दिलाशा सेठ और इंदिवजल धस्माना / नई दिल्ली 01 18, 2018
► राजस्व पर हो सकती है मामूली चोट ► जीएसटी संग्रह में कमी की भरपाई होगी प्रत्यक्ष कर संग्रह से ► रिटर्न के सरलीकरण की प्रक्रिया पर काम जारी ► जल्द ही आ सकता है केवल एक फॉर्म का रिटर्न
बजट से पहले करीब 83 वस्तुओं और सेवाओं पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दर घटा दी गई है, जिससे राजस्व पर मामूली असर पड़ सकता है, लेकिन रोजगार को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। कारोबारियों के लिए राहत की बात यह भी है कि परिषद केवल एक फॉर्म का रिटर्न भरवाने की दिशा में बढ़ रही है, लेकिन इस पर अभी अंतिम मुहर लगनी बाकी है। जीएसटी परिषद की बैठक के बाद आज यहां वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया सेवाओं की 54 श्रेणियों और 29 वस्तुओं पर जीएसटी दरें तर्कसंगत बना दी गई हैं। इसके अलावा परिषद ने केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड की अध्यक्ष वनजा सरना की अगुआई वाली उप समिति की वे सिफारिशें भी फिटमेंट समिति को भेज दीं, जो उन्होंने हस्तशिल्प वस्तुओं की दरों को तर्कसंगत बनाने के संबंध में दी थीं। जेटली ने बताया कि इनका राजस्व पर 'मामूली' असर पड़ेगा, लेकिन रोजगार के मौके बढ़ जाएंगे।
जीएसटी संग्रह लगातार कम हो रहा है और नवंबर में वह 80,000 करोड़ रुपये के साथ अब तक के सबसे कम आंकड़े तक लुढ़क गया था। लेकिन प्रत्यक्ष कर संग्रह सरकार को राहत दे रहा है। 15 जनवरी तक प्रत्यक्ष कर संग्रह 18.7 फीसदी बढ़ गया, जबकि बजट में चालू वित्त वर्ष के लिए 15.7 फीसदी बढ़ोतरी का ही लक्ष्य था। अगले बजट में 2017-18 के संशोधित आंकड़ों में यह नजर आएगा। केंद्र और राज्य दोनों के लिए धन की आवक आसान बनाने के लिए परिषद ने 34,000 करोड़ रुपये का एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) दोनों के बीच बराबर बांटने का फैसला भी किया।
राज्यों के वित्त मंत्रियों ने जेटली के साथ अपनी बजट पूर्व मांगों पर भी चर्चा की। वित्त मंत्री ने मांगों पर विचार का आश्वासन दिया। जीएसटी के लिए रिटर्न भरने की प्रक्रिया पेचीदा होने की शिकायतें सभी ओर से आ रही थीं। इस मसले पर विचार करते समय परिषद ने बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी की प्रस्तुति सुनी। मोदी जीएसटी पोर्टल की समस्याएं सुलझाने वाले मंत्रिसमूह के अध्यक्ष हैं। इसके अलावा जीएसटीएन नेटवर्क के सीईओ प्रकाश कुमार और इन्फोसिस के चेयरमैन नंदन नीलेकणी की प्रस्तुतियां भी सुनी गईं।
जेटली ने बताया कि परिषद रिटर्न दाखिल करने के लिए केवल एक ही फॉर्म की दिशा में बढ़ रही है। लेकिन अभी अंतिम फैसला बाकी है। परिषद की अगली बैठक से पहले इन सुझावों के निचोड़ पर काम किया जाएगा। यह बैठक 1 फरवरी से पहले होगी। हालांकि जेटली ने कहा कि बिक्री रिटर्न की मौजूदा प्रणाली जीएसेटीआरआई और समरी इनपुट-आउटपुट रिटर्न-जीएसटीआर3बी-जारी रहेगी। चूंकि, इस समय मौजूदा प्रणाली में कर चोरी रोकथाम विरोधी कोई उपाय नहीं है, इसलिए जीएसटी राजस्व में कमी आई है। कंपोजिशन स्कीम से इसमें और तेजी आई है, जिसके तहत पहली तिमाही में 17 लाख डीलरों से मात्र 3 अरब रुपये आए। यह खामी दूर करने के लिए परिषद जीएसटी कानूनों में बदलाव करने के बारे में सोच रहा है ताकि कंपोजिशन स्कीम में रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (आरसीएम) लागू हो जाए।
आम तौर पर विक्रेता सरकार को कर जमा करते हैं, लेकिन आरसीएम के तहत खरीदार ऐसा करते हैं। ई-वे बिल के तहत कर चोरी के रोक-थाम का एक अन्य उपाय 1 फरवरी से प्रभावी हो जाएगा। 15 राजयों ने वस्तुओं की अंतर-राज्यीय आवाजाही के लिए भी ई-वे बिल लागू करने पर सहमत हो गई है। 14 राज्यों ने पहले ही ई-वेल बिल स्वीकार कर लिया है। जेटली ने कहा कि कर चोरी रोकने के लिए ई-वे बिल जैसे उपाय प्रभावी होने के बाद फॉर्म भरने की प्रक्रिया सरल बनाई जा सकती है। विके्रता जैसे ही बिक्री से जुड़ी जानकारियां सौंपेंगे वैसे ही इनसे इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा करना संभव हो जाएगा।
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