निर्यात संगठनों और उद्योग से जुड़े लोगों ने विदेश व्यापार नीति की मध्यावधि समीक्षा का स्वागत करते हुए कहा है कि इस नीतिगत समीक्षा से श्रम आधारित क्षेत्रों को मजबूती मिलेगी। उनका मानना है कि विनिर्मित वस्तुओं और सेवाओं की विभिन्न श्रेणियों में भारत से वाणिज्यिक वस्तुओं की निर्यात योजना (एमईआईएस) के तहत जो दरों में दो फीसदी की बढ़ोतरी की गई है उससे निर्यातकों को राहत मिलेगी और प्रतिस्पद्र्धा बढऩे के साथ ही रोजगार की स्थिति में भी सुधार होगा। हालांकि फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोट्र्स ऑर्गनाइजेशन (फियो) के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा, 'इस दो फीसदी की दर से निर्यातकों को अस्थायी राहत मिलेगी और प्रतिस्पद्र्धा को भी थोड़े समय के लिए बढ़ावा मिलेगा लेकिन सबसे बड़ा मुद्दा बुनियादी ढांचे की कमी, लॉजिस्टिक्स और दक्षता की कमी है जिसका समाधान करने की जरूरत है।' इन क्षेत्रों में रोजगार और पूंजी का अनुपात ज्यादा है ऐसे में रोजगार क्षेत्र ही फायदे में रहेगा। चमड़ा निर्यात परिषद के उपाध्यक्ष अकील अहमद ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, 'बढ़े प्रोत्साहन दर से चमड़ा उद्योग को फायदा होगा और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत प्रक्रिया के सरलीकरण से निर्यात की स्थिति सामान्य होगी।' निर्यात कंपनियां कम वैश्विक मांग, नोटबंदी की वजह से बनी बाधा और जीएसटी के शुरुआती वजह से संघर्ष कर रही थीं। वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु ने मध्यावधि समीक्षा जारी करते हुए कहा था कि इसका जोर श्रम आधारित और एमएसएमई क्षेत्र के निर्यात पर होगा और प्रोत्साहन बढ़ाने से रोजगार के मौके भी बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में तेजी आ रही है पर निर्यात में अभी सुधार नहीं है लेकिन संशोधित विदेश व्यापार समीक्षा से यह मुमकिन होगा। कपड़ा के बाद सबसे ज्यादा प्रोत्साहन करीब 1,354 करोड़ रुपये कृषि निर्यात को मिला है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि मूल्य वर्धित कृषि जिंसों के निर्यात पर जोर दिए जाने से सीधे तौर पर किसानों को फायदा नहीं मिलेगा जबकि कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने से ऐसा मुमकिन है। इक्रियर में कृषि के चेयर प्रोफेसर अशोक गुलाटी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, 'सिर्फ मूल्यवर्धित उत्पादों को ही क्यों बढ़ावा देना चाहिए कृषि निर्यात के लिए एक तार्किक और स्थिर नीति कच्चे कृषि उत्पादों के लिए होनी चाहिए। अंतरराष्ट्रीय बाजारों पर काबिज होने के लिए विशिष्ट जैविक कृषि उत्पादों को बढ़ावा देना एक अच्छा विचार है लेकिन इसकी कीमत सही तरीके से तय की जानी चाहिए।'
