अमेरिकी चुनौती से जूझ रही डॉ रेड्डीज | अभिनीत कुमार / मुंबई March 07, 2018 | | | | |
प्रमुख औषधि कंपनी डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज (डीआरएलएल) के निवेशकों को उस समय झटका लगा जब आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम में कंपनी के एपीआई (ऐक्टिव फार्मास्युटिकल इनग्रेडिएंट) संयंत्र को अमेरिकी औषधि नियामक यूएसएफडीए से ओएआई (ऑफिसियल ऐक्शन इनिशिएटेड) स्टेटस के साथ निरीक्षण रिपोर्ट प्राप्त हुई। हैदराबाद की यह कंपनी संयंत्र के दोबारा निरीक्षण के एक साल बाद भी समस्याओं को निपटाने में विफल रही। जबकि उस समय संयंत्र में महज दो ऑब्जर्वेशन पाए गए थे।
नवंबर 2014 और फरवरी 2015 के बीच कंपनी के तीन संयंत्रों का यूएसएफडीए द्वारा कई बार निरीक्षण किया गया। इन संयंत्रों में श्रीकाकुलम का एपीआई संयंत्र, मिर्यालगुडा का एपीआई संयंत्र और डुवडा का ऑन्कोलोजी फॉर्मूलेशन यूनिट शामिल हैं। अमेरिकी औषधि नियामक ने डॉ रेड्डीज के इन तीनों संयंत्रों को वर्तमान बेहतर विनिर्माण प्रथा (सीजीएमपी) को नजरअंदाज किए जाने से संबंधित मुद्दों को लेकर नवंबर 2015 में पत्र जारी किया था। बाद में वित्त वर्ष 2017 की चौथी तिमाही में यूएसएफडीए ने इन तीनों संयंत्रों का दोबारा निरीक्षण किया। इस बार अमेरिकी औषधि नियामक ने श्रीकाकुलम संयंत्र में दो अन्य ऑब्जर्वेशन के साथ अपनी रिपोर्ट सौंपी है।
विदेशी ब्रोकरेज फर्म फिलिप कैपिटल के विश्लेषक सूर्य पात्रा ने कहा, 'ये ऑब्जर्वेशन प्रायोगिक परीक्षण से सृजित आंकड़ों के रिकॉर्ड का उचित रखरखाव न होने से संबंधित हैं। इसमें सभी क्रोमैटोग्राम्स और दोहराए गए ऑब्जर्वेशन शामिल हैं।' उन्होंने कहा, 'अमेरिका जैसे अग्रणी बाजारों में कारोबारी चुनौतियों के मद्देनजर हम अक्सर नकारात्मकता की ओर झुके होते हैं।' वित्त वर्ष 2017-18 के पहले नौ महीने के दौरान कंपनी के कुल 106.68 अरब रुपये के राजस्व में अमेरिकी कारोबार का योगदान करीब 45 फीसदी रहा।
कंपनी के लिए नियामकीय चुनौतियां ऐसे समय में आई हैं जब अमेरिका में जेनेरिक दवाओं के मूल्य निर्धारण पर दबाव पहले से ही बढ़ रहा है। डॉ रेड्डीज के साथ-साथ ल्यूपिन, ग्लेनमार्क और सन फार्मा की सहायक इकाई टारो जैसी प्रमुख भारतीय कंपनियों की बिक्री में दिसंबर तिमाही के दौरान 40 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।
डॉ रेड्डïीज के लिए अमेरिकी कारोबार वित्त वर्ष 2013 और वित्त वर्ष 2017 के बीच 14 फीसदी सीएजीआर से बढ़कर 63.6 अरब रुपये हो गया। इस दौरान कारोबार को मुख्य तौर पर नई दवाओं को उतारे जाने से बल मिला।
वर्तमान में कंपनी की 102 दवाएं मंजूरी के लिए अमेरिका में लंबित है। अमेरिका में कंपनी लगातार कई दवाओं को सबसे पहले लॉन्च (एफटीएफ) कर रही है जिससे उसे विशेष बिक्री अवधि का फायदा भी मिल रहा है। फिलहाल उसके पास 29 एफटीएफ दवाएं मौजूद हैं। जहां तक मंजूरी का सवाल है तो वित्त वर्ष 2019 में कंपनी की स्थिति दमदार रहने वाली है।
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