काले धन पर फंदे में मुखौटा फर्में | वीणा मणि और संजीव मुखर्जी / नई दिल्ली October 06, 2017 | | | | |
सरकार को 2 लाख से अधिक मुखौटा कंपनियों में 5,800 कंपनियों के कई खाते होने के सनसनीखेज आंकड़े हाथ लगे हैं। इनमें से कुछ कंपनियों ने पंजीयन रद्द होने के बाद भी खाते चालू रखे। हैरत की बात यह है कि नोटबंदी से पहले इन खातों में मामूली रकम थी, लेकिन नोटबंदी होते ही इनमें भारी जमा और निकासी हुईं। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इनमें गोल्ड सुख ट्रेड लिमिटेड के 2,134 खाते थे। एक अन्य कंपनी अश्विन वनस्पति के 900 खाते थे। इसी तरह शांति इन्फ्रास्ट्रक्चर और कॉलोनाइजर्स प्राइवेट लिमिटेड, एप्टिव आईटी सॉल्यूशंस, स्वर्णलाभ ट्रेड लिंक जैसी कंपनियों के भी कई खाते मिले। सरकार ने बैंकों से 2 लाख से अधिक कंपनियों की जानकारी मांगी थी, जिनके खाते सील किए गए थे। 13 बैंकों से मिली जानकारी के मुताबिक 5,800 कंपनियों के 12,000 से अधिक खाते थे। ये कंपनियां पंजीयक की सूची से निकाले जाने के बाद भी बैकों में लेनदेन करती रहीं।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि इन कंपनियों ने नोटबंदी के बाद अपने खातों में 4,570 करोड़ रुपये से अधिक रकम जमा की और 4,552 करोड़ रुपये निकाले, जबकि 8 नवंबर, 2016 से पहले इन खातों में केवल 22.05 करोड़ रुपये थे। एक बैंक में तो 429 कंपनियों के खाते में एक पाई तक नहीं थी, लेकिन नोटबंदी के बाद उन्होंने 11 करोड़ रुपये से अधिक की जमा और निकासी की और खाते सील होते समय उनमें कुल 4,200 करोड़ रुपये पड़े हुए थे।
सरकार ने 2 लाख कंपनियों को मुखौटा कंपनी बताते हुए उनका पंजीकरण रद्द कर दिया है। साथ ही करीब 1 लाख निदेशकों को भी अयोग्य करार दिया गया है और प्रतिबंधित कर दिया गया है। अधिकारियों का कहना है कि अभी और निदेशकों को निकाला जाएगा। कंपनी मामलों के एक वरिष्ठï अधिकारी ने बताया, 'एक स्थान ऐसा था, जहां से 1,000 कंपनियां पंजीकृत थीं।' आईडीबीआई बैंक में ऐसे सबसे ज्यादा 3,634 खाते निकले, जिनमें शून्य से कम रािश बची थी। इनमें से कुछ में नोटबंदी के वक्त 13.29 करोड़ रुपये बचे थे, लेकिन बाद में बढ़कर 3,794.04 करोड़ रुपये हो गए। बैंक ऑफ बड़ौदा और केनरा बैंक में भी ऐसे ढेरों खाते मिले।
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