ताप बिजलीघरों का बढ़ा संताप | |
श्रेया जय / नई दिल्ली 06 04, 2017 | | | | |
देश में पहले ही बिजली उत्पादन परियोजनाओं की किल्लत थी और अब हालात ज्यादा बिगड़ने की आशंका है क्योंकि करीब 25,000 मेगावॉट ताप बिजली संयंत्र बिक्री के लिए कतार में खड़े हैं। ये संयंत्र लैंको, केएसके, जेपी, जिंदल, इंडियाबुल्स, जीएमआर, एथेना और अन्य कंपनियों के हैं। ये सभी परियोजनाएं या तो चालू हो चुकी हैं या अभी तैयार हो रही हैं। सूत्रों का कहना है कि कंपनियां अपने बहीखाते हल्के करने के लिए इन परियोजनाओं से किनारा कर रही हैं। लेकिन दिक्कत यह है कि उन्हें खरीदार ही नहीं मिल रहे हैं।
ये परियोजनाएं शुरू होने के लिए तैयार हैं, लेकिन कोई भी राज्य बिजली वितरण कंपनी बिजल खरीदने के लिए अतिरिक्त निविदा जारी करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है। इससे पता चलता है कि बिजली क्षेत्र में कितना संकट है और निवेश की कितनी कमी है। इन परियोजनाओं से जुड़े बैंकों ने इशारा किया है कि उनकी गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) बढ़ सकती हैं।
बिजली क्षेत्र पर नजर रखने वाले सरकारी बैंक के एक विश्लेषक ने कहा, 'फंसी परिसंपत्तियों की तादाद बढ़ रही है। औद्योगिक गतिविधियां कम हो गई हैं और राज्य बिजली बोर्डों की वित्तीय हालत भी दयनीय है। एनटीपीसी और अन्य इकाइयां मौजूदा मांग पूरी कर रही हैं। स्वतंत्र बिजली परियोजनाओं पर भी इन बातों का नकारात्मक असर हुआ है।' बीना और निगरी में जयप्रकाश एसोसिएट्स (जेपी) की 1,820 मेगावॉट की दो इकाइयां, लैंको इन्फ्राटेक की 3,800 मेगावॉट क्षमता वाली इकाइयां, केएसके एनर्जी की 3,600 मेगावॉट इकाई, जीएमआर एनर्जी, डीबी पावर, इंडियाबुल्स, अवंता, एथेना आदि की कुछ परियोजनाएं खरीदार की बाट जोह रही हैं। एक संस्थागत फाइनेंसर ने बताया कि कुछ मामलों में कंपनी परिसंपत्ति पुनगर्ठन के दौर से गुजर रही है और बाकी के साथ भी ऐसे ही हालात हैं। खबर है कि एस्सार और जिंदल स्टील ऐंड पावर भी अपनी परियोजनाएं बेच रही हैं, हालांकि उन्होंने ऐसी किसी बात से इनकार किया। लैंको, जीएमआर और जेपी को भेजे गए ई-मेल का कोई जवाब नहीं आया। इंडियाबुल्स से संपर्क नहीं हो पाया।
डेलॉयट टूच तोमात्सु इंडिया में पार्टनर देवाशिष मिश्रा ने कहा, 'कुछ उद्यम दबाव में चल रहे हैं और वे खरीदरार की तलाश में होंगे, लेकिन अभी खरीदार मिल पाना मुश्किल साबित हो रहा है। इन परियोजनाओं की बुक वैल्यू 8 करोड़ रुपये प्रति मेगावॉट है। अगर कोई खरीदना चाहेगा तो वह प्रति मेगावॉट 5.0-5.5 करोड़ रुपये की कीमत देगा।'
उन्होंने कहा राज्य नियंत्रित परियोजनाओं को कुछ खरीदार मिल भी सकते हैं लेकिन स्वतंत्र बिजली परियोजनाओं के लिए खरीदार नहीं मिलेंगे। पिछली बार लगी बोली में जेएसडब्ल्यू एनर्जी और अदाणी पावर दौड़ में बताए जा रहे थे और जेएसडब्ल्यू ने कुछ परिसंपत्तियां खरीद भी ली थीं। मिश्रा ने कहा, 'समस्या यह है कि कोई भी गंभीर बिजली कंपनी अपने बहीखाते पर बोझ बढ़ाना नहीं चाहती है, खासकर ऐसे हालात में जब बिजली की मांग बढऩे का अनुमान पहले की तंदरुस्त नहीं रह गया है।' केंद्रीय बिजली प्राधिकरण ने 2022 तक बिजली की मांग का अनुमान घटाकर 235 गीगावॉट कर दिया, जबकि पहले मांग 289 गीगावॉट रहने का अनुमान लगाया था।
के्रडिट सुइस ने अपनी एक हालिया रिपोर्ट में कहा है कि बिजली क्षेत्र पर दबाव बढ़ रहा है और यह स्थिति आगे भी जारी रहेगी। रिपोर्ट में कहा गया है, 'बिजली क्षेत्र की मुश्किल बढ़ रही हैं और उनके राजस्व में सालाना 13 प्रतिशत कमी आई है और शुद्ध मुनाफे में भी पिछले वर्ष के मुकाबले 7 प्रतिशत गिरावट देखी गई है।'
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