अपने एक महत्वपूर्ण फैसले के तहत भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने फंडों को डेट योजनाओं पर मिलने वाले इंडिकेटिव रिटर्न के बारे में बताने से मना कर दिया है।
इसके अलावा बाजार नियामक ने उन पेपर की अधिकतम परिपक्वता की अवधि भी कम कर दी है जिनमें लिक्विड फंडों द्वारा निवेश किया जाता है। सेबी के इस कदम से डेट योजनाओं की लोकप्रियता को गहरा धक्का लग सकता है।
सेबी द्वारा इन दो पाबंदियों का सीधा मतलब यह निकलता है कि फंड कंपनियों को 3 महीने की परिपक्वता वाली अवधि के लिक्विड फंडों में पेपर को रखना पड़ेगा जबकि लिक्विड फंडों की श्रेणी में कुछ सुधार किए जाएंगे।
सेबी के इन कदमों से सावधि जमा योजना (एफएमपी) अब इंडिकेटिव रिटर्न और इंडिकेटिव पोर्टफोलियो के बारे में जानकारी नहीं दे सकते हैं जो फंड कंपनियों द्वारा एफएमपी को बेचने के लिए अब तक किया जाता रहा है।
इस बाबत बिड़ला सन लाइफ म्युचुअल फंड के मुख्य निवेश अधिकारी ए बालसुब्रमण्यन ने कहा कि सेबी के इस कदम से किसी तरह के आश्चर्य की बात नहीं है क्योंकि ये दिशानिर्देश इस उद्योग के अपेक्षानुसार ही हैं।
छोटी अवधि की डेट फंड वाली 91,979 करोड़ रुपये की लिक्विड फंड श्रेणी को अपने पत्रों की परिपक्वता अवधि में मौजूदा एक साल से छह महीने की अवधि में अब एक फरवरी तक कटौती करनी होगी।