आइडिया में हिस्सेदारी बढ़ाएगा बिड़ला समूह | देव चटर्जी और रोमिता मजूमदार / मुंबई January 04, 2018 | | | | |
पिछले साल मार्च में वोडाफोन की सहायक इकाई के साथ विलय की घोषणा के बाद आइडिया सेल्युलर में बढ़ते नुकसान से चिंतित आदित्य बिड़ला समूह (एबीजी) ने अपनी दूरसंचार इकाई में 32,500 करोड़ रुपये का निवेश करने का निर्णय लिया जिससे कि दोनों दूरसंचार कंपनियां इस साल के मध्य तक विलय के सौदे को पूरा करने की राह पर तेजी से बढ़ सकें। आइडिया सेल्युलर ने कहा है कि वह 99.5 रुपये प्रति शेयर के भाव पर अपने प्रवर्तक के लिए 32.5 अरब रुपये के शेयरों के तरजीही आवंटन के जरिये 67.5 अरब रुपये की इक्विटी जुटाएगी। समूह ने अन्य 35 अरब रुपये की पूंजी जुटाने के लिए राइट इश्यू समेत श्रेष्ठï विकल्पों के आकलन के लिए एक समिति का भी गठन किया है।
बैंकिंग सूत्रों का कहना है कि वोडाफोन गु्रप पीएलसी ने विलय की घोषणा के बाद से ही आइडिया सेल्युलर के भारी भरकम नुकसान को लेकर चिंता जताई थी और आदित्य बिड़ला समूह से यह सौदा पूरा होने से पहले इस नुकसान की भरपाई करने को कहा था। मार्च 2017 में हुए समझौते के अनुसार यदि यह विला मार्च 2018 तक पूरा किया जाता है तो विलय के गाद गठित कंपनी का शुद्घ कर्ज-एबिटा 6.5 गुना से ज्यादा नहीं होना चाहिए। हालांकि विलय वाली इकाई का कर्ज (एबिटा की तुलना में) अभी 6.5 गुना पर है और इसमें और तेजी आ सकती है क्योंकि आइडिया सेल्युलर का एबिटा इंटरकनेक्ट यूसेज चार्जेस (आईयूसी) में कटौती की वजह से 2017-18 की दूसरी छमाही में बढ़ जाएगा। यह कटौती दूरसंचार नियामक ट्राई द्वारा 1 अक्टूबर 2017 से प्रभावी की गई है।
2 जनवरी, 2018 की एक रिपोर्ट में जेएम फाइनैंशियल के विश्लेषकों ने कहा, 'सितंबर 2017 तक वोडाफोन-आइडिया की विलय के बाद गठित कंपनी का शुद्घ कर्ज 1,106 अरब रुपये था जो पिछले 12 महीने के एबिटा के आधार पर 6.6 गुना का औसत अनुपात है। टावर बिक्री (आइडिया द्वारा इंडस की पूरी हिस्सेदारी की बिक्री समेत) से प्राप्त 155 अरब रुपये की रकम को शामिल करने के बाद भी हमारा मानना है कि लीवरेज रेशियो मार्च 2018 तक और बढ़कर लगभग 8 गुना हो जाएगा, जो दोनों कंपनियों (एबीजी और वोडा पीएलसी) के मुख्य शेयरधारकों द्वारा सहमति के आधार पर निर्धारित 6.5 गुना के एमसीएलआर (मैक्सिमम क्लोजिंग लेवरेज रेशियो) से काफी अधिक है।'
आइडिया में नियोजित निवेश से कंपनी में एबीजी की हिस्सेदारी बढ़ जाएगी। इसके परिणामस्वरूप एबीजी को विलय वाली कंपनी में अपनी हिस्सेदारी 26 फीसदी पर बनाए रखने के लिए वोडाफोन से कम हिस्सेदारी खरीदने की जरूरत होगी। वोडाफोन गु्रप ने कहा है, 'पूंजी जुटाने के बाद आइडिया में शेयरधारिता में बदलाव को ध्यान में रखते हुए एबीजी और वोडाफोन ने इस पर सहमति जताई है कि एबीजी विलय वाली इकाई में वोडाफोन से कम से कम 2.5 फीसदी की हिस्सेदारी खरीदेगी, या एबीजी को नई कंपनी की कम से कम 26 फीसदी हिस्सेदारी रखने की जरूरत होगी। इसके परिणामस्वरूप, वोडाफोन को ऐसी बिक्री से कम से कम 19.6 अरब रुपये की रकम हासिल होगी और संयुक्त कंपनी में वोडाफोन का स्वामित्व लगभग 47.5 फीसदी रहने का अनुमान है।'
पिछले साल मार्च में दोनों कंपनियों ने सौदे के बाद पहले तीन वर्षों तक किसी भी कंपनी द्वारा बाहरी पक्ष को शेयर बेचने या खरीदने की अनुमति नहीं दिए जाने की शर्त पर सहमति जताई थी। वोडाफोन ने तब यह कहा था कि उसकी एबीजी को 4.9 फीसदी हिस्सेदारी स्थानांतरित करने के बाद संयुक्त कंपनी में उसकी 45.1 फीसदी हिस्सेदारी होगी जिससे नई कंपनी में एबीजी अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 26 फीसदी करने में सक्षम होगी।
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