विकसित देशों में चल रही मंदी की मार से भारत के चमड़ा उद्योग में 75,000-1,00,000 लोगों की नौकरियां जा चुकी हैं।
पिछले तीन महीनों में ही ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई कि निर्माताओं को उत्पादन में कटौती करनी पड़ी। इसके साथ ही चर्म उद्योग ने निर्यात लक्ष्य को फिर से तय किया है और यह 2008-09 में रखे गए 400 करोड़ डॉलर के लक्ष्य को कम करके 350 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
काउंसिल फॉर लेदर एक्सपोर्ट के चेयरमैन हबीब हुसैन ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही चर्म उद्योग के लिए बेहतर रही और निर्यात में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। पिछले तीन महीने में यह कम होकर 14 प्रतिशत पर आ गई है।
दिसंबर 2008 के अंत तक का 200 करोड़ डॉलर का निर्यात हो सकता है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 350 करोड ड़ॉलर का निर्यात किया गया था। हुसैन ने कहा कि निर्यात के लिए नए ऑर्डर मिलने में देरी हो रही है।
जिन निर्यातकों को पहले ही ऑर्डर मिले थे, उनसे भुगतान के लिए समय मांगा जा रहा है। इस समय चीन से मिलने वाली प्रतिस्पर्धा के चलते पहले से ही इस उद्योग को संकट का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि चीन के निर्यातक अभी 15 प्रतिशत तक दामों में कटौती कर सकते हैं, क्योंकि उनकी मांग में भी कमी आई है।