दुनिया में मसाले का सबसे बड़ा उत्पादक वियतनाम काली मिर्च की कीमतों को कम कर सकता है। काली मिर्च की मांग में कमी के कारण इस गिरावट की गुंजाइश हो रही है।
गौरतलब है कि पिछले 8-10 हफ्तों के दौरान वियतनाम में काली मिर्च व मसाले की कीमत काफी ऊंचे स्तर पर देखा गया।3975 डॉलर प्रतिटन के स्तर पर मौजूद एएसटीए ग्रेड की काली मिर्च की कीमत में 300-350डॉलर प्रतिटन तक की कटौती का अनुमान है। काली मिर्च की बिक्री बढ़ाने के लिए मूल्य में कटौती की रणनीति को उसकी बिक्री रणनीति में एक बड़ा परिवर्तन माना जा रहा है।
जानकारों का मानना है कि देश में काली मिर्च का बड़ा भंडार होना, किसानों व व्यापारियों पर अपने स्टॉक की बिक्री के लिए दबाव डाल र हा है। जनवरी से मार्च के दौरान वियतनाम ने 15,000 टन काली मिर्च का निर्यात किया है जबकि उसके पास 60,000 से 65,000 टन काली मिर्च के भंडार होने का अनुमान है।
इस साल अब तक 80-85 फीसदी तक की पैदावार हो पाई है और जनवरी से मार्च के दौरान अपेक्षाकृत निर्यात के कम रहने से इस महीने के अंत तक इसके स्टॉक में थोड़ी कमी आ सकती है। बिक्री की रणनीति में बदलाव लाये जाने की यह सबसे बड़ी वजह बताई जा रही है। फिलहाल वहां महंगाई दर 12.5 फीसदी तक पहुंच चुकी है। जबकि बैंकों के ब्याज दरों में भी तेजी से बढ़ोतरी हुई है।
इस कारण वियतनाम के किसानों व व्यापारियों पर अपने भंडार को बेचने का भारी दबाव है। हालांकि पिछले वर्ष काली मिर्च की कीमत में बढ़ोतरी की गई थी। अप्रैल में वहां के अधिकतर लोन बैंकों को या तो लौटाना पड़ता है या उसका नवीनीकरण कराना होता है। अपने कर्जों को चुकाने के लिए वहां के व्यापारी व किसान अपने भंडारों को बेच देते हैं।
यह भी देखा गया है कि पिछले कुछ महीनों में कॉफी के व्यापारियों व निर्यातकों को निर्यात में 12.5 करोड़ डॉलर का नुकसान हो गया है। इसके चलते भी काली मिर्च के कारोबार से जुड़े लोगों पर भारी दबाव है।
दूसरी ओर अमेरिकी मंदी व यूरोपीय संघ के खरीदारों की इंतजार करो की रणनीति भी काली मिर्च की मांग में उल्लेखनीय कमी लाने में योगदान दे रही है। ब्राजील व इंडोनेशिया जैसे देश भी कम स्टॉक होने के बावजूद इसके कारोबार में निष्क्रिय रहे। एक अनुमान के मुताबिक अगले तीन महीनों में काली मिर्च की वैश्विक मांग 40,000 टन तक पहुंच जाएगी।