ई-वाहनों को मुफ्त पार्किंग और टोल में छूट! | अजय मोदी / नई दिल्ली January 03, 2018 | | | | |
आप जल्दी ही देश की सड़कों पर दौड़ रहे इलेक्ट्रिक वाहनों को आसानी से पहचान सकेंगे। सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए हरे रंग की नंबर प्लेट अनिवार्य कर सकती है। साथ ही उन्हें 3 साल तक मुफ्त पार्किंग और टोल में छूट की सुविधा देने पर भी विचार किया जा रहा है। देश में 2030 तक पूरी तरह इलेक्ट्रिक वाहन बाजार बनाने के लिए कुछ चुनिंदा शहरों में नए पेट्रोल और डीजल वाहनों का पंजीकरण चरणबद्घ तरीके से बंद किया जा सकता है। इलेक्ट्रिक वाहनों के बारे में नीति आयोग द्वारा तैयार की जा रही नीति के मसौदे में ये बातें कही गई हैं। मसौदे की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने बताया कि मॉल, शॉपिंग, ऑफिस और आवासीय परिसरों में 10 फीसदी पार्किंग जगह इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए आरक्षित रखने और इससे संबंधित बुनियादी ढांचा विकसित करने की सिफारिश की गई है।
मसौदे में कहा गया है कि चुनिंदा शहरों में नए पेट्रोल और डीजल वाहनों का पंजीकरण चरणबद्घ तरीके से बंद किया जाना चाहिए और 2030 में इसे पूरी तरह बंद किया जाना चाहिए। इसके अलावा देश के 10 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में हर साल एक निश्चित संख्या में इलेक्ट्रिक वाहनों का पंजीकरण अनिवार्य बनाए जाने की बात है। नीति आयोग बहुमंजिला इमारतों में इलेक्ट्रिक वाहनों के चार्जिंग पॉइंट अनिवार्य बनाने के पक्ष में है। मसौदे में आयोग ने इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए कार पूलिंग या शेयरिंग पर जोर दिया है। मसौदे में कहा गया है कि इससे देश की सड़कों पर वाहनों की संख्या में कमी आ सकती है और लोगों को निजी कार से कई गुना सस्ता विकल्प मिल सकता है। मसौदे के मुताबिक सरकार सार्वजनिक खरीद के जरिये इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग को बढ़ावा देगी। आयोग का अनुमान है कि जनवरी 2019 के बाद सभी केंद्र सरकार और केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के वाहन इलेक्ट्रिक होंगे। इन सभी वाहनों का निर्माण देश में ही किया जाना है। बिजली क्षेत्र की सरकारी कंपनियों द्वारा प्रवर्तित कंपनी ईईएसएल ने 10 हजार इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के लिए निविदा जारी की है जिनका इस्तेमाल बिजली मंत्रालय के विभिन्न विभागों और कार्यालयों में किया जाएगा। अभी और कई निविदाएं जारी होने वाली हैं। मसौदे में पुराने और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों से निजात पाने की नीति बनाए जाने की जरूरत बताई गई है। साथ ही कहा गया है कि इन वाहनों के एवज में उनके मालिकों को उचित मूल्य मिलना चाहिए। सरकार का मानना है कि इलेक्ट्रिक वाहन नीति से 2030 तक भारत को पूरी तरह इलेक्ट्रिक वाहन बाजार बनाने में मदद मिल सकती है।
इस नीति का मकसद वायु प्रदूषण के मुद्दों का समाधान करना, उत्सर्जन रहित परिवहन व्यवस्था बनाना, घरेलू खपत और निर्यात के लिए वाहन निर्माण क्षमता विकसित करना है। साथ ही इससे अक्षय ऊर्जा प्रयासों और तेल आयात में भी मदद मिलेगी। नीति के मसौदे को सुझावों के लिए विभिन्न मंत्रालयों को भेजा गया था और इसे मंजूरी के लिए मंत्रिमंडल में भेजा जाना था। लेकिन सड़क परिवहन मंत्रालय ने ई-वाहन के लिए आयोग के खुद को नोडल एजेंसी घोषित करने पर सवाल उठाया है। इसलिए मसौदे को संशोधित किया जा रहा है।
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