डीटीएए लागू होने से पहले सिंगापुर व मॉरिशस से बढ़ा एफआईपी निवेश | पवन बुरुगुला और जयदीप घोष / मुंबई May 23, 2017 | | | | |
मॉरिशस और सिंगापुर के विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने इन देशों और भारत के बीच दोहरा कर बचाव समझौता (डीटीएए) अप्रैल 2017 से लागू होने से तुरंत पहले भारतीय कंपनियों में अपना निवेश 25 फीसदी बढ़ाया है। प्राइम डाटाबेस के आंकड़ों के मुताबिक मॉरिशस और सिंगापुर के रास्ते भारत में निवेश करने वाले शीर्ष 50 फंडों में से 22 का निवेश मार्च के अंत में बढ़कर 1.25 लाख करोड़ रुपये हो गया। यह दिसंबर 2016 के अंत तक के निवेश 1.04 लाख करोड़ रुपये की तुलना में करीब 25 फीसदी अधिक है। यह उन अन्य 28 एफसीआई से बिल्कुल विपरीत है, जिनका आलोच्य तिमाही में भारत में निवेश मामूली कम हुआ है। इन आंकड़ों में भारतीय कंपनियों में 1 फीसदी से अधिक एफपीआई को शामिल किया गया है।
उदाहरण के लिए मॉर्गन स्टैनली मॉरिशस का बाजार पूंजीकरण इन तीन महीनों में दोगुने से ज्यादा बढ़कर 6,719 करोड़ रुपये हो गया। इसी तरह गर्वेन्मेंट ऑफ सिंगापुर, एचएसबीसी मॉरिशस, इशारेस इंडिया और चिन्नामॉन कैपिटल जैसे फंडों की पोर्टफोलियो वैल्यू में 20 फीसदी से अधिक इजाफा हुआ है। इन तीन महीनों में एफपीआई ने भारतीय शेयरों में 6 अरब डॉलर का निवेश किया। दूसरी ओर शीर्ष 50 एफपीआई के निवेश का कुल मूल्य घटकर 3.65 लाख करोड़ रुपये पर आ गया, जो दिसंबर में 3.66 लाख करोड़ रुपये था।
डिपॉजिटरी एनएसडीएल के आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल 2017 में कुल एफपीआई संपत्तियों में करीब 30 फीसदी हिस्सा सिंगापुर और मॉरिशस की कंपनियों का था। ईवाई में सीनियर टैक्स पार्टनर प्रवण सायता ने कहा, 'इसमें कई कारकों का योगदान रहा है। इनमें हाल के विधानसभा चुनावों के नतीजे और भारतीय अर्थव्यवस्था में वृद्धि की प्रबल संभावनाएं भी शामिल हैं। मॉरिशस और सिंगापुर के साथ कर समझौतों और नए लागू जनरल एंटी-एवॉयडेंस रूल (गार) के प्रावधानों के तहत 31 मार्च 2017 तक के निवेश पर पुराने कानून लागू रहने की घोषणा से भी निवेश तेज हुआ है ताकि निवेश को निकालने के समय कर लाभ हासिल किया जा सके।'
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