नई नीति से मोबाइल विनिर्माण पर जोर | शुभायन चक्रवर्ती / नई दिल्ली May 02, 2017 | | | | |
भारत के घरेलू बाजार में विदेश से सस्ते मोबाइल आने के करीब डेढ़ दशक बाद अब सरकार मेक इन इंडिया के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स, खासकर मोबाइल फोन के विनिर्माण केंद्र बनाने की कवायद में जुट गई है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना तकनीक मंत्रालय के चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम (पीएमपी) के तहत देश में सबसे ज्यादा बिकने वाली उपभोक्ता वस्तु- मोबाइल फोन के बड़े पैमाने पर विनिर्माण करना चाहती है। विश्व व्यापार संगठन के आईटीए-1 समझौते पर हस्ताक्षर के बाद तैयार माल के साथ उसके विभिन्न पुर्जों का आयात सस्ता हुआ है, जिसमें आईटी के कुछ उत्पादों को शुल्क से छूट मिली हुई है। उद्योग जगत के अनुमान के मुताबिक भारत में करीब 2 प्रतिशत मूल्यवर्धन किया जाता है। पीएमपी का लक्ष्य है कि अगले 10 साल में इस आंकड़े में बढ़ोतरी की जाए। 2016-17 में भारत में उत्पादित मोबाइल फोन का कुल मूल्य 90,000 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो 2015-16 में 54,000 करोड़ रुपये था।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना तकनीक मंत्रालय के तहत गठित समिति ने 2019 तक 50 करोड़ हैंडसेट उत्पादन का लक्ष्य रखा है। साथ ही 2019-20 तक 12 करोड़ मोबाइल फोन के निर्यात का लक्ष्य रखा गया है। इससे सालाना विनिर्माण 1.5 से 3 लाख करोड़ रुपये के बीच हो जाएगा। मोबाइल फोन विनिर्माताओं को कर लाभ व प्रोत्साहन दिया जाएगा, जिससे मोबाइल के विभिन्न पुर्जों की असेंबलिंग को चरणबद्ध तरीके से बढ़ावा मिल सके। इसमें मशीन, माइक्रोफोन और रिसीवर, कीपैड और यूएसबी केबल 2017-18 में, प्रिंटेड सर्किट बोर्ड, कैमरा मॉड्यूल और कनेक्टर 2018-19 और डिस्प्ले असेंबली, टच पैनल, वाइब्रेटर मोटर और रिंगर 2019-20 में शामिल होगा। मुख्य भाग जैसे प्रिंटेड सर्किट बोर्ड (पीसीबी) का आयात जारी रहेगा।
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