पहली छमाही में 25,000 करोड़ रु. की शेयर पुनर्खरीद | ऐश्ली कुटिन्हो / मुंबई July 12, 2017 | | | | |
सूचीबद्ध कंपनियों ने साल 2017 की पहली छमाही में रिकॉर्ड 25,000 करोड़ रुपये के शेयरों की पुनर्खरीद की है। पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले यह 5 गुना ज्यादा है। वास्तव में यह रकम पिछले पांच साल की पहली छमाही में हुई संयुक्त पुनर्खरीद के मुकाबले ज्यादा है। यह बढ़ोतरी ऐसे समय में देखने को मिली है जब बेंचमार्क सेंसेक्स करीब 20 फीसदी चढ़ा है। यह असामान्य है क्योंकि बायबैक मोटे तौर पर मंदी वाले बाजार में देखने को मिलती है, जब शेयर की कीमतें काफी हद तक टूटी हुई रहती है और कंपनियां इसे खरीदने के लिए कदम बढ़ाती है। हालांकि लाभांश पर कर में इजाफे के बाद कई कंपनियों ने शेयरधारकों को पुरस्कृत करने के लिए पुनर्खरीद के इस्तेमाल का विकल्प चुना। साथ ही सरकार 2016-17 का विनिवेश लक्ष्य पूरा करने के लिए पारंपरिक विनिवेश के बजाय आक्रामकता के साथ पीएसयू पुनर्खरीद का इस्तेमाल कर रही है।
प्राइम डेटाबेस के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया ने कहा, लाभांश पर पिछले बजट में कर लगाया था और नकदी संपन्न पीएसयू पुनर्खरीद कर रही है। ऐसे में पुनर्खरीद गतिविधियों में इजाफे की ये दो मुख्य वजह है। पुनर्खरीद एक तरीका है जिसके जरिए कंपनी अपने लाभ का एक हिस्सा शेयरधारकों को वापस करती है। अतिरिक्त नकदी लौटाने के अलावा, प्रति शेयर आय व रिटर्न ऑन इक्विटी पर इसका सकारात्मक असर देखा जा सकता है। पिछले वित्त वर्ष में केंद्र सरकार के विनिवेश कार्यक्रम में यह तरजीही जरिया बन गया क्योंकि पीएसयू शेयरों में उतारचढ़ाव ने द्वितीयक बाजार में हिस्सेदारी बेचना सरकार के लिए मुश्किल बना दिया था। साल 2016 में जो पुनर्खरीद हुए उनमें नैशनल मिनरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन, कोल इंडिया, नालको, एनएचपीसी, ऑयल इंडिया और एनएलसी इंडिया शामिल हैं।
कई निजी कंपनियों में भी लाभांश भुगतान पर आम बजट में कराधान के नियम बदलने पर शेयर पुनर्खरीद किया है। व्यक्तिगत निवेशक, एचयूएफ, साझेदारी फर्म और सीमित साझेदारी वाले साझेदार को एक वित्त वर्ष में 10 लाख से ज्यादा लाभांश पर कर लगेगा। लाभांश पर कर की दर 10 फीसदी है और इस पर सरचार्ज व उपकर भी लागू है। इसके अतिरिक्त देसी कंपनियों को लाभांश पर 15 फीसदी वितरण कर भी चुकाना होता है। सरचार्ज व उपकर आदि को मिलाकर लाभांश वितरण कर कंपनियों के लिए करीब 20 फीसदी बैठता है।
मोतीलाल ओसवाल इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स के प्रबंध निदेशक गिरीश नाडकर्णी ने कहा, शेयरधारकों को रकम वापस करने के लिहाज से पुनर्खरीद ज्यादा प्रभावी तरीका है क्योंकि कंपनी के स्तर पर इस पर कर लगता है। साथ ही शेयरधारकों को भी कर चुकाना होता है, अगर उसकी लाभांश आय 10 लाख से ज्यादा हो। आईटी कंपनी टीसीएस ने इस साल शेयरधारकों से 16,000 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे हैं। विगत में आईटी कंपनियों पर शेयरधारकों की तरफ से दबाव रहा है कि उन्हें खाते में मौजूद अतिरिक्त नकदी शेयरधारकों को देना चाहिए, चाहे व लाभांश के तौर पर हो या फिर पुनर्खरीद के जरिए। ये कंपनियां जून तिमाही में सुस्त नतीजे पेश कर सकती हैं, जिसकी वजह वेतन बढ़ोतरी, रुपये में मजबूती, वीजा शुल्क और अमेरिका में उठाए गए संरक्षणवादी कदम से पैदा हुई अनिश्चितता है।
विश्लेषकों ने कहा, अगर नकदी संपन्न आईटी कंपनियां आगामी महीनों में पुनर्खरीद योजना पेश करे तो इसमें आश्चर्य नहीं होगा। इन्फोसिस पहले ही 2017-18 के लिए लाभांश या पुनर्खरीद के जरिए 13,000 करोड़ रुपये तक शेयरधारकों को लौटाने का ऐलान कर चुकी है। इक्विरस कैपिटल के निदेशक मुनीश अग्रवाल ने कहा, बढ़त के लिहाज से चुनौती का सामना करने वाली और नकदी के निवेश के लिए पर्याप्त गंतव्य न होने से कंपनियां पुनर्खरीद की ओर बढ़ेंगी।
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