मुद्रा आभासी, दीवानगी असल | |
निकिता पुरी / 10 29, 2017 | | | | |
पिछले कुछ सालों में निवेश को क्रिप्टोकरेंसी यानी बिटकॉइन जैसी आभासी मुद्रा के रूप में नया ठिकाना मिला है। भारत में इसका चलन बढ़ा है तो दीवाने भी। उतार-चढ़ाव के तेज जोखिम के बावजूद बिटकॉइन जैसी वर्चुअल करेंसी ने अच्छा रिटर्न दिया है। निकिता पुरी का जायजा ...
बेंगलूरु के इंदिरानगर के बिल्कुल नजदीक के एक महाराष्ट्रियन रेस्टोरेंट के आगे से कई महीनों तक गुजरने के बाद आखिर एक दिन शशांक (आग्रह के बाद नाम में बदलाव) रेस्टोरेंट के व्यंजनों का लुत्फ उठाने पहुंचे। शशांक एक स्वतंत्र लेखक हैं। वह इस सूर्यवंशी नामक रेस्टोरेंट में अपने एक दोस्त के कहने पर गए थे, जिसे इसका मिसल पाव बहुत पसंद था। लेकिन उन्हें बताया गया कि दोपहर के भोजन के समय मिसल पाव नहीं मिलता है। इसलिए उन्होंने कोल्हापुरी कढ़ी, सोल कढी और पेरू (अमरूद) आइसक्रीम का ऑर्डर दिया।
रेस्टोरेंट में काउंटर के पीछे के बोर्ड पर लिखा है कि सूर्यवंशी परंपरागत भुगतान के अलावा बिटकॉइन में भी भुगतान स्वीकार करता है। जब उनका बिल आया तो शशांक के दोस्त ने उन्हें अपने बिटकॉइन का इस्तेमाल करने को कहा, लेकिन शशांक ऐसा करने में हिचकिचा गए। वह कहते हैं, 'हमें ऐसी करेंसी क्यों इस्तेमाल करनी चाहिए, जिसमें भविष्य में ज्यादा मूल्यवान होने की संभावना है।'
इसी साल कुछ ही हफ्तों पहले चीन में क्रिप्टोकरेंसी के खिलाफ कार्रवाई की गई। इससे दुनिया के साथ-साथ भारत में भी इस कूट मुद्रा में गिरावट आई। लेकिन शशांक जैसे निवेशकों का इस वर्चुअल करेंसी में भरोसा नहीं डिगा है। कुछ दिन पहले भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के एक अधिकारी ने भी इस डिजिटल करेंसी की आलोचना की थी। केंद्रीय बैंक के मुख्य कार्यकारी निदेशक सुदर्शन सेन ने कहा कि वे क्रिप्टो करेंसी को लेकर सहज नहीं हैं। (क्रिप्टो करेंसी को भारत सरकार की मान्यता नहीं है।)
ऐप के जरिये बिटकॉइन वॉलेट मुहैया कराने वाली जेबपे के मुताबिक भारत में इस क्रिप्टोकरेंसी की कीमत 2 सितंबर को 3.40 लाख रुपये थी, जो चीन की सख्ती के बाद 15 सितंबर को गिरकर 2 लाख रुपये के आसपास आ गई थीं। मगर इसके बाद इसकी कीमतें फिर बढ़ गई हैं और दीवाली वाले हफ्ते में 6,200 डॉलर यानी 4 लाख रुपये तक जा पहुंची। अभी भी यह साढ़े तीन लाख रुपये के करीब है। हालांकि इसकी कीमतों में लगातार भारी उतार-चढ़ाव बना हुआ है। जून-जुलाई में बिटकॉइन की कीमत 1.8 लाख रुपये थी।
बिटकॉइन में ऐसे भारी उतार-चढ़ाव नए नहीं हैं। जो लगातार इसमें कारोबार कर रहे हैं, वे इससे वाकिफ हैं। इसमें उनके भरोसे को पिछले कुछ उदाहरण सहारा देते हैं। उदाहरण के लिए 4 दिसंबर, 2013 से 18 दिसंबर, 2013 के दौरान एक पखवाड़े के बीच बिटकॉइन की कीमतें 54.5 फीसदी लुढ़क गई थीं। उसके बाद अचानक इसके दाम 18 दिसंबर, 2013 से 6 जनवरी 2014 के बीच 82 फीसदी बढ़ गए।
बिटकॉइन के खिलाफ सबसे कड़ी आलोचना इसके उतार-चढ़ाव को लेकर की जाती है। मुंबई के एक तकनीकी जानकार अक्षय हल्दीपुर का मानना है कि यह निवेश करने का सही मौका है क्योंकि 2017 के बाद कीमतें बढ़ जाएंगी। 30 साल के हल्दीपुर भारत के पहले बिटकॉइन करोड़पति हैं। वह एक डिजिटल मीडिया कंपनी कल्चर मशीन में विपणन उपाध्यक्ष हैं। उन्होंने पिछले साल क्रिप्टोकरेंसी के जरिये अपनी पहली एक करोड़ रुपये की कमाई की थी। उनके पास 80 से 100 बिटकॉइन हैं और वह एथेरियम, रिपल और ओमिशेगो (ओएमजी) जैसी अन्य वर्चुअल करेंसी में भी निवेश करते हैं।
जब लोग उन्हें 'बिटकॉइन करोड़पति' कहते हैं तो वह हंसते हैं। वह कहते हैं, 'मैं हमेशा अपने दोस्तों को कहता रहता हूं कि यह एक वर्चुअल करेंसी है, मेरी जेब में कुछ भी नहीं है।' हल्दीपुर कहते हैं, 'मैं सीमित जोखिम लेता हूं और लंबे समय के लिए दांव लगाता हूं।' उन्होंने चार साल पहले 45,000 से 50,000 रुपये के निवेश से शुरुआत की थी। वह कहते हैं, 'जब जून और जुलाई में कीमतें गिरकर 1,800 डॉलर पर आईं तो मैंने 50 से 60 बिटकॉइन और खरीदे थे।'
हल्दीपुर अपने पोर्टफोलियो में विविधता रखते हैं। वे नियमित रूप से बिटकॉइन को वैध मुद्रा में हस्तांतरित करते हैं और अन्य क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करते हैं। कीमतों में अचानक भारी गिरावट या उतार-चढ़ाव से उन पर ज्यादा असर नहीं पड़ता है। वह नौसिखियों को भी अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने और अकेले बिटकॉइन पर ही दांव न लगाने की सलाह देते हैं। जब वर्ष 2008 में बिटकॉइन को डिजाइन किया गया था और 2009 में पेश किया गया था, तब इसकी कीमत न के बराबर थी। वर्ष 2015 के अंत में बिटकॉइन की कीमत करीब 20,592 रुपये थी। (एक बिटकॉइन खरीदना जरूरी नहीं है, आप कम से कम 1,000 रुपये निवेश कर बिटकॉइन का एक हिस्सा भी खरीद सकते हैं। इस हिस्से को बिट्स कहा जाता है।
अन्य क्रिप्टो करेंसी की तरह बिटकॉइन की भी माइनिंग होती है। इसका लेनदेन किसी चीज के सुरक्षित रिकॉर्ड रखने वाले डेटाबेस के जरिये होता है, जिसे ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी कहते हैं। ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी को इंटरनेट और स्लाइस ब्रेड के बाद सबसे अच्छी चीज माना जाता है। तकनीक की मदद से बिटकॉइन की माइनिंग सोने के खनन के समान ही है। बिटकॉइन को बनाने वाले सातोशी नाकामोतो अज्ञात हैं। उनकी प्रतिभा यह है कि उन्होंने इसे एक प्राकृतिक संसाधन के जैसा बनाया है, जिसकी अधिकतम संख्या 2.1 करोड़ बिटकॉइन तय कर दी गई है।
इस प्रक्रिया के लिए न केवल तकनीकी ज्ञान बल्कि अथक (और महंगे) गियर अपग्रेडेशन और लगातार बिजली आपूर्ति की जरूरत होती है। इसलिए इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि बिटकॉइन की माइनिंग की तुलना में इसका कारोबार ज्यादा लोकप्रिय है। भारत में सरकार ने क्रिप्टो करेंसी के लिए कोई स्पष्ट दिशानिर्देश या नियमावली नहीं बनाई है, लेकिन फिर भी ये भारत में निवेशकों को लुभा रही हैं। यूनोकॉइन, जेबपे, कॉइनसिक्योर और बिटजोजो जैसी स्टार्टअप भारत में आपको बिटकॉइन की खरीद, बिक्री और कारोबार की सुविधा देती हैं।
भारत में रोजाना औसतन 2,500 लोग बिटकॉइन की खरीद-फरोख्त करते हैं। इनमें से कुछ ऐसे भी हैं, जो हल्दीपुर को डिजिटल करेंसी में अपनी सफलता के लिए पोस्टर बॉय के रूप में देखते हैं। उनसे हर रोज अजनबी लोग संपर्क करते हैं, जिनका मकसद यह जानना होता है कि तुरंत कैसे मोटा पैसा कमाया जाए। लिंक्डइन और फेसबुक पर उनके पास आने वाले बहुत से संदेशों में उनसे उनके पोर्टफोलियो के प्रबंधन का आग्रह किया जाता है। हल्दीपुर कहते हैं, 'मैं उनसे कहता हूं कि मैं आपको पठनीय सामग्री मुहैया करा सकता हूं, लेकिन पोर्टफोलियो प्रबंधन नहीं कर सकता।' उन्होंने कहा, 'बहुत से लोग यह जानना चाहते हैं कि कितना और कहां निवेश किया जाए। वे इस तकनीक को नहीं समझना चाहते हैं।'
हल्दीपुर भारतीय और बिट्रेक्स और पोलोनिक्स जैसे अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंजों में कारोबार करते हैं। इन एक्सचेंजों में बिटकॉइन भारतीय एक्सचेंजों में उपलब्ध बिटकॉइन से किफायती हैं। भारत में उतार-चढ़ाव भी ज्यादा नजर आ रहा है। यही वजह है कि शशांक भले ही रात के 2 बजे उठते हों, वह अपना फोन उठाते हैं और जेबपे पर खरीद और बिक्री की कीमतें देखते हैं। वह भारतीय ऐप जेबपे पर पंजीकृत हैं।
अहमदाबाद स्थित जेबपे में क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचेन विशेषज्ञ सुमंत नेपाली ने कहा, 'हमारे एक्सचेंज पर बिटकॉइन की कीमत अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंजों से बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन हर देश में मांग और आपूर्ति का ग्राफ अलग-अलग होता है।' वह कहते हैं कि कीमतें ऊंची होने की एक वजह यह है कि इस समय भारत में मांग आपूर्ति से अधिक है। वह कहते हैं, 'लेकिन कुल मिलाकर दुनियाभर में बिटकॉइन की मांग बढ़ रही है।'
कुछ महीने पहले न्यूयॉर्क की वेंचर कैपिटलिस्ट जलक जोबनपुत्रा मुंबई आई थीं और उन्होंने 300 धनाढ्य लोगों (एचएनआई) ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी और क्रिप्टोकरेंसी में निवेश का सुझाव दिया था। वह कहती हैं, 'दुनियाभर में क्रिप्टोकरेंसी के नियमन की मांग उठ रही है और मैं श्रोताओं को इस तकनीक के पीछे की इन्फ्रास्ट्रक्चर ऐप्लिकेशन के बारे में बताना चाहती हूं।' उन्होंने कहा, 'जब ज्यादा डेटा और मशीन ऑनलाइन हो जाएंगी तो यह सुनिश्चित करना अधिक जरूरी हो जाएगा कि डेटा स्टोरेज और इकाइयों के बीच संवाद सुरक्षित हो और इसको हैक नहीं किया जा सके।'
जापान में 2 लाख से अधिक स्टोर बिटकॉइन को स्वीकार करते हैं। वहां कर सुधार विधेयक में बिटकॉइन की बिक्री पर उपभोक्ता कर खत्म कर दिया गया है। लंदन में भी एक हाउसिंग कंपनी ने बिटकॉइन में डाउन पेमेंट लेना शुरू कर दिया है। हालांकि यूरोपीय संघ का केंद्रीय बैंक क्रिप्टो करेंसी के पक्ष में नहीं है। भारत में आप ईट्रैवलस्मार्ट का इस्तेमाल कर बस टिकट बुक कर सकते हैं या किसी भी भारतीय प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर फोन और डीटीएच बिलों का भुगतान कर सकते हैं।
मुंबई के कोलोनियल कैफे में आप बिटकॉइन से पिज्जा खरीद सकते हैं या कैसल ब्लू में स्पा करा सकते हैं। कर्नाटक में आप सपना बुक हाउस से खरीदारी कर सकते हैं या धारवाड़ इंटरनैशनल स्कूल में फीस जमा करा सकते हैं। आप वारंगल बिटजोजो द्वारा मुहैया कराए जाने वाले गिफ्ट गार्ड के जरिये भी किसी का बिटकॉइन से परिचय करा सकते हैं। इन कार्ड की कीमत 5,000 रुपये से 25,000 रुपये तक है। एक रेस्टोरेंट शृंखला फ्लाइंग स्पागेटी मोंस्टर के अजय मल्लरेड्डी का मानना है कि उद्यमों के बिटकॉइन में भुगतान स्वीकार न करने की मुख्य वजह क्रिप्टोकरेंसी को लेकर नियम स्पष्ट नहीं होना है। मल्लारेड्डी पिछले एक साल से अनिश्चितता की स्थिति में हैं।
वह कहते हैं, 'मैं विकेंद्रित डिजिटल करेंसी का समर्थक हूं, लेकिन सरकार की बिटकॉइन के बारे में मिलीजुली प्रतिक्रिया आती है। एक उद्यमी होने के नाते मैं चाहूंगा कि सरकार अपना रुख साफ करे।' अब तक क्रिप्टोकरेंसी स्टार्टअप ने एक स्वनियमन संस्था डिजिटल एसेट्स ऐंड ब्लॉकचेन फाउंडेशन ऑफ इंडिया के तहत एकजुट होकर काम किया है।
वह कहती हैं, 'विकेंद्रित तकनीक पूर्ण प्रतिबंध काम नहीं करता है। जापान, इंगलैंड, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया ने कुछ मामलों को वैध बनाकर अनुकूल नियामकीय रुख अपनाया है और वे वर्चुअल करेंसी के लिए सकारात्मक कर माहौल मुहैया करा रहे हैं।' जोबनपुत्रा ने कहा कि जो देश खुद को शिक्षित नहीं करेंगे और वर्चुअल करेंसी पर प्रतिबंध लगाएंगे, वे वैश्विक कारोबारी माहौल में पिछड़ जाएंगे।
हैदराबाद के ब्लॉकचेन उद्यमी रश्मित गुप्ता का मानना है कि वर्चुअल करेंसी के लिए असीमित संभावनाएं हैं। कुछ समय पहले गुप्ता ने सर्चट्रेड नाम के सर्च इंजन का बीटा टेस्ट किया था, जिसमें उनके प्लेटफॉर्म पर प्रत्येक सर्च के लिए सदस्यों को इनाम के रूप में बिटकॉइन दिए जाते थे। इसके सदस्य कीवर्ड खरीद सकते हैं। इन कीवर्ड को किसी व्यक्ति द्वारा हर बार इस्तेमाल किए जाने पर सदस्यों को क्रिप्टोकरेंसी मिलेगी। सर्चट्रेड का दावा है कि वह 1,500 कीवर्ड बेच चुकी है। इन कीवर्ड में मोदी, कपूर, एपल और नाइटलाइफ आदि शामिल हैं। अन्य क्रिप्टोकरेंसी और सर्चट्रेड के खुद के 'इंटरनेट डॉलर' (दीवाली तक पेश होगा) का इस्तेमाल कर गुप्ता 11 सेवाएं शुरू करने की उम्मीद कर रहे हैं।
इनमें से एक सेवा पिक्टर-शेयरिंग प्लेटफॉर्म होगा, जहां कीवर्ड और हैशटैग खरीदे जा सकते हैं। हर बार कोई यूजर किसी चीज को पसंद करेगा तो उसे क्रिप्टोकरेंसी मिलेगी। सरकार के समर्थन के अभाव में बहुत से लोगों ने इस कारोबार की तरफ बढ़ते अपने कदम थाम लिए हैं। मल्लरेड्डी ने कहा, 'बहुत से लोगों ने केवल सट्टेबाजी में बिटकॉइन खरीद लिए हैं, उन्हें लगता है कि इनसे भविष्य में बड़ा मुनाफा मिलेगा।' शशांक के लिए भविष्य दूर हो सकता है, लेकिन हल्दीपुर के पास यह पहले से ही मौजूद है।
आरबीआई अब भी क्रिप्टोकरेंसी को लेकर उलझन में है। उसेक बयानों से इसका पता चलता है। लेकिन वह क्रिप्टोकरेंसी की लहर की ताकत से अनभिज्ञ नहीं हैं। सेन कहते हैं कि केंद्रीय बैंक खुद की 'फिएट करेंसी' जारी करने की संभावनाओं का अध्ययन कर रहा है। इस तरह की खबर आई थी कि भारत सरकार लक्ष्मी नाम से अपनी क्रिप्टो करेंसी लाने की सोच रही है। बेंगलूरु स्थित यूनोकॉइन के सह-संस्थापक सात्विक विश्वनाथ कहते हैं, 'यह अपने आप में एक अच्छी चीज है। इसका मतलब है कि वे कम से कम तकनीक से जुडऩे की मंशा रखते हैं।' यूनोकॉइन के करीब 4,30,000 सदस्य हैं और वह हर महीने 40,000 से 40,000 नए यूजर जोड़ रही है।
दिल्ली के कॉइनसिक्योर के सह-संस्थापक बेंसन सैमुअल ने कहा, 'अगर सरकार भी ऐसी ही करेंसी जारी करती है तो यह विकेंद्रित नहीं होगी।' वह कहते हैं, 'किसी विशेष भौगोलिक क्षेत्र के लिए क्रिप्टोकरेंसी तर्कसंगत नहीं है। आइसलैंड में ऐसा पहले हो चुका है।'
आइसलैंड का 'ऑराकॉइन' 2014 में विफल रहा था, लेकिन यह 2016 से वापसी की कोशिश कर रहा है। कुछ दिनों पहले जेपी मॉर्गन चेज ऐंड कंपनी के जेमी डिमोन ने बिटकॉइन की आलोचना करते हुए इसे 'धोखाधड़ी' बताया था। सऊदी अरब के शासक भी इसेक पक्ष में नहीं हैं। एक टेक्नोलॉजी होल्डिंग कंपनी एमजीटी कैपिटल इन्वेस्टमेंट के जॉन मकैफी ने यह कहते हुए इस आलोचना को चुनौती दी है कि एक बिटकॉइन को बनाने में 1,000 डॉलर से अधिक की लागत आती है।
उनका तर्क है, 'एक डॉलर बनाने में कितनी लागत आती है? इनमें से कौनसी धोखाधड़ी है? क्योंकि इसकी लागत कागज की लागत जितनी होती है, लेकिन मुझे और अन्य माइनर को 1,000 रुपये प्रति कॉइन की लागत आती है। इसे काम का सबूत कहा जाता है।' क्रिप्टोकरेंसी में भरोसा रखने वाले और नहीं रखने वाले लोगों के बीच विभाजक रेखा खिंची हुई है, लेकिन भारत में बिटकॉइन का कारोबार आने वाले समय में बढ़ेगा। बिटजोजो जैसी कंपनियां देशभर में बिटकॉइन शिक्षा के लिए कार्यशालाओं का आयोजन कर रही हैं, जबकि सरकार आगे बढऩे की योजना पर काम कर रही है। वहीं बेंगलूरु के सूर्यवंशी रेस्टोरेंट में शशांक नकद में खाने के बिल का भुगतान कर बाहर निकलते हैं। उनके दोस्त के कहने के बावजूद उनके बिटकॉइन रेस्टोरेंट के पास जाने से बच गए। वह कहते हैं, 'इसमें बढ़ोतरी होगी। इन्हें खर्च नहीं करना ही बेहतर है।'
|