विरोध की चपेट में सबसे बड़ी प्रस्तावित रिफाइनरी | अमृता पिल्लई और शाइन जैकब / मुंबई/नई दिल्ली April 01, 2018 | | | | |
दिसंबर 2016 में 3 सरकारी तेल विपणन कंपनियों भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (बीपीसीएल), हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (एचपीसीएल) और इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसीएल) ने 6 करोड़ टन क्षमता की बड़ी रिफाइनरी स्थापित करने को लेकर सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। उस समय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा था कि महाराष्ट्र के कोंकड़ क्षेत्र में संयंत्र लगाने के लिए समझौता हुआ है। एक साल से ज्यादा बीत जाने के बाद भी रत्नागिरि जिले में रिफाइनरी लगाने को लेकर जनता का समर्थन नहीं मिल पा रहा है। एक सरकारी अधिकारी ने नाम न दिए जाने की शर्त पर कहा, 'तीन कंपनियों के संयुक्त उद्यम (जेवी) ने औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग के सामने रिफाइनरी स्थापित करने का प्रस्ताव रखा। इस स्तर पर हम अभी सहमति पत्र पर हस्ताक्षर नहीं कर पाए हैं। इसकी एक सामानन्य वजह है कि राज्य सरकार को फैसला करना है और यह फैसला इस बात पर निर्भर है कि परियोजना को लेकर जनता का समर्थन है या नहीं।'
मुंबई में पिछले महीने हुए मैग्नेटिक महाराष्ट्र सम्मेलन में इस परियोजना के लिए एमओयू नहीं हो सका। इस महीने की शुरुआत में सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री खालिद अल फलीह ने कहा कि विश्व की सबसे बड़ी तेल कंपनी सऊदी अरामको ने रिफाइनरी में हिस्सेदारी लेने को लेकर समझौता किया है। रत्नागिरि जिले के भूमि अधिग्रहण प्राधिकरण ने इस परियोजना के लिए आपत्ति पत्र भेजा है। एक अन्य सरकारी अधिकारी ने कहा, 'परियोजना के लिए प्राथमिक अधिसूचना (भूमि अधिग्रहण के लिए) एमआईडीसी नियमों (राज्य सरकार की औद्योगिक विकास इकाई) के तहत जारी की गई। इसके बाद हमने आपत्तियों को लेकर सुनवाई की और अभी सुनवाई की प्रक्रिया चल रही है।'
पहले उल्लिखित अधिकारी ने कहा कि जनरा की राय आने के बाद आगे के कदम उठाए जाएंगे और मौजूदा राज्य विधानसभा सत्र खत्म होने के बाद ही परियोजना के भविष्य पर कोई फैसला हो सकेगा। संयुक्त उद्यम इकाई रत्नागिरि रिफाइनरी ऐंड पेट्रोकेमिकल्स (आरआरपी) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी अशोक ने कहा, 'हम इस परियोजना को लेकर आगे बढऩे को तैयार हैं। इस तरह की बड़ी रिफाइनरी (6 करोड़ टन क्षमता वाली) के लिए 15,000 एकड़ जमीन की जरूरत होगी, जबकि महज 800 परिवारों का विस्थापन होगा। यह चट्टानी जमीन है और इसका कृषि कार्य में बहुत ज्यादा इस्तेमाल नहीं होता है। जमीन के अधिग्रहण के मसले पर राज्य सरकार को ही अंतिम फैसला करना है।' आईओसीएल ने पहले भी इस तरह की योजना का प्रस्ताव किया था, लेकिन जमीन अधिग्रहण के मसले के कारण इसे मूर्त रूप नहींं दिया जा सका।
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव 2019 में होने हैं। इस महीने मुंबई में हुए किसानों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए सरकार सावधानी बरत रही है। उपरोक्त उल्लिखित अधिकारी ने कहा, 'राज्य सरकार इस बात से पूरी तरह से सहमत है कि यह बड़ा निवेश है, लेकिन आप इसे 10,000 से 20,000 लोगों के बीच सहमति के बगैर लागू नहीं कर सकते।' रिफाइनरी रत्नागिरि के 2 स्थानोंं पर होगी, जिसमें मुख्य परिसर 14,000 एकड़ में बाबुलवाड़ी में होगा, जबकि 15 किलोमीटर दूर 1,000 एकड़ जमीन पर भंडारण व पोर्ट की सुविधा होगी। महाराष्ट्र सरकार ने 10 स्थलों का सुझाव दिया था, जिनमें से बाबुलवाड़ी को चुना गया। 2011 की जनगणना के मुताबिक गांव की आबादी 564 है।
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