► वाराणसी में बुनकरों और व्यापारियों का बंद ► सूरत में कपड़ा व्यापारियों पर लाठीचार्ज ► तमिलनाडु में बंद रहीं पटाखा इकाइयां
पहली जुलाई से लागू वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के विरोध में आज देश के कई हिस्सों में कारोबारियों, कपड़ा व्यापारियों, बुनकरों और सिनेमाघर मालिकों ने कामकाज बंद रखा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बंद का व्यापक असर दिखाई दिया। मशहूर बनारसी साड़ी के बुनकरों और इस काम से जुड़े लोगों ने 5 फीसदी जीएसटी के विरोध में अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी। दिलचस्प बात है कि इनका प्रमुख संगठन बनारसी वस्त्र उद्योग संघ भाजपा से जुड़ा है। कोलकाता, मुंबई और हैदराबाद में भी कपड़ा व्यापारियों ने जीएसटी के विरोध में प्रदर्शन किया।
सूरत में भी कपड़ा व्यापारियों ने जीएसटी लागू होने के बाद पहले कामकाजी दिन प्रदर्शन किया। हजारों की संख्या में व्यापारी रिंग रोड पर इकट्ठे हुए और उन्होंने 'जीएसटी हटाओ सरल टैक्स लाओ' के नारे लगाए। सूरत के पुलिस आयुक्त सतीश शर्मा के मुताबिक प्रदर्शनकारियों ने पुलिसकर्मियों पर पथराव किया जिसके बाद उन्हें काबू करने के लिए लाठीचार्ज करना पड़ा।
कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य अहमद पटेल ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि सरकार को जीएसटी का विरोध कर रहे व्यापारियों के साथ नरमी से पेश आना चाहिए। तमिलनाडु में सिनेमाघर मालिकों ने 28 फीसदी जीएसटी के अलावा 30 फीसदी मनोरंजन कर लगाए जाने के खिलाफ बंद रखा। क्षेत्रीय फिल्म निर्माताओं ने भी 28 फीसदी जीएसटी का विरोध किया। दिग्गज फिल्म निर्माता, वितरक और साउथ इंडिया फिल्म चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष एल सुरेश ने कहा कि जीएसटी से दक्षिण भारतीय सिनेमा बुरी तरह प्रभावित होगा। तमिलनाडु में आतिशबाजी विनिर्माण इकाइयां लगातार तीसरे दिन जीएसटी के विरोध में बंद रहीं। पटाखा निर्माताओं का कहना है कि जीएसटी से यह उद्योग बुरी तरह प्रभावित होगा।
22 राज्यों में चेक नाके खत्म
जीएसटी के लागू होने के बाद पश्चिम बंगाल, दिल्ली और महाराष्ट्र सहित 22 राज्यों ने चेक नाके हटा लिए हैं। इससे एक राज्य से दूसरे राज्य में माल की आवाजाही सुगम होगी। हालांकि फि लहाल ट्रांसपोर्ट कंपनियां माल ले जाने के लिए व्यापारियों से जीएसटी नंबर मांग रही हैं। इसे नहीं देने की सूरत में ट्रांसपोर्ट के लिए माल को स्वीकार नहीं किया जा रहा है। मुंबई की ट्रांसपोर्ट कंपनी वी-ट्रांस के अध्यक्ष अशोक शाह ने इसकी पुष्टिï करते हुए कहा कि चुंगी कर का जीएसटी में विलय होने से समय और ईंधन की बचत होगी लेकिन माल ले जाने के लिए व्यापारी के जीएसटी संख्या की जरूरत है।
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