टोल नीति में बदलाव ► राजमार्गों पर जियो-फेंसिंग सुविधा लागू करने की तैयारी ► दिल्ली-मुंबई राजमार्ग पर जल्द शुरू हो सकता है परीक्षण ► राजमार्ग पर जितनी दूरी तय करेंगे, उतनी दूरी का ही वसूला जाएगा टोल अब आप अपने वाहन से राष्ट्रीय राजमार्ग पर जितनी दूरी की यात्रा करेंगे आपसे टोल भी उतनी ही दूरी का लिया जाएगा। जब भी आप राष्ट्रीय राजमार्ग पर टोल अदा करेंगे, तो सड़क पर आपके वाहन द्वारा तय की गई वास्तविक दूरी पर 'जियो-फेंसिंग' से नजर रखी जाएगी। इस सुविधा का प्रायोगिक परीक्षण अगले कुछ हफ्तों में दिल्ली-मुंबई राजमार्ग पर शुरू होने की उम्मीद है। इस बारे में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय तथा भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) तय की गई दूरी के आधार पर टोल वसूली के प्रस्ताव को अंतिम रूप देने जा रहा है।जियो-फेंसिंग में वचुर्अल भौगोलिक सीमा के लिए जीपीएस या आरएफआईडी तकनीक का उपयोग किया जाता है, जिसकी मदद से साफ्टवेयर यह बताने में सक्षम होता है कि वाहन ने कब संबंधित क्षेत्र में प्रवेश किया या कब उस क्षेत्र से बाहर निकला। एक अधिकारी के अनुसार, 'वाहनों के प्रवेश और निकलने के आकलन के लिए जियो-फेंसिंग का प्रायोगिक परीक्षण अगले दो से तीन हफ्ते में दिल्ली-मुंबई राजमार्ग पर शुरू किया जाएगा।' इसके लिए राजमार्ग पर प्रत्येक प्रवेश और निकास स्थल टोल प्लाजा स्थापित किया जाएगा जिससे यह सुनिश्चित होगा कि यात्री को केवल तय की गई दूरी के लिए टोल शुल्क अदा करने की सहूलियत मिलेगी।राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (दरें एवं संग्रह निर्धारण) नियम, 2008 के मुताबिक शुल्क दरों को हर साल संशोधित किया जाएगा, जो प्रत्येक साल 1 अप्रैल से प्रभावी होंगी। मौजूदा नीति के अनुसार छह लेन वाली सड़क परियोजना में अगर चार लेन पहले से ही बनी हों तो टोल परियोजना के पूरा होने से पहले ही तत्काल वसूला जा सकता है।मामले के जानकार सूत्र ने बताया कि इस प्रस्ताव के लिए मौजूदा टोल-निर्धारण नीति में संशोधन करना होगा और उसे मंत्रिमंडल से मंजूरी लेनी होगी। जरूरी बदलावों के बारे में सड़क मंत्रालय और एनएचएआई में विचार-विमर्श हो रहा है। जियो-फेंसिंग पहल राष्ट्रीय राजमार्गों पर यात्रा को सुगम बनाने के सरकार के फास्टैग कदम के अनुरूप है। इस कदम का उद्देश्य टोल प्लाजा पर यातायात जाम को खत्म करना है, उसके साथ ही टोल राजस्व संग्रह में किसी तरह की चोरी को रोकना सुिनश्चित करना है। इस व्यवस्था को सितंबर 2017 में लागू किया गया था। वाहनों के शीशे पर लगे फास्टैग्स में रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन तकनीक का उपयोग होता है। इसके लिए टोल प्लाजा पर समर्पित लेन तय की गर्ई हैं, जहां वाहनों को कतार में खड़ा नहीं होना पड़ता है और शुल्क का भुगतान इलेक्ट्रॉनिक तरीके से हो जाता है।
