वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा है कि भारत को वैश्विक कारोबार व्यवस्था की नई चुनौतियों के लिए तैयार रहना होगा। उन्होंने अमेरिका द्वारा संरक्षण के लिए उठाए गए हाल के कदमोंं की ओर इशारा किया। प्रभु ने यह बयान संयुक्त राज्य के कारोबार से जुड़े अधिकारियोंं की भारत के साथ प्रमुख मसलोंं पर बैठक के एक दिन पहले यह कहा है। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के सालाना सत्र 2018 को संबोधित करते हुए प्रभु ने भारत के कारोबारी दिग्गजों के बीच कहा कि पूंजीवाद और बाजार व्यवस्था के माध्यम से दिन देशों को वैश्विक कारोबार का बहुत ज्यादा लाभ मिला है, वे अब एकतरफा फैसले कर रहे हैं, जिससे पूरी वैश्विक कारोबारी व्यवस्था के लिए चुनौती पैदा हुई है, जिसे बहुपक्षीय मंच विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू़टीओ) के तहत तैयार किया गया था। प्रभु ने कहा, 'हम एक चुनौतीपूर्ण लेकिन सही दौर से गुजर रहे हैं। अगर हमने सही चाल चली और हम उसकी कोशिश कर भी रहे हैं, तो हम वास्तव में वैश्विक स्तर पर उत्पन्न मुद्दों के इर्द-गिर्द अवसर सृजित कर इससे लाभान्वित हो सकते हैं और इसे एक अवसर के रूप में बदल सकते हैं।' मंगलवार को दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों के सहायक अमेरिकी कारोबार प्रतिनिधि मार्क लिनस्कॉट दिल्ली पहुंचने वाले हैं और वह वाणिज्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'इस बैठक का आधिकारिक एजेंडा महत्त्वपूर्ण कारोबारी नीति मंच (टीपीएफ) के लिए आधार तैयार करना है, जो इस साल होने को है। हालांकि हाल में लगाए गए तमाम करों और भारत सहित कारोबारी साझेदारों को अमेरिका की ओर से विवाद पैदा करने के विषय पर चर्चा पूरी नहींं होगी।' भारत ने कहा है कि अमेरिका के साथ बातचीत की राह खुली है। वह रणनीतिक हिस्सेदार है, लेकिन घरेलू उद्योग शुल्क बढऩे से चिंतित है। प्रभु ने कहा, 'मैं किसी चीज का खुलासा नहींं करना चाहता, लेकिन हम अमेरिका के साथ बहुत नजदीक से काम कर रहे हैं, जिससे कि भारत के हितों का उचित संरक्षण हो सके।' भारत के मामले में अमेरिका को होने वाला स्टील व एल्युमीनियम निर्यात कुल निर्यात का महज 2 प्रतिशत है। अमेरिका को 33 करोड़ डॉलर का कच्चा स्टील निर्यात होता है और स्टील उत्पादों के तैयार माल का निर्यात 2016-17 मेंं 123 करोड़ डॉलर का हुआ। एल्युमीनियम और एल्युमीनियम उत्पादों का कुल निर्यात 35 करोड़ डॉलर रहा है।
