► बादली, बवाना और नरेला आदि औद्योगिक क्षेत्रों में औद्योगिक कचरा जलने की मिली शिकायतें
► नगर निगम व डीपीसीसी को जांच करने व कार्रवाई के निर्देश दिए गए
► औद्योगिक क्षेत्रों में प्रतिबंधित ईंधन के इस्तेमाल की भी जांच करने के निर्देश
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए औद्योगिक क चरा जलाने वाले उद्योगों पर सख्ती हो सकती है। दिल्ली के कुछ औद्योगिक क्षेत्रों में औद्योगिक कचरा जलाए जाने की शिकायतें मिल रही हैं, जिससे वायु प्रदूषण फैल रहा है। उद्योगों में प्रतिबंधित ईंधन जैसे पेट कोक, फर्नेस ऑयल के इस्तेमाल की भी सख्ती से जांच होगी।
पर्यावरण प्रदूषण निरोधक व नियंत्रण अधिकरण (ईपीसीए) को दिल्ली के औद्योगिक क्षेत्रों में औद्योगिक खासकर रबर की औद्योगिक इकाइयों में कचरा जलाने की शिकायतें मिली हैं। ये कचरा खासतौर पर बवाना, नरेला, बादली औद्योगिक क्षेत्रों में हजारों औद्योगिक इकाइयों द्वारा जलाये जाने की सूचना ईपीसीए को मिली है। उप राज्यपाल अनिल बैजल ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति को औद्योगिक क्षेत्रों में औद्योगिक कचरा जलाने की जांच करने को कहा और जलाने वालों के खिलाफ पर्यावरण नियमों के उल्लंघन के तहत उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
कचरा जलाने पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाने का प्रावधान है। अधिकारियों को उक्त औद्योगिक क्षेत्रों के साथ अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में भी औद्योगिक कचरा न जले और जलाने वालों पर कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। औद्योगिक कचरे को जलाने के मसले पर बवाना के उद्यमियों का कहना है कि बवाना में रोजाना 60-80 टन औद्योगिक कचरा निकलता है। यहां कचरा उठाने वाली एजेंसी को 6 टन कचरा ही डंपिंग साइटों पर डालने की अनुमति है।
नियम के मुताबिक बवाना औद्योगिक क्षेत्र में हर गली में कचरा डालने के लिए कंटेनर लगने थे। लेकिन ऐसा न होने से उद्यमियों को जहां जगह मिलती है, वे कचरा डाल देते हैं। जब तक कचरा उठाने की व्यवस्था नहीं होगी, तब तक कचरा जलाने की समस्या खत्म नहीं होगी। उधर, आनंद विहार से सटे दिल्ली के पटपडग़ंज औद्योगिक क्षेत्र और उत्तर प्रदेश के साहिबाबाद औद्योगिक क्षेत्र में प्रतिबंधित पेट कोक व फर्नेस ऑयल के इस्तेमाल की जानकारी मिलने पर ईपीसीए ने इन दोनों औद्योगिक क्षेत्रों में अधिकारियों का हर कारखाने में जाकर जांच करने के निर्देश दिए।