनाना चाहती है और इसने एफटीटीएच के साथ देश में 30 प्रमुख शहरों को कवर किया है। इसके परीक्षण का दौर पहले से ही शुरू हो चुका है।' एफटीटीएच क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है क्योंकि यह न केवल बड़ी मात्रा में तेज रफ्तार वाले डेटा की पेशकश करेगा बल्कि यह ग्राहकों को एचडी और 4के तकनीक पर इंटरैक्टिव प्रोग्राम का लुत्फ उठाने का मौका भी देगा।
