भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) सत्यम मामले को ध्यान में रखते हुए कॉर्पोरेट प्रणाली में अनुपालन और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए मौजूदा नियमों को कड़ा करने की जरूरत महसूस होने पर उनकी समीक्षा कर सकता है। सेबी के अध्यक्ष सी बी भावे ने सीआईआई सम्मेलन में कहा, 'कुछ समय बाद हमें यह तय करना होगा कि क्या प्रणाली में अनुपालन ,पारदर्शिता और योग्यता का स्तर बढ़ाने के लिए हमें नियमों को कड़ा करने या उनमें बदलाव लाने की जरूरत है।' उन्होंने कहा कि नियामक देश में कॉर्पोरेट प्रशासन के मानकों में होने वाली बेतरतीबी के बारे में जागरूक है, लेकिन ऐसे मामलों में जल्द निष्कर्ष निकालने से बचने की जरूरत है। उन्होंने कहा, 'सेबी को इसके (सत्यम जैसे मामलों) के बारे में पता है और वह अपनी भूमिका अदा करने के लिए दृढ़निश्चयी है... हमें तेजी से किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के लालच से बचना है।' उन्होंने कहा कि सेबी किसी भी समय अचानक सामने आने वाली चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए हमेशा तैयार है। सेबी कंपनियों को खुद से कॉर्पोरेट प्रशासन के मानकों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करता है। भावे ने कहा, 'बहुत सारे कानून बनाने की बजाय इस बात को तरजीह देने चाहिए कि कंपनियां अपने आप कॉर्पोरेट प्रशासन के मानकों का अनुपालन करें के लिए कदम उठाएं।' सत्यम के बारे में सेबी के अध्यक्ष ने कहा कि नियामकों ने तेजी से इस घोटाले पर अपने अपने जवाब दिए हैं और अब उनके सामने चुनौती यह है कि वे इस बात को सुनिश्चित करें कि दोषियों को समय रहते सही तरीके से सजा दी जाए। भावे का कहना है, 'जहां नियामकों ने सत्यम मामले पर अपनी शुरुआती प्रतिक्रिया बहुत तेजी से दी है, वहीं मौजूदा समय में जारी जांच में गति और कुशलता को बनाए रखना और सही तरीके से समय रहते दोषियों को सजा दिलाना एक चुनौती है।' ऑडिटरों के मामले पर भावे का कहना है कि नियामक ऑडिटरों की फेरबदल को सुनिश्चित करने के लिए सूचीबध्द कंपनियों से उनकी अनुकूलता की पड़ताल कर रहे हैं। सेबी इस विकल्प पर भी विचार कर रहा है कि सूचीबध्द कंपनियों के लिए बाह्य एजेंसी को नियुक्त किया जाए जो उनकी आंतरिक ऑडिटिंग का जिम्मा संभाले। उनका कहना है कि सेबी इसे सूचीबध्द कंपनियों के लिए अनिवार्य करने पर विचार कर रही है ताकि उनके हिसाब-किताब में पारदर्शिता और बढ़िया कार्यकुशलता को सुनिश्चित किया जा सके। भावे का कहना है कि इसके अलावा जिन मुद्दों पर विचार-विमर्श करने की जरूरत है, उनमें सूचीबध्द कंपनियों में गैर-प्रवर्तक शेयरधारकों की भूमिका और स्वतंत्र निदेशकों की कार्यकुशला को सुनिश्चत करना शामिल है।
