फ्युरा जेम्स की नजर बंदर हीरा खदान पर | |
दिलीप कुमार झा / मुंबई 04 22, 2018 | | | | |
वैश्विक खनिक रियो टिंटो द्वारा बंदर परियोजना के लिए अपना खनिज अन्वेषण लाइसेंस मध्य प्रदेश सरकार को सौंपने के एक साल बाद कनाडा स्थित फ्युरा जेम्स ने हीरा खनन के लिए खदान हासिल करने में रुचि दिखाई है। 2017 में स्थापित फ्युरा जेम्स एक स्टार्ट-अप है जो फिलहाल मोजाम्बिक में एक माणिक खदान और कोलम्बिया में एक पन्ना खदान का परिचालन करती है। कंपनी ने रत्नों के अन्वेषण में अपनी उपस्थिति दिखाने के लिए क्रमश: नवंबर 2017 और जनवरी 2018 में इन खदानों का अधिग्रहण किया था।
टोरंटो स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध फ्युरा जेम्स बंदर परियोजना के लिए अन्वेषण की शुरुआत करने के लिए पहले ही मध्य प्रदेश सरकार को अपना आशय पत्र प्रस्तुत कर चुकी है। यह घटनाक्रम इसलिए महत्त्वपूर्ण माना जा रहा क्योंकि रियो टिंटो पिछले 10 सालों से बंदर परियोजना में अन्वेषण गतिविधि पर एक बड़ी राशि का निवेश कर रही थी और हीरे का खनन भी किया था। हालांकि, वाणिज्यिक उत्पादन की शुरुआत से ठीक पहले ही रियो टिंटो ने 'शून्य' लागत पर बंदर परियोजना का खनन लाइसेंस राज्य सरकार को सौंपकर भारत से जाने के अपने फैसले की घोषणा कर दी। इसका मतलब यह है कि रियो टिंटो द्वारा किया गया पूरा निवेश घाटे में गया। कंपनी ने इस परियोजना में हीरे के नमूनों के अन्वेषण के लिए राज्य सरकार को बतौर रॉयल्टी 64 लाख रुपये का भुगतान किया था।
फ्युरा जेम्स के अध्यक्ष और मुख्य कार्याधिकारी देव शेट्टी ने कहा कि हम कुछ समय से इस परियोजना पर नजर रखे हुए थे। यही वजह है कि हमने रियो टिंटो की बंदर परियोजना के शीर्ष प्रबंधन दल को नियुक्त किया। हमने इस स्थान पर अन्वेषण शुरू करने के लिए राज्य सरकार को अपना आशय पत्र जमा कर दिया है और सरकार की खदान नीलामी की प्रतीक्षा कर रहे हैं। मध्य प्रदेश में बंदर परियोजना भारत में एकमात्र ऐसी क्रियाशील हीरा खदान है जिसमें अन्वेषण व्यावहारिक होने का अनुमान है। इस खदान में तकरीबन 3.5 करोड़ टन अयस्क है जिसमें अगले 20 सालों के लिए औसत अन्वेषण 19 लाख टन होने का अनुमान है।
शेट्टी ने कहा कि रियो टिंटो द्वारा एक महत्त्वपूर्ण अन्वेषण कार्य किया गया है। इसलिए, हम वहीं से अन्वेषण शुरू करेंगे, जहां रियो टिंटो ने छोड़ दिया था। हमें उम्मीद है कि वाणिज्यिक परिचालन दो साल में शुरू हो जाएगा। जानकार सूत्रों ने कहा कि रियो टिंटो को सरकार की ओर से भारत में ही कच्चे हीरे की नीलामी करने के दबाव का सामना करना पड़ रहा था। लेकिन कंपनी कच्चे हीरे के उत्पादन को भारत के बाहर विभिन्न नीलामी केंद्रों में ले जाने पर जोर दे रही थी। कंपनी का तर्क था कि यह सारा हीरा उत्पादन अंतत: भारत में ही आ जाएगा, क्योंकि कच्चे हीरों का प्रसंस्करण करने वाला यह दुनिया का सबसे बड़ा देश है। प्रत्येक 13 कच्चे हीरों में से 11 का प्रसंस्करण भारत में किया जाता है।
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