मुखौटा कंपनियों ने किया 'बद' सूरत | श्रीमी चौधरी / November 17, 2017 | | | | |
कोलकाता को पछाड़कर सूरत कर चोरी के लिए मुखौटा कंपनियों का नया गढ़ बन गया है। आयकर विभाग के मुताबिक सरकार ने मुखौटा कंपनियों की जो नई सूची सौंपी है, उनमें से अधिकांश सूरत से अपना कारोबार कर रही हैं। इस तरह की पहली सूची में शामिल अधिकांश कंपनियों का गढ़ कोलकाता था। नोटबंदी के बाद मुखौटा कंपनियों की असलियत सामने आने के बाद कर विभाग ने इन कंपनियों पर शिकंजा कसना शुरू किया था। कर अधिकारियों के मुताबिक नई सूची में 2,138 मुखौटा कंपनियों के नाम हैं जिनमें से 80 फीसदी से अधिक का संबंध सूरत से है। इन कंपनियों ने नोटबंदी के दौरान कम से कम 5,000 करोड़ रुपये की अघोषित नकदी जमा कराई थी। विभाग को उम्मीद है कि यह आंकड़ा अभी और ऊपर जा सकता है।
यह सूची उन 5,800 मुखौटा कंपनियों का हिस्सा है जिन्हें वित्त मंत्रालय ने छांटा है। इन कंपनियों ने नोटबंदी के बाद करीब जीरो बैलेंस खातों में 17,000 करोड़ रुपये जमा कराए थे और फिर करीब इतनी ही रकम निकाल ली थी। इससे पहले कर विभाग ने ऐसी 16,000 मुखौटा कंपनियों की पहचान की थी जिनकी स्थापना धन शोधन के लिए 2011 से 2015 के बीच कोलकाता में की गई थी। विभाग की जांच में यह भी पता चला कि दो कारणों से कोलकाता की तुलना में सूरत मुखौटा कंपनियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बना। पहला कारण यह है कि सूरत का हीरा कारोबार भी समानांतर कारोबार के दम पर फूला फला है। कारोबारी विदेशों से खासकर दुबई और दूसरे दक्षिण एशियाई देशों से अवैध रूप से करोड़ों डॉलर के हीरे मंगाते हैं।
इन देशों से हीरों को आसानी से पश्चिमी देशों में बेचा जा सकता है। आयकर विभाग के एक वरिष्ठï अधिकारी ने कहा कि चूंकि सूरत में व्यवस्था पहले से ही मौजूद थी और इसके कर्ताधर्ता समानांतर अर्थव्यवस्था से अच्छी तरह वाकिफ थे, इसलिए वहां मुखौटा कंपनियां चलाना आसान था। दूसरा कारण यह है कि सूरत की अप्रत्यक्ष रूप से विदेशी बाजारों तक पहुंच है जो बहुत जटिल है और इसका पता लगाना आसान नहीं है।
पहले काले धन को सफेद बनाने का तरीका यह होता था कि सूचीबद्घ मुखौटा कंपनियों के शेयर खरीदे जाते थे, कीमतों को बढ़ाया जाता था और एक साल बाद शेयर बेच दिए जाते थे और दीर्घकालिक पूंजी लाभ पर छूट का दावा किया जाता था। लेकिन नए मामलों में मुखौटा कंपनियां लेनदेन की ऐसी-ऐसी रणनीति अपना रहीं हैं जिन्हें पकड़ पाना मुश्किल है। एक कर सलाहकार ने नाम न आने की शर्त पर कहा, 'सूरत जटिल वित्तीय ढांचे के लिए जाना जाता है जो कई वर्षों के दौरान विकसित हुआ है। वहां देश और विदेश में मौजूद पेशेवर सेवाएं देने वाली कंपनियांं,चार्टर्ड अकाउंटेंट और वकील हैं जो इन कंपनियों को काले धन को सफेद बनाने में करते हैं।' कर विभाग के अधिकारी ने कहा कि इस तरह की एक व्यवस्था को लेयरिंग कहते हैं जिसमें सूरत के ऑपरेटरों को महारत हासिल है।
इसमें काले धन को बहुस्तरीय लेनदेन के जरिये सफेद किया जाता है। इसमें कई कंपनियां शामिल होती हैं और इसे पकड़ पाना आसान नहीं होता है। मुखौटा कंपनियों के मामले में शायद ही कभी संपत्तियां लाभार्थी के नाम पर होती हैं और पैसा उस क्षेत्र में घूमता है जहां भारतीय कानून की पहुंच नहीं होती है। अधिकारी ने कहा, 'हाल में हमें कई ऐसे मामलों का पता चला है जहां प्रवर्तकों ने विदेशी खातों में पैसों को ठिकाने लगाया। ये खाते सूरत की कुछ कंपनियों से जुड़े थे। फिलहाल इस मामले की जांच की जा रही है।'
आयकर अधिकारी ने कहा कि इन्हीं कारणों से कोलकाता की जगह सूरत मुखौटा कंपनियों का पसंदीदा गढ़ बनकर उभरा है। इससे पहले 1980 से कोलकाता इन कंपनियों का प्रमुख केंद्र हुआ करता था। एक अन्य आयकर अधिकारी ने कहा कि पश्चिम बंगाल की मुखौटा कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई हुई है। अधिकारी ने कहा, 'कोलकाता की कंपनियां पर हमने लगातार कार्रवाई की है। संभवत: इस कारण भी कंपनियां धन शोधन के लिए पश्चिम बंगाल का रास्ता अख्तियार करने से परहेज कर रही हैं।'
मुखौटा कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई अगस्त में तेज हुई जब कंपनी मामलों के मंत्रालय ने 331 ऐसी कंपनियों की पहचान की और आयकर विभाग को उनके खिलाफ उचित कार्रवाई करने को कहा। इनमें से 150 कंपनियों का संबंध कोलकाता से था। इस पर कार्रवाई करते हुए बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने शेयर बाजारों को तुरंत इन कंपनियों के शेयरों का कारोबार बंद करने को कहा था।
काले धन पर गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने मुखौटा कंपनियों का पता लगाने और शेयर बाजारों का दुरुपयोग रोकने के लिए व्यवस्था बनाने की सिफारिश की थी। इसके बाद सरकार ने इन कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला किया था। पिछले तीन साल में कर विभाग ने 1,155 मुखौटा कंपनियों की पहचान की है जिनके जरिये 22,000 से अधिक लोगों ने 13,300 करोड़ रुपये से अधिक का काला धन सफेद कराया। विभाग ने अब तक 47 लोगों के खिलाफ आपराधिक मामला शुरू किया है। इस बीच विभाग ने मुखौटा कंपनियों की मदद करने में शामिल चार्टर्ड अकाउंटेंटों के खिलाफ भी कार्रवाई शुरू की है।
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