अनगढ़ हीरों पर जीएसटी घटने से उद्योग खुश | विनय उमरजी / अहमदाबाद September 10, 2017 | | | | |
आयातित अनगढ़ हीरों की एक किस्म पर तीन फीसदी कर को घटाकर 0.25 फीसदी करने के वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद के फैसले का स्वागत करते हुए रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) ने कुछ अन्य लाभों की मांग की है।
जुलाई में लागू होने के बाद से जीएसटी अधिनियम के तहत अनगढ़ हीरों से राजस्व पर दो दरें लगाई गई थीं। इनमें से गैर-औद्योगिक या 'रत्न गुणवत्ता' के अनगढ़ हीरों पर 0.25 फीसदी की दर से कर लगता था, जबकि औद्योगिक और न छांटे हुए अनगढ़ हीरों पर 3 फीसदी जीएसटी लगता था। दुनियाभर में अनगढ़ हीरों को तीन कोड में बांटा गया है, जिसमें गैर-औद्योगिक अनगढ़ हीरे 7102.03 कोड के तहत आते हैं, जिन पर 0.25 फीसदी जीएसटी लगता था, जबकि शेष 7102.10 और 7102.21 कोड की श्रेणी में आते हैं, जिन पर तीन फीसदी जीएसटी लगता था।
उद्योग के सूत्रों के मुताबिक दो अलग-अलग दरों से आयातित हीरों को मंजूरी देने के लिए सीमा शुल्क विभाग रोक लेता था, जिससे कम से कम एक पखवाड़े कारोबार प्रभावित होता था।
रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) के क्षेत्रीय चेयरमैन दिनेश नवादिया ने कहा, 'पहले अनगढ़ हीरों के आयात पर कोई आयात शुल्क नहीं लगता था। जब अनगढ़ हीरों को विशेष कोड के तहत आयात किया जाता है तो इसकी निगरानी की जाती है और कई बार सीमा शुल्क विभाग के अधिकारी श्रेणी में बदलाव करता है। पहले कोई कर नहीं लगता था, इसलिए सीमा शुल्क अधिकारियों और हीरा आयातकों के बीच किसी तरह का विवाद नहीं होता था। हालांकि जीएसटी के बाद आयता करना मुश्किल हो गया है और विवाद बढ़ गए हैं।'
जुलाई से अब तक अनगढ़ हीरों के आयातकों को माल लाने में औसतन 15 दिन की देरी हो रही है, जिससे उन्हें कार्यशील पूंजी पर ज्यादा ब्याज चुकाना पड़ रहा था। अब सभी अनगढ़ हीरों पर कर की दर एकसमान 0.25 फीसदी कर दी गई है। नवादिया को उम्मीद है कि अब माल जल्द पहुंचेगा और अनगढ़ हीरों के आयात में कोडिंग को लेकर सीमा शुल्क अधिकारियों के साथ कम विवाद होंगे।
हालांकि यह उद्योग सरकार और जीएसटी परिषद से और कई मांगे कर रहा है। इनमें बिज़नेस-टू-बिज़नेस (बी2बी) लेनदेन पर जीएसटी खत्म करना और श्रम पर 5 फीसदी जीएसटी खत्म करना आदि शामिल हैं।
नवादिया ने कहा, 'विश्व के जिन 160 देशों में जीएसटी जैसी एकल कर प्रणाली है, उनमें बेल्जियम और नीदरलैंड जैसे 38 देश हीरों का कारोबार करते हैं। हालांकि ये बिज़नेस-टू-कंज्यूमर पर कर लगाते हैं न कि बिज़नेस-टू-बिजनेस लेनदेन पर। हमने भी सरकार से बी2बी लेनदेन पर कर राहत देने की मांग की है।' दूूसरी ओर उद्योग ने श्रम पर 5 फीसदी जीएसटी खत्म करने की भी मांग की है। जीजेईपीसी ने तर्क दिया है कि कच्चे हीरों का आयात करीब 1 लाख करोड़ रुपये है और इन हीरों को जब पॉलिश करके निर्यात किया जाता है तो 1.48 लाख करोड़ रुपये की कमाई होती है। इस तरह सरकार को 48,000 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है।
जीजेईपीसी ने सरकार से कहा है कि आयातित कुल हीरों में से 95 फीसदी का निर्यात होता है, इसलिए सरकार को ऐसे उद्योग के लिए श्रम पर कर लगाने की जरूरत नहीं है, जो बड़ी तादाद में रोजगार देता है क्योंकि इससे पहले ही विदेशी मुद्रा की आमदनी हो रही है।
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