देहात में बंटीं ढेरों सौगात | |
बीएस संवाददाता / नई दिल्ली 02 01, 2018 | | | | |
खेत-किसान पर मेहरबान, बुजुर्गों-गरीबों का ध्यान, रोजगार बढ़ाने के अरमान
वित्त मंत्री अरुण जेटली संसद में आज अगले वित्त वर्ष का बजट पेश करने पहुंचे तो उनके पिटारे पर सबकी नजरें गड़ी थीं। आम चुनाव से पहले सरकार का यह आखिरी बजट था, खेती-किसानी की हालत खराब है और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के खट्टे अनुभव भी लोगों के जेहन में हैं। जेटली भी इस बात से वाकिफ थे, इसलिए उन्होंने बजट भाषण में कबूल किया कि जीएसटी की वजह से इस साल एक महीने का अप्रत्यक्ष कर उन्हें गंवाना पड़ रहा है। इन उम्मीदों और दबावों का ही नतीजा था कि चार साल से खजाने को मजबूती देने पर अड़े वित्त मंत्री ने मुट्ठी खोल दी।
बजट का सबसे बड़ा ऐलान राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना थी। इसके तहत 50 करोड़ भारतीयों को स्वास्थ्य बीमा की सुविधा दी जा रही है। इसमें 10 करोड़ गरीब परिवारों को शामिल किया जा रहा है और हरेक परिवार को सालाना 5 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा दिया जाएगा। जेटली ने इसे 'दुनिया का सबसे बड़ा स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम' करार देते हुए कहा कि यह सार्वभौमिक स्वास्थ्य बीमा की दिशा में एक कदम है। इस बीमा का वायदा भारतीय जनता पार्टी ने 2014 में चुनावों से पहले किया था।
अलबत्ता उन्होंने सबसे अधिक दरियादिली कृषि क्षेत्र और वंचित तबकों पर दिखाई। गरीबों और वरिष्ठ नागरिकों का उन्होंने पूरा ध्यान रखा। वरिष्ठ नागरिकों को बजट में कर छूट दी गई, जिसमें 50,000 रुपये तक की सालाना ब्याज आय पर कर नहीं लेने का प्रस्ताव है। साथ ही स्वास्थ्य बीमा और चिकित्सा खर्च पर भी छूट की सीमा उनके लिए बढ़ा दी गई है। किसानों की बात करते हुए उन्होंने 2018-19 में ग्रामीण बुनियादी ढांचे पर 14.34 लाख करोड़ रुपये खर्च करने का प्रस्ताव रखा ताकि किसानों को बाजार से जोड़ा जा सके। उन्होंने खाद्य प्रसंस्करण के लिए बजट आवंटन भी पिछले साल के मुकाबले दोगुना कर 1,400 करोड़ रुपये तक पहुंचा दिया। साथ ही 'ऑपरेशन फ्लड' की तर्ज पर बागवानी के लिए 'ऑपरेशन ग्रीन' का ऐलान भी किया।
जेटली ने इशारा किया कि किसानों को उनकी उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सुनिश्चित करने की नीति लाई जाएगी। उन्होंने किसानों को लागत से डेढ़ गुना एमएसपी दिलाने के प्रधानमंत्री मोदी के वायदे को पूरा करने का आश्वासन भी दिया।
तमाम दबाव और आने वाले चुनावों के फेर में जेटली ने खजाने की मजबूती के मामले में भी ढिलाई बरत ली। उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 3.5 फीसदी रहने जा रहा है और अगले वित्त वर्ष के लिए जेटली ने इसे 3.3 फीसदी पर रोकने का लक्ष्य रखा है, जबकि पिछले बजट में उन्होंने 3 फीसदी की बात कही थी। उनकी इस ढिलाई पर बॉन्ड बाजार ने अपनी नाराजगी भी दिखाई और 10 वर्ष में परिपक्व होने वाले सरकारी बॉन्ड 7.60 फीसदी पर बंद हुए। इससे भारतीय रिजर्व बैंक पर भी ब्याज दर बढ़ाने का दबाव बढ़ जाएगा।
वित्त मंत्री ने शेयर बाजार में 1 लाख रुपये से अधिक मुनाफा कमाने वालों पर 10 फीसदी दीर्घावधि पूंजीगत लाभ कर भी लगा हालांकि 31 जनवरी तक हुए मुनाफे को इससे मुक्त रखा गया है, जिसके कारण ज्यादातर छोटे निवेशक इसकी मार से बचे रहेंगे। लेकिन इस कर का ऐलान होते ही शेयर बाजार दरक गए और सेंसेक्स 463 अंक तक लुढ़क गया। लेकिन बाद में बीएसई का सूचकांक संभला और कारोबार के अंत में 58.4 अंक नीचे ही बंद हुआ। हालांकि जेटली ने सभी निजी कंपनियों के लिए कॉर्पोरेट टैक्स दर को घटाकर 25 फीसदी करने का अपना वायदा पूरी तरह नहीं निभाया। उन्होंने 50 करोड़ रुपये सालाना कारोबार के बजाय 250 करोड़ रुपये के कारोबार वाली कंपनियों को ही इस दायरे में शामिल करने की बात कही। वित्त मंत्री ने कहा कि अब 99 फीसदी कंपनियां 25 फीसदी कॉर्पोरेट टैक्स के दायरे में आ जाएंगी। इससे छोटी और मझोली कंपनियों को बड़ा फायदा होगा और रोजगार भी बढ़ेगा।
लेकिन व्यक्तिगत आयकर के मोर्चे पर उन्होंने आयकर स्लैब में तब्दीली होने या कर की दर घटाए जाने की सभी उम्मीदों को धता बता दिया। हालांकि उन्होंने चिकित्सा तथा यातायात बिलों के एवज में 40,000 रुपये की मानक कटौती लागू कर दी। लेकिन इसी के साथ आयकर पर लगने वाले उपकर को तीन फीसदी के बजाय चार फीसदी कर दिया गया। बजट में कई वस्तुओं पर सीमा शुल्क भी बढ़ाया गया है। हालांकि इसमें विलासिता वाली कई वस्तुएं शामिल हैं, लेकिन मोबाइल फोन और टेलीविजन सेट भी इसकी जद में आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि श्रमिकों की बहुलता वाले उद्योगों के संरक्षण और 'मेक इन इंडिया' अभियान को बढ़ावा देने के इरादे से ऐसा किया गया है।
इस बजट ने यह भी दिखाया कि सरकार ढांचागत क्षेत्र में ठोस परियोजनाओं को प्राथमिकता दे रही है। शिक्षा एवं स्वास्थ्य के लिए आवंटन में खास बढ़ोतरी नहीं हुई है लेकिन बड़ी आबादी के लिए स्वास्थ्य योजना को ऐलान जरूर हुआ है। परिवहन पर व्यय को 1.07 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1.34 लाख करोड़ रुपये करने का प्रावधान रखा गया है। भारतीय रेल के लिए बजटीय संसाधन 80,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 93,400 करोड़ रुपये किया गया है।
बजट में रक्षा व्यय के 2.82 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है जबकि 2017-18 में इसके 2.67 लाख करोड़ रुपये रहने की बात कही गई है। ग्रामीण विकास के मद में व्यय 2017-18 के लिए आवंटित 1.28 लाख करोड़ रुपये की तुलना में संशोधित अनुमान 1.35 लाख करोड़ रुपये का है। इस साल ग्रामीण विकास के लिए आवंटित राशि में खास बदलाव नहीं हुआ है। इसी तरह शहरी विकास के मोर्चे पर भी शिथिलता ही देखने को मिली।
जेटली ने पहले यह कहा था कि स्पेक्ट्रम नीलामी को स्थगित किए जाने से गैर-कर स्रोतों से मिलने वाला राजस्व कम रह सकता है लेकिन विनिवेश के मद में 1 लाख करोड़ रुपये आने से सरकार को बड़ी राहत मिली है। सरकार ने आगामी वित्त वर्ष में विनिवेश के जरिये 80,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है जो 2017-18 की तुलना में कम होते हुए भी काफी महत्त्वाकांक्षी है। जेटली ने रणनीतिक विनिवेश की भी प्रतिबद्धता जताई है जिसका मतलब है कि एयर इंडिया जैसी कई सरकारी कंपनियों का निजीकरण किया जाएगा।
वित्त मंत्री ने राजस्व संग्रह के मोर्चे पर कुछ आशा भी जगाई है। उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में 15 जनवरी 2018 तक प्रत्यक्ष कर संग्रह 18.7 फीसदी अधिक रहा है। ऐसा होने से सरकार का राजकोषीय घाटा अपने लक्ष्य से अधिक नहीं फिसला है। जेटली ने यह भी कहा कि रिटर्न भरने या नहीं भरने वाले लेकिन टीडीएस या एडवांस टैक्स देने वाले करदाताओं का 'प्रभावी आधार' 2014-15 के 6.47 करोड़ से बढ़कर 2016-17 के अंत में 8.27 करोड़ हो गया था। इसका मतलब है कि आगे चलकर राजकोषीय हालत थोड़ी आसान हो सकती है।
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