भारत में आभासी मुद्रा (क्रिप्टोकरेंसी) पर चल रही अनिश्चितताओं के बीच निजी क्षेत्र के कुछ बैंकों ने सख्त कदम उठाए हैं। हाल ही में भारतीय स्टेट बैंक ने अपने ग्राहकों को भेजे मेसेज में आभासी मुद्रा लेनदेन को लेकर चेतावनी जारी की है। इससे पहले आईसीआईसीआई तथा सिटी बैंक ने डेबिट और क्रेडिट कार्ड से आभासी मुद्रा में लेनदेन करने पर खाता बंद करने की चेतावनी दी थी।
इसी माह वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में कहा था कि सरकार आभासी मुद्राओं को लीगल टेंडऱ नहीं मानती और वित्तीय गतिविधियों में इनके द्वारा होने वाली अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए उचित कदम उठाएगी।
सिटी बैंक ने ग्राहकों को भेजे एक मैसेज में कहा, 'सिटी इंडिया ने यह निर्णय लिया है कि बिटकॉइन और दूसरा आभासी मुद्राओं की खरीद और ट्रेडिंग के लिए क्रेडिट और डेबिट कार्ड के उपयोग की अनुमति नहीं देगा।' बैंक ने कहा, 'वैश्विक तथा स्थानीय परिस्थितियों और आरबीआई की चेतावनी को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। आभासी मुद्राओं के कारण वित्तीय, कानूनी तथा ग्राहक सुरक्षा जैसी चुनौतियों को देखते हुए यह कदम उठाया गया है।'
ऑनलाइन कानूनी सहायता देने वाली कंपनी क्रीटैक्स कॉर्प के संस्थापक और वकील कनिष्क अग्रवाल कहते हैं कि सिटी बैंक का यह कदम कानूनी रुप से सही नहीं है। कनिष्क कहते हैं, 'हालांकि सरकार ने कहा है कि वह बिटकॉइन को लीगल टेंडर नहीं मानती लेकिन सरकार ने इसके उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया है। हो सकता है कि सराकर इसे आभासी संपत्ति, वस्तु अथवा ऐसेट के रूप में परिभाषित कर दे। इसलिए जब तक सरकार द्वारा कोई स्पष्ट निर्देश नहीं आ जाते, इस प्रकार के पूर्ण प्रतिबंध का नोटिस नहीं दिया जाना चाहिए था।'
इससे पहले आईसीआईसीआई बैंक भी अपने ग्राहकों को आभासी मुद्रा के लेनदेन में डेबिट और क्रेडिट कार्ड का उपयोग करने पर खाता बंद करने की चेतावनी जारी कर चुका है। आईसीआईसीआई ने ग्राहकों को भेजे मैसेज में कहा था, 'कोई भी भारतीय विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) 1999 के तहत अनुमति प्राप्त विदेशी एक्सचेंज में ही लेनदेन कर सकता है। बिटकॉइन और दूसरा आभासी मुद्राओं में ट्रेडिंग सुविधा दे रहे विदेशी एक्सचेंजों को इस तरह की अनुमति नहीं है। यदि इस तरह का कोई भी लेनदेन बैंक के संज्ञान में आता है तो डेबिट/क्रेडिट कार्ड अथवा बैंक खाता भी बंद किया जा सकता है।'
हालांकि कनिष्क आईसीआईसीआई के इस कदम को सही ठहराते हैं। वह कहते हैं, 'फेमा कानून विदेश में लेनदेन को नियंत्रित करता है और आईसीआईसीआई बैंक इस तरह की रोक लगा सकता है। हमें आईसीआईसीआई और सिटी बैंक द्वारा उठाए गए कदमों में अंतर करना होगा। एक ओर आईसीआईसीआई बैंक विदेशी लेनदेन का विनियमन कर रहा है, जबकि सिटी बैंक ने सीधे तौर आभासी मुद्रा में डेबिट/क्रेडिट कार्ड से लेनदेन पर रोक लगा दी है।'
भारत के सबसे बड़े क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों में से एक जेबपे के प्रमुख निश्चिंत सांघवी का कहना है कि बैंकों का इस तरह का व्यवहार न्यायसंगत नहीं है। सांघवी कहते हैं, 'इससे सबसे अधिक नुकसान उपभोक्ताओं को हो रहा है। अबी तक आरबीआई ने कोई स्पष्ट दिशानिर्देश जारी नहीं किया है। जहां तक डेबिट और क्रेडिट कार्ड से लेनदेन का की बात है तो इससे भारतीय एक्सचेंजों में ट्रेडिंग पर अधिक असर नहीं पड़ेगा। ग्राहक विदेशी एक्सचेंजों पर खरीदारी के लिए डेबिट/क्रेडिट कार्ड का प्रयोग करते हैं लेकिन भारतीय एक्सचेंजों पर केवाईसी जांच के बाद पंजीकृत बैंक खाते से ही रुपये ट्रांसफर किए जा सकते हैं।'