'इस साल मॉनसून खराब रहने के संकेत फिलहाल नहीं' | |
संजीव मुखर्जी / नई दिल्ली 03 13, 2018 | | | | |
हालांकि अभी मॉनसून के बारे में कुछ कहना जल्दबाजी है, लेकिन भारतीय मौसम विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों और निजी मौसम अनुमान एजेंसी स्काईमेट का मानना है कि मौसम के पैटर्न में अब तक ऐसा कुछ नहीं दिख रहा है जिससे यह संकेत मिलता हो कि 2018 में भारत में मॉनसून बेहद खराब रहेगा। हालांकि जब मॉनसून आता है, तो कई वैज्ञानिक यह संकेत देते हैं कि हालात तेजी से बदल सकते हैं।
मौसम विभाग ने पिछले समर-मंथ अपडेट में संकेत दिया था कि ला नीना की स्थिति वसंत सीजन तक सामान्य बनी रह सकती है और उसके बाद इसमें कमजोरी शुरू हो सकती है। कुछ वैश्विक मॉडल उसके बाद अल नीनो के खतरनाक होने का संकेत दे रहे हैं जिससे भारत में चार महीने के दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सीजन का कुछ हिस्सा प्रभावित हो सकता है। देश में मॉनसून जून से शुरू होता है।
मौसम विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'इसके अलावा, ऐसा हमेशा नहीं होता है कि महासागरीय स्थिति वायुमंडलीय हालात के अनुरूप रही हो और इसे लेकर तस्वीर स्पष्टï होने में कुछ महीने लग जाएंगे।' उन्होंने कहा कि मौसम का अन्य कारक इंडियन ओशन डाइपोल (आईओडी) अभी 'मजबूत' बना हुआ है जो बारिश पर असर डाल सकता है।
मौसम विभाग के महानिदेशक के जे रमेश ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, 'अभी भी, यह आकलन करने के लिए शुरुआती समय है कि 2018 में मॉनसून कमजोर या मजबूत रहेगा।' समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने मंगलवार को कहा कि भारत में मॉनसून की बारिश इस साल सामान्य से थोड़ी कम रह सकती है। रेडिएंट सॉल्युशंस (पूर्व में एमडीए अर्थसैट) में वरिष्ठ कृषि मौसम विज्ञानी काइल टैपले ने रिपोर्ट में कहा है कि ला नीना कमजोर हो रहा है और हम तटस्थ मौसम की ओर बढ़ रहे हैं जिसकी भविष्यवाणी इस वर्ष की दूसरी छमाही में अल नीनो के बाद की जाएगी।
वर्ष 2017 में, दक्षिण-पश्चिम मॉनसून 95 प्रतिशत दीर्घावधि औसत पर सामान्य से नीचे रहा था। जून और जुलाई के पहले दो महीनों में बारिश अपेक्षाकृत सामान्य रहने के बाद अगस्त में और कुछ हिस्सों में सितंबर के शुरू में भी धीमी पड़ गई थी जिसे मौसम विभाग ने 'इंट्रा-सीजनल' ब्रेक करार दिया था, जबकि अन्य ने इसे अल नीनो से प्रभावित बताया।
मॉनसून सीजन के मध्य में बारिश फीकी पडऩे से मध्य और पश्चिम भारत के कुछ क्षेत्र प्रभावित हुए और उन्हें सूखे जैसे हालात का सामना करना पड़ा। इसके कारण मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ ने 52 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित कर केंद्र सरकार से सहायता मांगी। निजी मौसम पूर्वानुमान एजेंसी वेदर रिस्क मैनेजमेंट सर्विसज ने कहा है कि फरवरी के मध्य तक के मौसम पैटर्न के आधार पर 2018 में भारत में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सामान्य रहने की संभावना है।
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