► कई राज्यों में निकासी दर जमा दर से कहीं ज्यादा ► सरकार ने आरबीआई और बैंकों के साथ की समीक्षा ► सरकार का दावा, गंभीर नहीं है नकदी संकट
कई राज्यों में नकदी की किल्लत की शिकायतें आने के बाद वित्त मंत्रालय ने आज रिजर्व बैंक, विभिन्न बैंकों और राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ एक बैठक कर एटीएम में नकदी की उपलब्धता की समीक्षा की। अर्थव्यवस्था में नकदी प्रवाह नोटबंदी के पहले के स्तर की तरफ बढ़ रहा है लेकिन कई राज्यों को नकदी की कमी से जूझना पड़ रहा है। आरबीआई द्वारा हाल में वित्त मंत्रालय को सौंपे गए दस्तावेजों के मुताबिक देश के कई राज्यों में नकदी निकासी की दर जमा दर से कहीं ज्यादा है। इनमें आंध्र प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और तेलंगाना शामिल हैं। बिज़नेस स्टैंडर्ड ने इन दस्तावेजों को देखा है।
वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'हमने आरबीआई के अधिकारियों, बैंकों और राज्यों के साथ आज एक बैठक की। राज्यों में नकदी संकट की स्थिति बहुत गंभीर नहीं है। हालांकि खासकर बिहार और मणिपुर जैसे कुछ राज्यों को कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है और बैंकों को एटीएम में बराबर नकदी डालने को कहा गया है।' अधिकारी ने कहा कि नकदी की कमी की समस्या कुछ राज्यों तक ही सीमित है। इसके कई कारण हैं। इनमें बैंकों द्वारा सही ढ़ंग से नकदी प्रवाह का प्रबंधन नहीं करना, एटीएम को दुरुस्त किए जाने की प्रक्रिया और लॉजिस्टिक से जुड़े मुद्दे शामिल हैं।
आरबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि देश में नकदी की कोई कमी नहीं है और आर्थिक गतिविधियों में उतारचढ़ाव के कारण स्थानीय मांगों के चलते यह स्थिति पैदा हो सकती है। अधिकारी ने कहा, 'कटाई (रबी फसल) के दौरान लेनदेन बढ़ जाता है। हमेशा अस्थायी तौर पर नकदी की कमी हो जाती है। जब भी हमें करेंसी चेस्ट से नकदी की कमी के बारे में जानकारी मिलती है तो हम तुरंत वहां नकदी भेज देते हैं। इस समय नोटबंदी से पहले के दौर से ज्यादा नोट चलन में हैं। इसलिए नकदी की कमी की खबर सही नहीं है।'
सरकार ने 8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी की घोषणा की थी और इससे 4 दिन पहले 500 और 1,000 रुपये के 17.74 लाख करोड़ रुपये के नोट चलन में थे। इस समय 18.04 लाख करोड़ रुपये के नोट चलन में हैं। तबसे अर्थव्यवस्था बढ़ी है लेकिन उस रफ्तार में चलन में नोटों की संख्या नहीं बढ़ी है। इससे इस विसंगति को समझा जा सकता है लेकिन स्थानीय चुनाव जैसे कारण नोटों की जमाखोरी में अहम भूमिका निभाते हैं। अहम चुनावों से पहले नोटों की कमी कोई असामान्य बात नहीं है।
सूत्रों के मुताबिक उत्तर बिहार में एटीएम में नकदी इसलिए नहीं है क्योंकि परिवहन दिक्कतों के कारण राज्य के अन्य इलाकों में स्थित करेंसी चेस्ट से वहां नकदी नहीं जा पा रही है। अगले कुछ दिनों में वहां स्थिति सामान्य होने की संभावना है। एक सरकारी बैंक के एक वरिष्ठïअधिकारी ने कहा कि पिछले सप्ताह वित्त मंत्रालय ने बैंकों से प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में स्थित एटीएम में नकदी की समस्या दूर करने को कहा था।
वित्तीय सेवाओं के विभाग के सचिव राजीव कुमार ने कर्नाटक में नकदी की किल्लत को दूर करने के लिए पिछले हफ्ते बैंक कार्याधिकारियों के साथ बैठक की थी। सूत्रों ने कहा, 'कर्नाटक में हाल के दिनों में नकद निकासी काफी ज्यादा बढ़ गई है। मार्च के अंत में बैंकों में लगातारअवकाश था जिससे थोड़े समय के लिए एटीएम खाली हो गए थे।' वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, '200 रुपये के नोट आने से एटीएम में बदलाव करने की भी समस्या आई। हालांकि बैंकों से इस समस्या को तत्काल दूर करने के लिए कहा गया था।'
बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मध्य प्रदेश के एटीएम में भी नकदी की किल्लत देखी जा रही है। इसके साथ ही बिहार, आंध्र प्र्रदेश और तेलंगाना से भी एटीएम के खाली रहने की खबर है। इन राज्यों के कस्बाई और ग्रामीण इलाकों में समस्या ज्यादा गंभरी है। हालांकि दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों में करेंसी चेस्ट का आकार बड़ा होने से इस तरह की कोई समस्या नहीं है। एसबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'जिन इलाकों के करेंसी चेस्ट में नकदी की कमी की खबर मिल रही है, वहां हम अतिरिक्त नोट भेज रहे हैं। लेकिन हम रातोंरात सुदूरवर्ती इलाकों में नोट नहीं भेज सकते हैं।'
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