बाजार का मूल्यांकन पहुंचा सर्वकालिक उच्च स्तर पर | |
कृष्ण कांत / मुंबई 07 16, 2017 | | | | |
► व्यापक स्तर पर बाजार पिछले 12 महीनों के एकीकृत शुद्ध मुनाफे के 30.5 गुना पर कर रहा कारोबार
► निवेश पर प्रतिफल का अंतर कम होने से विदेशी निवेशकों के लिए भी मूल्यांकन ज्यादा
► कई क्षेत्रों में स्मॉलकैप और मिडकैप का मूल्यांकन बड़े शेयरों से भी अधिक
► कंपनियों की आय में कमी की आशंका से गिरावट का बना जोखिम
पिछले तीन वर्षों के दौरान बाजार पूंजीकरण में लगातार वृद्धि और कंपनियों की आय स्थिर रहने की वजह से व्यापक तौर पर बाजार का मूल्यांकन सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया है, जबकि बीएसई सेंसेक्स और निफ्टी 50 अब भी अपने पिछले उच्च स्तर की तुलना में सस्ता नजर आ रहा है।
लार्ज, मिड एवं स्मॉल कैप शेयरों के व्यापक नमूनों में देखा गया है कि यह पिछले 12 महीनों के समेकित शुद्ध मुनाफा के 30.5 गुना पर कारोबार कर रहे हैं। यह मूल्यांकन सेंसेक्स कंपनियों की प्राइस-टु-अर्निंग (पीई) गुणक 23.5 की तुलना में करीब 50 फीसदी अधिक है। सूचकांक कंपनियों का मूल्यांकन दिसंबर 2007 के अंत में उच्च स्तर पर था जब उसका पीई गुणक 28 था।
सभी सूचीबद्ध कंपनियों का समेकित बाजार पूंजीकरण पिछले तीन साल (मार्च 2014 से) में 71 फीसदी बढ़ा है जबकि इनके शुद्ध मुनाफे में इस दौरान 1.5 फीसदी की गिरावट आई है। मार्च 2013 में आई ताजा तेजी से शेयरों की कीमतें दोगुनी हुई है जबकि इस दौरान इनका समेकित शुद्ध मुनाफा महज 0.6 फीसदी बढ़ा है। नमूने में शामिल कंपनियों का समेकित शुद्ध मुनाफा वित्त वर्ष 2013 में 3.52 लाख करोड़ रुपये था जो वित्त वर्ष 2017 में 3.54 करोड़ रुपये हो गया। इसकी तुलना में इन कंपनियों का बाजार पूंजीकरण मार्च 2013 के अंत में 53.7 लाख करोड़ रुपये था जो 12 जुलाई 2017 को 108.1 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया।
व्यापक स्तर पर देखें तो प्राइस-टु-बुक वैल्यू के आधार पर शेयर बाजार अब भी मार्च 2008 के उच्च स्तर की तुलना में करीब 50 आधार अंक सस्ता है। लेकिन इक्विटी रिटर्न वित्त वर्ष 2008 के 19 फीसदी से आधे से भी कम 9.3 फीसदी पर है। यह विश्लेषण बीएसई 500, बीएसई मिडकैप और बीएसई स्मॉलकैप सूचकांकों के 802 कंपनियों के नमूनों पर आधारित है। हालांकि इसमें सार्वजनिक क्षेत्र की तेल मार्केटिंग कंपनियों और वेदांत तथा टाटा स्टील जैसी कंपनियों को शामिल नहीं किया गया है क्योंकि इन्होंने पिछले तीन वर्षों में अपने नतीजों में असाधारण नुकसान दिखाए हैं। अगर इन कंपनियों को भी इसमें शामिल कर दिया जाए तो मार्च 2013 से समेकित बाजार पूंजीकरण में 99 फीसदी की वृद्धि दिखती है जबकि इस दौरान आय में समेकित वृद्धि 12 फीसदी ही है।
विदेशी निवेशकों के लिए भी मूल्यांकन काफी ज्यादा है। बाजार की आय प्राप्तियां रिकॉर्ड निचले स्तर 3.3 फीसदी पर है और अमेरिकी ट्रेजरी की यील्ड का स्प्रेड रिकॉर्ड निचले स्तर 0.93 फीसदी पर है। यह स्प्रेड वित्त वर्ष 2016 के अंत में 1.9 फीसदी और मार्च 2013 में 4.8 फीसदी थी। मार्च 2008 के अंत में इसका स्प्रेड 1.5 फीसदी था।
एमके ग्लोबल फाइनैंशियल सर्विसेज में शोध प्रमुख, अर्थशास्त्री एवं इक्विटी स्ट्रैटजिस्ट धनंजय सिन्हा ने कहा, 'अमेरिका में ब्याज दरों में आगे वृद्धि होती है या भारत में आय प्रतिफल घटता है तरो बाजार में गिरावट आ सकती है।' अमेरिका में बेंचमार्क ब्याज दर चालू वर्ष की शुरुआत से करीब 20 आधार अंक बढ़ा है। हालांकि भारत में बेंचमार्क ब्याज दरों में करीब 10 आधार अंक की गिरावट से इसकी आंशिक भरपाई हुई है। मौजूदा परिस्थिति में आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद जा रही है, वहीं कुछ की राय इससे अलग है। उनका तर्क है कि भारत में ब्याज दरों में वृद्धि हो सकती है क्योंकि विभिन्न राज्य सरकारें बॉन्ड बाजार से पैैसा जुटा सकती हैं।
घरेलू निवेशकों के लिए इक्विटी पर प्रतिफल स्प्रेड अभी ऋणात्मक 3.2 फीसदी है, जो मार्च 2014 के ऋणात्मक स्प्र्रेड 2.8 फीसदी से खराब लेकिन वित्त वर्ष 2015 के अंत के ऋणात्त्मक 4 फीसदी से बेहतर है। शेयरों के व्यापक पोर्टफोलियो को देखें तो फिलहाल प्रति 1 लाख रुपये के निवेश पर संभावित लाभांश प्रतिफल 3,300 रुपये है, जो मार्च 2016 के अंत में 4,000 रुपये और मार्च 2013 के अंत में 6,600 रुपये था।बाजार का मूल्यांकन और ज्यादा हो सकता है क्योंकि ब्रोकरेज फर्मों का अनुमान है कि जून 2017 की तिमाही में कंपनियों के शुद्ध मुनाफे में पिछले साल की समान तिमाही के मुकाबले कमी आ सकती है।
निफ्टी 50 कंपनियों का समेकित शुद्ध मुनाफा इस दौरान 2.6 फीसदी घट सकता है जबकि धातु एवं तेल कंपनियों के शुद्ध मुनाफे को इससे निकाल दें तो जून तिमाही में एकीकृत शुद्ध मुनाफे में 7.6 फीसदी की गिरावट आ सकती है। सूचकांक में शामिल कंपनियों में से अब तक टीसीएस, इंडसइंड बैंक और इन्फोसिस ने ही अपने नतीजों की घोषणा की है और उनका शुद्ध मुनाफा बहुत उत्साहजनक नहीं रहा है।
इक्विनोमिक्स रिसर्च ऐंड एडवाइजरी के संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक जी चोकालिंगम ने कहा, 'आदर्श स्थिति में मेरा मानना है कि निवेशकों को अभी पैसा बचाकर रखना चाहिए। अगर ऐसा संभव नहीं हो तो गिरावट वाले बड़ी कंपनियों के शेयरों जैसे आईटी और फार्मा में निवेश करना चाहिए।' ऐसी सलाह देने वाले चोकालिंगम अकेले नहीं हैं।
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