अब स्मार्ट कार्ड का जमाना अब लद चुका है। जी हां, देश के सबसे बड़े कर्जदाता बैंक भारतीय स्टेट बैंके की नई तकनीक को देखकर तो कम से कम यही लगता है। एसबीआई ने एक नई व्यवस्था दी है जिसके तहत अब परिचालन में स्मार्ट कार्ड की बजाय खाताधारक के सिर्फ अंगुलियों के निशान (फिंगरप्रिंट) की जरूरत पड़ेगी। बैंक ने यह कदम लेन-देन के दौरान होने वाले खर्च, खासकर सामाजिक सुरक्षा पेंशन और राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना के तहत दिए जानेवाले मजदूरी पर होने वाले खर्च को कम करने के लिए इस नई तकनीक का ईजाद किया है। इस नई तकनीक को पूरे देश भर में लागू किया जा रहा है। इस नई तकनीक के अतर्गत एक प्वाइंट ऑफ सेल मशीन में खाताधारकों के बॉयोमीट्रीक से संबंधित जानकारियां होंगी और यह किसी भी खास गांव में जाएगी जहां पर ग्राहक फिंगरप्रिंट वाली इस नई प्रणाली की मदद से पैसे की निकासी या फिर इसे जमा कर पाएंगे। इससे पहले प्रत्येक खाताधारकों को मैंग्नेटिक स्ट्रिप वाले कार्ड जारी किए जाते रहे हैं जिसे किसी भी तरह के लेन-देन से पहले पीओएस मशीन में स्वैप करना होता है। स्मार्ट कार्ड की कीमत इसके मेमोरी के अधार पर निर्धारित की जाती थी। उदाहरण के लिए 4 जीबी कार्ड की कीमत 75 रुपये जबकि 32 जीबी के कार्ड की कीमत 140 रुपये हुआ करती है। गौरतलब है कि राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के शुरू होने के बाद से एसबीआई ने अब तककरीब 16 लाख स्मार्ट कार्ड देश भर में जारी किए हैं। इस बाबत एसबीआई के रूरल बैंकिंग डिपार्टमेंट के महाप्रबंधक एस मुखोपाध्याय ने कहा कि पिछले दो महीनों के दौरान हमने 400,000 खाते खोले हैं लेकिन इसके लिए कोई भी स्मार्ट कार्ड जारी नहीं किया जिससे कि हम करीब 3 करोड़ रुपये की बचत कर पाने में सफल रहे हैं। हालांकि अन्य बैंकों ने अभी तक इस नई तकनीक को इस्तेमाल में नहीं लाया है। इस बाबत सरकारी बैंक के एक अधिकारी ने कहा कि विभिन्न बैंक अलग-अलग तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं और जहां तक हमारी बात है तो हम इस फिंगरप्रिंट तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि इस बाबत एक और बैंकर ने कहा कि इस नई तकनीक के कारण खर्च में कमी की बात उतनी महत्पूर्ण नहीं है।
