फंसे बिजली संयंत्रों की बोली! | |
श्रेया जय / नई दिल्ली 03 18, 2018 | | | | |
► बोली लगाने के लिए संयुक्त उपक्रम में शामिल होगी पीएफसी, आरईसी और एनटीपीसी
► एनसीएलटी के तहत होने वाली बोली में संयुक्त उपक्रम लगा सकते हैं बोली
► संयुक्त उपक्रम में अन्य सार्वजनिक उपक्रमों को भी शामिल करने की योजना
► करीब 80,000 मेगावॉट परिचालन वाली या निर्माणाधीन परियोजनाओं पर है भारी दबाव
बिजली क्षेत्र के दो प्रमुख ऋणदाता और सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली उत्पादक कंपनियां साथ मिलकर ऋणशोधन प्रक्रिया के तहत एनसीएलटी में जाने वाले कर्जदार बिजली परियोजनाओं के लिए बोली लगाएंगी। पावर फाइनैंस कॉर्पोरेशन (पीएफसी), जिसका बिजली क्षेत्र में अच्छा खासा निवेश है और रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉर्पोरेशन (आरईसी) तथा सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली कंपनी एनटीपीसी एक संयुक्त उपक्रम बनाने की तैयारी कर रही हैं। प्रस्तावित संयुक्त उपक्रम संकट में फंसी बिजली परियोजनाओं की खरीद के लिए बोली लगाएगा।
प्रस्तावित संयुक्त उपक्रम में सार्वजनिक क्षेत्र की अन्य बिजली कंपनियों जैसे एनएचपीसी, पावर ग्रिड, बीएचईएल आदि की भी इक्विटी हिस्सेदारी हो सकती है। सूत्रों के मुताबिक कंपनियों को उम्मीद है कि प्रस्तावित संयुक्त उपक्रम का गठन भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा फंसी कंपनियों के ऋणदाताओं को दी गई 180 दिन की समयसीमा खत्म होने से पहले हो जाएगा। पावर फाइनैंस कॉर्पोरेशन के एक वरिष्ठï अधिकारी ने कहा कि एनसीएलटी में जाने वाली बिजली परियोजनाएं उनके लिए अच्छा अवसर हो सकती है। उन्होंने कहा, 'अगर हम इन परियोजनाओं के लिए उचित कीमत सुनिश्चित करते हैं और उनमें एक साल या उससे अधिक समय तक अपना निवेश बनाए रखते हैं तो भविष्य में इससे अच्छा फायदा मिल सकता है, क्योंकि मांग में इजाफा हो रहा है।'
हालांकि अधिकारी ने कहा कि प्रस्तावित उपक्रम का विचार अभी शुरुआती चरण में है और वह इसमें अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को भी शामिल करना चाहते हैं। आरबीआई के दिशानिर्देशों और कानूनी पहलुओं पर विचार करने के बाद ही इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि इस संयुक्त उपक्रम का मकसद इन परियोजनाओं का अधिग्रहण करना तथा उनका परिचालन एवं क्रियान्वयन तब तक करने का है जब तक कि मांग परिदृश्य में सुधार न हो जाए। उसके बाद इन्हें बेहतर मूल्यांकन पर व्यापक स्तर पर बेचा जा सकता है।
एनटीपीसी के वरिष्ठï अधिकारी ने कहा कि अगर 6-7 कंपनियां साथ आएं संयुक्त उपक्रम का विचार काफी अच्छा है। एक अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा, 'अगर ऐसा संयुक्त उपक्रम सफल होता है तो इससे हमें काफी फायदा होगा। देखना होगा इस पर बातचीत किस तरह से आगे बढ़ती है।' देश में फिलहाल करीब 80,000 मेगावॉट परिचालन वाले परियोजनाएं या निर्माणाधीन बिजली संयंत्रों पर विभिन्न वजहों से भारी दबाव है और ये अपना कर्ज भी नहीं चुका पा रहे हैं। रिजर्व बैंक द्वारा 'फंसी संपत्तियों के निपटान का संशोधित प्रारूप' जारी करने के बाद इन संयंत्रों के कर्जदाता ऋणशोधन की प्रक्रिया में जुटे हैं।
इस प्रारूप के तहत ऋण में एक दिन भी चूक होने पर बैंकों को उसे डिफॉल्ट की श्रेणी में डालने को कहा गया है। अधिसूचना में फंसी संपत्तियों का निपटान 180 दिनों में करने को कहा गया है। पीएफसी की करीब 14,000 मेगावॉट परियोजनाएं एनसीएलटी में गई हैं, क्योंकि नियामकीय और कानूनी वजहों से इन संयंत्रों का निपटान करना कठिन है। 25,000 मेगावॉट से अधिक की ताप बिजली परियोजनाएं ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता से इतर बिक्री के लिए उपलब्ध हैं। लेकिन इन संयंत्रों को खरीदार नहीं मिल रहे हैं। इन परियोजनाओं के अधिकांश प्रवर्तक इनसे निकलना चाहते हैं या अपना कर्ज कम करना चाहते हैं।
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